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bhim ka लाडला official
प्रभात खटातीया शाहब___ OP ENIG @Satpranam222
दिल है मेरा __प्यारा आक्सीजन नही __दुवा आग ठहरा तलप मा कसा तरहफा जरा दुनिया को भूल कर ___ जीना चारा उन पलो मे आग में लगरा भूल ने की कोशीश मे दुवा मे उठारा आँखों मे समुंदर नहीं प्यार नज़र नहीं आरा ये गम हद से जादे बड़ता जरा कोई तो मारो अब मे जीना नहीं चारा ©प्रभात खटातीया शाहब___ OP ENIG @Satpranam222 #addiction EK पहली __ घर मेरी बोली आँखे खेले आँखे मिचोली मेरी सुदरता देख धुप यु बोली चमक है आशी की धरती भी बोली भोले नाथ ने तकदीर है मेरी खो
Sushma
श्री कृष्ण ने एक बार कहाँ था.. कि जहाँ सुदर्शन चक्र कि सत्ता नहीं चलती, वहाँ बांसुरी कि सत्ता चलती है.... और आज बांसुरी वाले कन्हैया को राधा के संग हर जगह पूजा जाता है... ©Sushma #janmashtami श्री कृष्ण ने एक बार कहाँ था.. कि जहाँ सुदर्शन चक्र कि सत्ता नहीं चलती, वहाँ बांसुरी कि सत्ता चलती है.... और आज बांसुरी वाल
वंदना ....
कर्ण ... सारा जीवन श्रापित श्रापित हर रिश्ता बेनाम कहो मुझको ही छलने के खातिर मुरली वाले श्याम कहो कीसे लिखूं में प्रेम की पाती कैसे कैसे इंसान हुए रणभूमि में छल करते हो तुम कैसे भगवान हुए ..... 🙏🙏🙏🙏 आप सबके समीक्ष .. अपना कुछ मनोगत व्यक्त करना चाहती हूं " दृष्टिकोण " 🙏🙏🙏🙏🙏 ©वंदना .... #Nozoto #Hindi..🙏🙏 कर्ण के किरदार से मैं बहुत प्रभावित हूं .. वैसे तो हम कहीं भी प्रभावित हो जाते हैं .. जिसे हम सबसे ऊंचे स्तर पर रखते हैं
स्वर्गीय आनन्द राज आनन्द
Mehfil-e-Mohabbat
मेरे दुख की कोई दवा न करो मुझ को मुझसे अभी जुदा न करो इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक नहीं चंद लम्हों में फैसला न करो ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ सुदर्शन फाकिर ♥️✍️
N S Yadav GoldMine
आज हम इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं !! 🌿 🌿{Bolo Ji Radhey Radhey} जगन्नाथ की मूर्तियों के हाथ :- 💠 भगवान जगन्नाथ का मंदिर अनंत रहस्यों से जुड़ा हुआ हैं तथा सबसे बड़ा रहस्य हैं मंदिर में रखी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा की मूर्तियाँ जिनके हाथ आधे बने हुए हैं तथा पैर नही है । कहते हैं कि यह मूर्तियाँ भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु के पश्चात उनके हृदय से बनी है। आज हम इसी कथा के बारे में जानेंगे तथा इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं। भगवान श्रीकृष्ण के हृदय का पुरी पहुंचना :- 💠 जब भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु हो गयी तब अर्जुन के द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया गया। कई दिन बीत जाने के पश्चात भी जब उनका हृदय जलता रहा तो अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर उनका हृदय लकड़ी समेत समुंद्र में बहा दिया। यही हृदय समुंद्र में बहता हुआ पश्चिमी छोर से पूर्वी छोर तक पुरी नगरी पहुंचा। राजा इंद्रद्युम्न को मिला भगवान श्रीकृष्ण का हृदय :- 💠 मालवा के राजा इंद्रद्युम्न जो भगवान श्रीकृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे, एक दिन उन्हें भगवान जगन्नाथ ने स्वप्न में दर्शन देकर समुंद्र तट से वह लकड़ी का लट्ठा लेकर उससे मूर्ति बनवाकर एक विशाल मंदिर में स्थापित करने को कहा। राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान के आदेश पर एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया तथा वह लकड़ी का लट्ठा लेकर मंदिर में आ गए। उस लट्ठे से मूर्तियाँ बनवाने के लिए राजा ने अपने नगर के सभी महान शिल्पकारों तथा विशेषज्ञों को बुलाया लेकिन कोई भी सफल नही हो पाया। जैसे ही वे उस लट्ठे से मूर्ति बनाने के लिए उस पर हथोड़ा इत्यादि मारने का प्रयास करते तो वह टूट जाता। यह देखकर राजा बहुत निराश हो गए। शिल्पकार विश्वकर्मा आये मूर्ति बनाने :- 💠 तब सृष्टि के महान शिल्पकार तथा भगवान विश्वकर्मा एक वृद्ध कारीगर के रूप में राजा के पास आये तथा उनसे कहा कि वे उस लट्ठे से मूर्ति का निर्माण कर देंगे जिसमें उन्हें लगभग 21 दिन का समय लगेगा। साथ ही उन्होंने यह पाबंदी रखी कि इस दौरान वे एक दम अकेले रहेंगे और मंदिर के कपाट बंद रहेंगे तथा कोई भी अंदर नही आएगा। राजा ने उनकी यह शर्त मान ली तथा उन्हें मूर्ति बनाने का कार्य दे दिया। भगवान जगन्नाथ की बनी आधी अधूरी मूर्तियाँ :- 💠 भगवान श्रीकृष्ण का आदेश था कि उस लट्ठे से चार मूर्तियाँ बनाई जाए जिसमे एक उनकी मूर्ति हो तथा अन्य तीन उनके बड़े भाई बलराम (बलभद्र), बहन सुभद्रा तथा सुदर्शन चक्र की हो। विश्वकर्मा कई दिनों तक मंदिर के अंदर उस लट्ठे से मूर्तियों का निर्माण कर रहे थे तथा बाहर हथोड़ा इत्यादि चलने की ध्वनि आती रहती थी। एक दिन राजा इंद्रद्युम्न की पत्नी ने मंदिर के बाहर से कान लगाकर सुनने का प्रयास किया तो अंदर से कोई आवाज़ नही आयी। यह देखकर रानी को भय हो गया तथा उसे लगा कि कही वह वृद्ध व्यक्ति अंदर मर ना गया हो। उसने यह सूचना राजा इंद्रद्युम्न को दी। राजा को भी भय हुआ तथा वे अपने सैनिकों के साथ मंदिर पहुंचे। 💠 वहां पहुंचकर उन्होंने मंदिर के द्वार खुलवाए तो वहां से वह वृद्ध कारीगर विलुप्त हो चुका था। उन्होंने मूर्तियों को देखा तो वह आधी अधूरी पड़ी थी जिसमे तीनों के पैर नही थे तथा भगवान जगन्नाथ तथा बलभद्र के आधे हाथ ही बने थे जबकि सुभद्रा के हाथ भी नही बने थे। यह देखकर राजा निराश हुए तथा उन्हें समय से पहले मंदिर में आ जाने का दुःख हुआ किंतु भगवान जगन्नाथ ने उन्हें फिर से स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि यही नीति थी तथा वह उन अधूरी मूर्तियों को ही मंदिर में स्थापित कर पूजा अर्चना करे। तब से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा की आधी अधूरी मूर्तियाँ उस मंदिर में स्थापित हैं जिनकी भक्त पूजा करते हैं। ©N S Yadav GoldMine #MainAurChaand आज हम इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं !! 🌿 🌿{Bolo Ji Radhey Radhey}
ARVIND KUMAR KASHYAP
Vedantika
उसने मेरे इश्क़ को अपना गुनाह बना लिया अपने मुंसिफ को ही अपना कातिल बना लिया ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "मुंसिफ़" "munsif" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है न्यायाधीश एवं अंग्रेजी में अर्थ हो