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Jyoti Rajput (Rj)
भोर की सुनहरी किरणों संग… प्रकृति की सुन्दरता भव्य निराली है… देखो मिलकर पेड़ों से किस तरह… मस्ती में इठलाती डाली डाली है… ©Jyoti Rajput (Rj) भोर की सुनहरी किरणों संग… प्रकृति की सुन्दरता भव्य निराली है… देखो मिलकर पेड़ों से किस तरह… मस्ती में इठलाती डाली डाली है… #Nature #NatureLov
Dr Jayanti Pandey
वक्त आने पर सारे जवाब मांगेगी, प्रकृति भूलती कुछ नहीं है, हिसाब मांगेगी तुम्हारा दिया लौटाएगी सूद समेत, प्रकृति न्यायप्रिय है,हर अन्याय का सबाब मांगेगी सबाब -" कारण; फैक्टर प्रकृति की सुन्दरता बसी उसके अनवरत सृजन में, हर विधि निखरते जीवन में जो जहां जिस हाल मिला उसके नित्य ही संवर्धन में, च
Atul Sharma
*“सुविचार"* *“5/6/2020”* *“शुक्रवार"* *“पेड़”🌳 “बुढा” ही सही, उसे “आंगन” में रहने दो,* *“फल”🍎 नहीं देगा, कम से कम “छाया” देगा* *ठीक उसी तरह...* *यदि आपके “मां-बाप” 👵🏻👴🏻बुढ़े है* *तो उन्हें “घर” 🏡में ही रहने दो* *“कमाकर” नहीं ला सकते, लेकिन आपके “बच्चों” को “अच्छे संस्कार” तो अवश्य देंगे...* *🖋️ अतुल शर्मा...✨🌟⭐* *“विश्व पर्यावरण दिवस”🌳🌴* *“सुविचार"* *“5/6/2020”* *“शुक्रवार"* आज के दिन की इस मुहिम का पालन करते हुए सभी भारतीय कम से कम 2-3 पेड़ 🌳जरूर लगाए,* *प्रकृति की सुन्दरता
Krish Vj
आनन पर हैं सूरज की लाली माथे पर चँदा चमकता है आफ़ताब और माहताब के नगीनों से गला दमकता है प्रकृति रानी का भाल सुशोभित हिम-पर्वतो से होता है पैरों में शोभित होती वन उपवन की पायल छनकाती है खिले है रंग बिरंगे फूल ,खुशबू से अपनी मन महकाते है अनगिनत सुंदर पशु पक्षी, सुंदरता में चार चाँद लगाते है कल-कल नदियां बहती सागर उमड़ घुमड़ फिर आता है मेघराज मल्हार है गाते, वर्षा रानी का नृत्य फिर आता है कंचन सी काया दमकती, अनमोल हीरे-मोती सुहाते है जो निहारता सुंदरता इसकी नयन सुकून से भर आते हैं प्रकृति की सुन्दरता कविता आनन पर हैं सूरज की लाली माथे पर चँदा चमकता है आफ़ताब और माहताब के नगीनों से गला दमकता है प्रकृति रानी का भाल
अभिलाष सोनी
प्रकृति की सुन्दरता (कविता) अविरल बहती जल की धारा, कल कल करते झरने। स्वच्छंद नदी का अमृत जल है, तारीफ में क्या कहने। पौधों पे हैं पुष्प सुसज्जित, जैसे हीरों का ताज हो पहने। स्वच्छंद हवा का स्रोत है निर्मल, तारीफ में क्या कहने। चहुँओर प्रकृति में बसंत बहार, छाई है जैसे बदन पे गहने। मन को मोहे, दिल को छू ले, तारीफ में क्या कहने। पंछी करते है शोर मधुर, संगीत लगे कानों में बहने। मन भी जैसे झूम उठा हो, तारीफ में क्या कहने। स्वच्छ चाँदनी अम्बर से बिखरी, धरती लगी ये कहने। शीतल छाया, कोमल रोशनी, तारीफ में या कहने। प्रकृति की सुन्दरता (कविता) Pic Credit :- Pinterest अविरल बहती जल की धारा, कल कल करते झरने। स्वच्छंद नदी का अमृत जल है, तारीफ में क्या कहने
Umakant Banswar Kanhaiya
प्रकृति के आगे सारी खूबसूरती बकवास हैं| और मैं सच बोल रहा हूँ कि ऐसी ही खूबसूरती में मेरा आवास है| कभी रह कर देखो प्रकृति के संग, वह भी आपको ऐसे अपना लेगी जैसे आप हो उसके अंग| और सच कहता हूँ प्रकृति बहुत प्यारी और सुन्दर है, इसने छुपाये हजारों जीवनदायनी रत्न अपने अन्दर है| *Umakant Banswar #प्रकृति #सुन्दरता
Shubham Sajwan
#प्रकृति #सुन्दरता #ज्वालामुखी #आसमां