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निर्भय निरपुरिया
White वक्त ले कर गुजरा था गुबार जहां से, वही पे चीथड़े मिले है प्यार के। कुछ नामों के पहले अक्षर गुदे हुए है, लम्हों पे। कुछ किस्सों के आखरी शब्द चमक रहे हैं, उस लहू पे तैड़ते हुए जिनमे बहता था इश्क कभी। वही पे एक खाली लिफाफा लिए ढूंढ रहा हूं,खत। जिसपे बेतरतीब फैले आशुओं की जुबान और मेरी खामोशी की जुगलबंदी में, बने थे अनगिनत गीत। जिन्हे तुम याद रखती थी, गुनगुनाती थी सखियों के सामने। क्या आज भी जमीन पे गिरता है, मेरी याद का मोती और रात होते होते हो जाता है दरख़्त। शायद यूं ही होता होगा। ©निर्भय निरपुरिया #Emotional_Shayari कर्म गोरखपुरिया Anshu writer Vishalkumar "Vishal" Kumar Shaurya Sandeep Kumar Saveer
#Emotional_Shayari कर्म गोरखपुरिया Anshu writer Vishalkumar "Vishal" Kumar Shaurya Sandeep Kumar Saveer #कविता
read moreVishalkumar "Vishal"
भीषण गर्मी और उच्चतम तापमान ©Vishalkumar "Vishal" Vishal's #NojotoFilms
Vishal's Films #शायरी #NojotoFilms
read moreKuldeep singh rj09
Pooja Udeshi Vishalkumar "Vishal" Sudha Tripathi pooja sharma Eshamahi #Bhakti
read moreनिर्भय निरपुरिया
White गया क्या तेरा बता यार मुस्कुराने में। जमाना लगता है एक दर्द को भुलाने में। खतों में लिपटे हुए फूल तुम निकालो तो मजा मुझे भी तो आए तुम्हें सताने में । फकीर करके मुझे अपना इश्क़ ले जाओ । बची हुई है ये दौलत मेरे खजाने में यकीन तेरी बफाओं का अब भी करता पर वफा दिखी ही नही पर तेरे बहाने में अभी तो भा गया हमको ये दिल का वीराना बहुत ही देर लगा दी हुजूर आने में हमीं ने तुमको कभी टूट करके चाहा था हमें ही शर्म क्यों निर्भय है ये बताने में ©निर्भय निरपुरिया #Sad_Status Vishalkumar "Vishal" Kumar Shaurya Anshu writer Anup Joshi Madhusudan Shrivastava
#Sad_Status Vishalkumar "Vishal" Kumar Shaurya Anshu writer Anup Joshi Madhusudan Shrivastava #शायरी
read moreहिमानी तूनवाल "हिम"
Black देख ली इंसानियत दो दशकों में ही.... ना रहना इस ज़िंदगी में तो कही जाना भी नहीं है! जो न चल सके जीवन के अंत तक.... बेवजह उन रिश्तों का बोझ उठाना भी नहीं है ! स्पष्ट कह देते है हकीकत को हम क्योंकि.... हमको किसी से कुछ छुपाना भी नहीं है ! बयां कर देते हैं अल्फाजों को कागज़ पर.... इसके सिवा हमे कुछ आता भी नहीं है ! ©हिमानी तूनवाल "हिम" Sethi Ji indu singh Ruchi Rathore Vishalkumar "Vishal" Ayushi Agrawal
Sethi Ji indu singh Ruchi Rathore Vishalkumar "Vishal" Ayushi Agrawal #शायरी
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मेरे सुख दुःख का जो खुद को,साझेदार कर लेगा बेदाग मेरी खातिर ,जो अपना किरदार कर लेगा उसे हमराह बना लू मैं,बिना सोचे बिना समझे जो मेरी खामियों के साथ, मुझे स्वीकार कर लेगा ©हिमानी तूनवाल "हिम" Sethi Ji indu singh Ayushi Agrawal नितिन कुमार 'हरित' Vishalkumar "Vishal"
Sethi Ji indu singh Ayushi Agrawal नितिन कुमार 'हरित' Vishalkumar "Vishal" #शायरी
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White दर्द की दवा भी मरीज़ बतावे। यह हकीम कौन तरीज़ बतावे।। एक तरफा रास्ता है ये दिल का। बेवफा इसे भी अरीज़ बतावे।। दिल किसी नबाब का नोचने को है। मूल्ला हरम कु हरीज़ बतावे। क्या गजल कहूं बोल उस बदन पर अंधा जिसका हुस्न करीज़ बतावे। ©निर्भय चौहान #GoodMorning Madhusudan Shrivastava Kumar Shaurya Vishalkumar "Vishal" Rakhee ki kalam se Nazar
#GoodMorning Madhusudan Shrivastava Kumar Shaurya Vishalkumar "Vishal" Rakhee ki kalam se Nazar #शायरी
read moreनिर्भय निरपुरिया
White हम मोहब्बत के सफर पर जा रहे। बोलिए किस वास्ते घबरा रहे।। बाग के सब फूल देखो खिल चुके बाग के सब फूल है मुरझा रहे। कल किसी ने दी हमें थी बददुआ आज महफिल में है गजलें गा रहे चांद के पहलू में सदियों से खड़ा इस जहां में आशिकी जिंदा रहे कागजों पर बह चली है स्याहियां वास्ते नस्लों के भी रस्ता रहे। बाद तेरे वह गली ही छोड़ दी ताजा कलियों पे नया भौंरा रहे। वह नदी मंदिर किनारा छोड़ कर शहर की गलियों में है पछता रहे। यह जहां तुमको मुबारक यार सुन क्या बदल जायेगा गर हम ना रहे। बिजली के तारों में उलझी है पतंग सर ता पा अब आशिकी लटका रहे कल कयामत होनी हो सो आज हो बाद उसके कौन जाने क्या रहे। निर्भय चौहान २१२२२१२२२१२ ©निर्भय चौहान #Road Vishalkumar "Vishal" Anshu writer Sudha Tripathi एक Mohabbati विधार्थी Snehi Uks
निर्भय निरपुरिया
Men walking on dark street वक्त पे हम कभी,यार मिल जाते तो। वक्त के हाथ में दिल न देते कभी। वक्त बेवक्त ये प्यार क्यों लाया है। छोड़ कर जा रहे जब अपने सभी। क्या कोई फूल है ,अब जो सूखा नहीं। क्या कोई आह है जो कि भूखा नहीं। क्या मुझे आ गई है तिजारत सनम, इश्क करके छुपाना क्या धोखा नहीं। हर घड़ी जिंदगी एक व्यापार है, जिसमे मुझको मुनाफा न होगा कभी। चल चलें गांव के मंदिरों की तरफ, वो शिवाला जहां हम मिले थे कभी। देख कर के नदी के भंवर डर गए। भावनाओं के पर, पर हिले थे कभी। अर्चना आरती सारे ही व्यर्थ हैं, फिर से अब मुकुराना ना होगा कभी। क्या तुम्हें याद है,अपनी अंतिम घड़ी, वो मुलाकात जिसमे लगी थी झड़ी। एक भींगे हुए खत को हाथो में ले, तुम सिसकती हुई भींगती थी खड़ी। सूखे उस खत में अब ढूंढता हूं तुम्हे, कुछ तो बोलोगी कुछ तो कहोगी कभी।। निर्भय चौहान ©निर्भय चौहान #Emotional Vishalkumar "Vishal" Snehi Uks Anshu writer Kapil Nayyar Madhusudan Shrivastava
#Emotional Vishalkumar "Vishal" Snehi Uks Anshu writer Kapil Nayyar Madhusudan Shrivastava #कविता
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