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दीक्षा गुणवंत
ये बारिश का मौसम, ये मौसम की तन्हाई। तू पास ना आ सका मेरे, पर तेरी यादें चली आईं।। तन्हा तन्हा मैं यहां, तेरे दूर होने की ये रुसवाई। मैं बस अकेली बैठी थी यहां, जाने क्यूं तेरी यादें चली आईं।। -लफ़्ज़-ए-आशना "पहाड़ी" . ©दीक्षा गुणवंत ये बारिश का मौसम, ये मौसम की तन्हाई। तू पास ना आ सका मेरे, पर तेरी यादें चली आईं।। तन्हा तन्हा मैं यहां, तेरे दूर होने की ये रुसवाई। मैं बस
ये बारिश का मौसम, ये मौसम की तन्हाई। तू पास ना आ सका मेरे, पर तेरी यादें चली आईं।। तन्हा तन्हा मैं यहां, तेरे दूर होने की ये रुसवाई। मैं बस
read moreदीक्षा गुणवंत
तू बाँध ले अपने ईश्क़ की डोर से मुझे, आग लगे मेरी इस आज़ादी को। -लफ्ज़-ए-आशना "पहाड़ी" , ©दीक्षा गुणवंत तू बाँध ले अपने ईश्क़ की डोर से मुझे, आग लगे मेरी इस आज़ादी को। -लफ्ज़-ए-आशना "पहाड़ी"
तू बाँध ले अपने ईश्क़ की डोर से मुझे, आग लगे मेरी इस आज़ादी को। -लफ्ज़-ए-आशना "पहाड़ी"
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White तेरे बग़ैर हम भला, इन दुआओं का क्या करें ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी चाँदनी रात औ इन चाँद सितारों का क्या करें दिल कि,अब मरघटी विरानों में भटकता फिरे गुलशन से वास्ता क्या, गुलज़ारों का क्या करें जब ग़म ही है नसीब अपना दर्द ही मोहतरम मौसम ए खिजां है,सब्ज़ चनारों का क्या करें सिमटा हुआ मकान,और दरकी हुई दीवारें हैं बारिश से बचें कैसे, और शरारों का क्या करें डूब जाने का इरादा कर लिया फिर डर कैसा कश्ती की ज़रूरत नहीं पतवारों का क्या करें हम कोई मुंसिफ तो नहीं फैसला कर दें कोई दुनिया ही समझे ,इन गुनहगारों का क्या करें ©dilkibaatwithamit तेरे बग़ैर हम भला, इन दुआओं का क्या करें ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी चाँदनी रात औ इन चाँ
तेरे बग़ैर हम भला, इन दुआओं का क्या करें ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी चाँदनी रात औ इन चाँ
read moreକିଶାନ୍
White जाने वाला हूं" तुम नहीं रोकोगी, है ना। ठीक है फिर। ध्यान रखना और खुश रहना। मुझे तुमसे नाराजगी है बहुत, पर नफरत नहीं, ओके। पता है, मैं कॉल करता हूं, बात करने को। पर तुम्हारे पास कभी समय रहा ही नहीं। कोई नहीं। पर यार, इतनी पीड़ा होती है ना, जो कोई शब्दों से बता ही नहीं सकता। जैसे सूखा पेड़ बारिश के इंतजार में खड़ा हो,पर कोई बादल न आए। जैसे किसी बच्चे को लगता है, मां-बाप हैं, ध्यान रखेंगे, देखेंगे। पर मैं तो मजाक बना हूं, है ना। मतलब मुझे उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। पर होता है कि तुम्हे सबकुछ माना है मतलब जिसे तुम मानो,वो भी तुम्हें बहुत माने। और फिर अचानक से देखना ही बंद कर दे। हां, मैं जा रहा हूं। और मुझे जाना भी चाहिए। जहां सम्मान न हो,वहां मेरा कोई काम नहीं। तुम्हें पता है, मुझे पता है कि मैं न पहला बन पाया, न आखिरी।पर मैं फिर भी साथ रहना चाहता था। कि प्रेम है तो रहूंगा। पर ठीक है। तुम वो नहीं हो जिसे मेरी चिंता हो। पता है, मैं मैसेज भी क्यों कर रहा हूं। क्योंकि मुझे पता है कि तुम्हें सबसे घटिया और गिरा हुआ लग रहा हूंगा, है ना। पर पता है, मतलब मैं जो दिन देख रहा हूं ना,ये लगता है कि कब मौत आए यार। पर उसने नहीं आनी। मैं तुमसे बोल भी क्यों रहा हूं। तुम्हें तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता। पता है, जिस दिन ये मोबाइल बहा दिया, वही दिन आखिरी होगा मेरी तरफ से। और उसके तुमसे हाथ जोड़ के प्रार्थना है... कि हो गया फिर, बाय। जाने वाला हूं। पर लगता है,रोक लो जाने न दो। मैं वो सोचता हूं जो कभी होना नहीं है। जैसे आसमान में कोई टूटता तारा, जो गिरने से पहले रुकना चाहता हो। जैसे सागर की लहरें किनारे पर ठहरना चाहती हों, पर ठहर न पाएं। जैसे अंधेरे में खोया हुआ चांद, जो रोशनी को छूने का सपना देखे। Love you, बहुत सारा। ©କିଶାନ୍ #Sad_Status Writer SHIVAM MISHRA शायरा माही (पहाड़ी छोरी) अdiति Richa Chaubey
#Sad_Status Writer SHIVAM MISHRA शायरा माही (पहाड़ी छोरी) अdiति Richa Chaubey
read moreକିଶାନ୍
White "जब तुम नहीं होती" जब मैं तुमसे बातें कम कर पाता हूँ, तब भी तुम्हारी बातें, मेरे दिल में, रह-रह कर गूँजती हैं। तुम साथ नहीं होती, पर हर पल तुम्हारे साथ बिताया हुआ महसूस करता हूँ, जब तुम नहीं होती। तुमसे मिलना नहीं हो पाता, पर हर मोड़ पर तुम्हारा इंतज़ार रहता है, तुम्हारे बिना भी तुम्हारी मोजूदगी हर जगह होती है, जब तुम नहीं होती। मैं तुमसे प्रेम करता हूँ, ये तो तुम जानती हो, पर ये प्रेम और गहरा हो जाता है, जब तुम नहीं होती। हर रात तुम्हारे माथे पर प्रेम भरा चुंबन करता हूँ, वो आलिंगन जो कभी नहीं होता, पर महसूस होता है, जब तुम नहीं होती। नाराज़गी है मुझसे, ये भी मैं जानता हूँ, पर फिर भी दिल से तुम्हें चाहता हूँ, ये सब होता है, जब तुम नहीं होती। मैं तुम्हारे साथ जीना चाहता था, तुम्हारे बिना जीवन का अर्थ खो सा गया, पर आज भी तुम्हारा साथ महसूस होता है, जब तुम नहीं होती। एक आखिरी ख्वाहिश है मेरी, कभी तो मेरे पास आओ, अंतिम समय में तुम्हारी गोद में समाना चाहता हूँ, तुम्हारे चेहरे की आखिरी झलक देखते हुए जाना चाहता हूँ। क्या तुम उस समय होगी, जब मैं तुम्हें सबसे ज़्यादा चाहूंगा? क्या तुम मेरी इस ख्वाहिश को पूरा करोगी? कह दो ना, कि तुम आओगी, नहीं कहोगी? फिर भी, मैं इंतजार करूंगा, तुम्हारे न कहने पर भी, मैं इंतजार करूंगा। ©କିଶାନ୍ #GoodNight Writer अdiति Richa Chaubey शायरा माही (पहाड़ी छोरी) $ π ! √ Û
#GoodNight Writer अdiति Richa Chaubey शायरा माही (पहाड़ी छोरी) $ π ! √ Û
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