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Arora PR
तुम्हारी ये लम्बी चुप्पी मौन सन्देश दें रही कि तुम्हे मेरी बात मान लेने मे कोई एतराज़ नहीं हैँ फिर भी मै चाहुँगा कि तुम्हारे इस मौन का भावार्थ समझने की चेष्टा अवश्य करके देखु कि कही तुम इस धैर्य धारण के कवच से अपने ह्रदय को आहत तो नहीं कर रहे हो? ©Arora PR मौन का भावार्थ
Parasram Arora
मेरे मौन शब्दों का अर्थ जानना निरर्थक सिद्ध हो सकता है यधपि उनका भावार्थ समझा जा सकता है.... क्योंकि भाव की कोई भाषा नहीं होती वहा तो केवल अनुभूति का अस्तित्व होता है वो तो वैसा ही है जैसे चन्द्रमा की मौन चांदनी की स्निग्धता का सुखद अहसास जैसे वक्ष की ऊँची शाखाओं पर हवाओं क़ि हलचल से उपजि..हुई खड़खड़ाहट और सरसराहट पत्तों की ©Parasram Arora मौन शब्दों का भावार्थ.......
आलोक कुमार
हमलोग को आजादी किन-किन चीजों से मिली थी और क्या हमलोग आज भी उन सभी चीजों से आजाद हुए हैं. अरे सबसे बड़ी और कीमती आजादी तो आपसी समान विचारधारा की आजादी होती है, जो आजतक सम्भव नहीं हो पायी है. इसके पीछे सबसे बड़ा और प्रभावी कारण है "जाति आधारित आरक्षण". इससे जिस दिन देश को मुक्ति मिल जाएगी, तब ही यह समझना उचित होगा कि अब हमलोग को आज़ादी प्राप्त हो गयी है. आजादी का सही और सटीक भावार्थ...
Arun kumar
एक पत्थर सा बन गया है ये दिल जिसको भी देता हूँ वो अपने - अपने हिसाब से टुकड़े करता है My thought (Arun kumar) कुछ अल्फाज़ #पत्थर दिल पत्थर का बन गया
Shashi Bhushan Mishra
मील का पत्थर, काँपता थर-थर, वेदना असीम, हो रहा असर, लगी चिन्गारी, जले कितने घर, गँवाया सबकुछ, हो गए बेघर, सियासत ख़ामोश, कैसे हो ख़बर, चली थी आँधी, गिर गया शज़र, घोर तन्हाई, कोई न रहगुज़र, सूखती सरिता, जमीं है बंजर, हर तरफ तांडव, बोल अब हर-हर, बचे सब 'गुंजन', उठा अब खंज़र, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra #मील का पत्थर#
Arora PR
भरोसा रखो हिज़्र मे भी हम रह लेंगे अच्छे से. मरेगे नहीं मुझे लगता है रब ने तुम्हारे सीने मे. दिल की जगह.. पथर तौ नहीं रख दिया ©Arora PR पत्थर का दिल
Manmohan Singh
रास्ते का पत्थर मैं रास्ते का पत्थर हूँ , मुझे रास्ते से हटा दो ....... मानूँगा तुम्हारे एहसान को , गर मेरी मंजिल तक पहुँचा दो ..... लोग न जाने कितनी ठोकरें मुझे मारते हैं , अपनी मंजिल की रुकावट समझ सारा गुस्सा मुझ पर उतारते हैं ....... चाहे मैं बेबस , लाचार हूँ खुद अपनी मंजिल तक नहीँ पहुंच पाउंगा , पर मुफत की ठोकरें नहीँ खाउंगा ..... मुझे मेरी मंजिल तक पहुँचा दो , किसी वीराने में मुझे जगह दो ........... रास्ते का पत्थर
ved Kabeera
उस अनजान रास्ते पर जिसे जीवन तो नहीं कहा जाता लेकिन जीवन में कई बार उस और वैसे अनजान रास्तों पर हम चलते जरूर हैं कई बार अपनी मर्जी से और कई बार किसी मजबूरी में लेकिन हर बार जब भी हमें कोई अनजान रास्ता मिले यदि हम उसे समझ कर उसे जानकर उसे अपना बना ले तो शायद उस पर सफलता की मील का पत्थर लगा सकते हैं जिससे कि हमारे पीछे आने वालों को तकलीफ ना हो और वह भी आगे चलकर कुछ और मील के पत्थर जोड़ सकें जिससे पीछे आने वालों को उस में निरंतर सफलता मिलती रहे वंदे साहसम वंदे निरंतरता वेद कबीरा ©ved Kabeera मील का पत्थर