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Stories related to इंसाफ़ की आवाज़ (1986 फ़िल्म) गीत

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अदनासा-

Vishesh Porwal

जो दूसरों की तरक्की1986

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sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3

इंसाफ़ #शायरी

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जिसके आँखॊं पे पट्टी हाथ मॆं तराज़ू है...
तुम उससे इंसाफ़ नहीं दो किलो प्याज़ माँगो..।


       - ख़ब्तुल
    संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 इंसाफ़

ehsanphilosopher

इंसाफ़

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इंसाफ़ भी कोई मायने रखता है।
बा मक़सद है के बे मकसद है।
तख़लीक़ पे नज़र दो ।
कुदरत ने गढ़ी है एक कीमती नमूना।
आंखें भी है, जीगर भी, धड़कता हुआ सीना।
क्या ये यूं ही है एक खेल तमाशा।
आएं हैं खाली हाथ, भर के है कोई जाता।
बनाया गया क्यूं हमको ज़रा सोचो।
कोई पापी, कोई हाजी , कोई पाजी।
मरना हो या जीना नहीं खेल तमाशा।
कब उठोगे, समझोगे कुदरत की भाषा। इंसाफ़

sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3

इंसाफ़ #पौराणिककथा

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कानून,अदालत अब भी ज़िंदा है लेक़िन...
तमाम मुजरिम मर गए फ़ैसले के पहले..।

      - ख़ब्तुल
   संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 इंसाफ़

sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3

इंसाफ़

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हमारा इंसाफ़ हैं, वो भी कोई और करेगा...
जिसके आँख पे पट्टी हैं, गुनाह पे गौर करेगा..। इंसाफ़

शंकर झारिया गायक

मेरे आवाज़ में गीत #CG #boollwood #फ़िल्म

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ANSARI ANSARI

इंसाफ़ #Thoughts

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sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3

इंसाफ़

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अासमान ने कितने परिंदों को बांध रखा हैं...
आज़ादी होती ही नहीं हमने मान रखा हैं..।

पी गया कितना ज़हर आपकी बेईमानी का...
बहुत कुछ भूला दिया हैं और कुछ याद रखा हैं..।

ये इंतज़ार तो मौत को भी नहीं मानता हैं...
मरने के बाद भी किसीने खुली आँख रखा हैं..।

तू आए और तेरे पाँव पड़े इस ख़्वाहिश में...
हमने इस दिल को राह पे कितनी बार रखा हैं..।

मेरा दर्द-ए-सिर मुद्दतों के बाद उतरा हैं...
कौन शख़्स है किसने आज सिर पे हात रखा है..।

हमे यक़ीन हैं एक दिन इंसाफ़ जरूर होगा ...
इसलिए तेरे दर पे ये अपना हाल रखा हैं..।

किसको फ़ुर्सत हैं जो किसी को तक़लिफ दे ‘ख़ब्तुल’...
ये जितने भी दर्द हैं मैने खुद पाल रखा है..। इंसाफ़

अदनासा-

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