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संवेदिता "सायबा"
मेरा रोना ए है 'सायबा' जहां पहुंचे वहीं रोए। वहां के रहने वाले जानदारों को न नींद आई।। ©संवेदिता #Remember #संवेदिता #सायरी_दिल_से #सायबा #सायरी_एक_अल्फ़ाज़
Sanjay Ni_ra_la
........... ©Sanjay Ni_ra_la तुम्हारी हर अदा पर खुद को भुलाए बैठे हैं
Repressed desire
आज भी इस कदर याद हैं वो कि हर लम्हा बस उनकी ही याद में गुजरता है।। ©Repressed desire #Remember भुलाए नहीं भूले जाते वो #love #Sad #emotions #nojoto
करन सिंह परिहार
सुन कर चीखें अबलाओं की,मैं व्याकुल होकर सिहर गया। फिर हृदय कंपनों की गति का,आवेग तीव्र हो बिखर गया। यह राज भोग का महा ज्वार,कंचन महलों का विष अपार। सत्ता की गलियों का सियार , बस नोच रहा तन का शृँगार। क्या मानवता का यही सार ,जो हुई आबरू तार तार। नारी जो जीवन का अधार , कर रही धरा पर चीत्कार। लेकिन गूँगे , अंधे शासक , झूठे उद्गार दिखाते हैं। कुर्सी की लालच में बँधकर,हो मौन पलक झपकाते हैं। शकुनी के फेंके पासों से , मानवता में विष उतर गया। फिर से द्वापर का वही दृश्य,मेरी आँखों में पसर गया। सुनकर चीखें--------(1) तम् के घर में बंधक प्रकाश , हो रहा संस्कृति का विनाश। चहुँ ओर आसुरी अट्टहास , मृदु संस्कारों का नित्य ह्रास। सिंहासन का चिर भवविलास,कर रहा भूमिजा को उदास। लिप्साओं का दृढ नागपाश,गल में करता अवरुद्ध श्वास। लेकिन विधर्मियों के वंशज , तांडव का जश्न मनाते हैं। कर चीर हरण द्रोपदियों का,फिर नग्न नृत्य करवाते हैं। ऐसे कुकृत्य अपराधों से, लज्जा का घूँघट उघर गया। फिर धैर्य त्याग करके आँसू, सूखी आँखों में पजर गया। सुनकर चीखें--------(2) ****** ©करन सिंह परिहार #मणिपुर संवेदिता "सायबा" Kumar Shaurya सूर्यप्रताप सिंह चौहान (स्वतंत्र)
संवेदिता "सायबा"
संवेदिता "सायबा"
होठों पर ख़ामोशी रखकर आंसू पीना सीख रही। नये नये मुस्कान सजाकर पल पल जीना सीख रही।। ©संवेदिता #Tanhai #संवेदिता #सायबा #शायरी #गज़ल #samvedita #Shayari #Nojoto #nojotohindi #Poetry
संवेदिता "सायबा"
आपको हमने चुना था, तो शिकायत कैसी। खुद ही से है जो शिकायत तो मोहब्बत कैसी।। ©संवेदिता "सायबा" #संवेदिता #सायबा #पंक्तियाँ #devdas #samvedita #twoliner #Nojoto #nojotohindi #Poetry #Shayari