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somnath gawade
शालेय जीवनात "मी मुख्यमंत्री झालो तर".. हा निबंध नसता तर आज हा सत्तासंघर्ष उद्भवलाच नसता. #निबंध
शिवकन्या....
मीच माझी रक्षक...... आज मराठी नववर्ष पण ,काही तरी चुकल्यासारखं वाटतं आहे. आताची परिस्थिती बघुन कोणताच सण साजरा करण्याची इच्छा नाहीये, पण मला एवढच वाटतं आहे की ,आज आपण आपल्या दारात गुढी उभारून देवाला एकच प्रार्थना करा की, मी त्या प्रत्येक व्यक्तीचा ऋणी आहे जो संपुर्ण समाजासाठी रोडवर अन् दवाखान्यात २४ तास उभा आहे. त्या प्रत्येक व्यक्तीचा आभारी आहे जो आपल्या परिवाराला सोडून जनतेसाठी झगडत आहे ,मग ते मंत्री असोत ,डॉक्टर असोत का आपले पोलिस असोत. आपल्यावर आलेला हा धोका (Covid 19) लवकरच दुर होणार आहे ह्यासाठी मी स्वतः हून प्रयत्न करणार. मी माझी रक्षक होणार..... _शिवानी चव्हाण.. गुढीपाडवा संदेश, आजाची भारताची परिस्थिती पाहून.
Ek villain
यह संसार दुख में यह है त्रिवेदी दुख सर रेल धारियों को सदा पीड़ित करते हैं सत चित आनंद स्वरूप परमात्मा का अंश होने के कारण प्रत्येक जीवधारी इन दुखों से निर्मित चाहते हैं इसके लिए वे कभी लौकिक और कभी वैदिक उपायों का आश्रय लेते हैं परंतु इनसे दुखों की सर्वकालिक एवं स्थानीय निर्मिती नहीं होती सबसे प्राचीन संख्या दर्शन के अनुसार चिकित्सा आदि लौकिक तथा यज्ञ आदि वैदिक उपायों से दुख की निवृत्ति अवश्य हो जाएगी किंतु यह आवश्यक नहीं है कि ऐसे दुख फिर दस्तक नहीं देंगे इस दर्शन के अनुसार प्रवृत्ति और प्राकृतिक आत्मा इस सृष्टि के कारण है आत्म तत्व का अपना स्वरूप को विस्मृति करना ही दुख रे काहे तू है क्योंकि सुख दुख का अनुभव करना शरीर का धर्म है आत्मा किंतु अज्ञान बस प्राकृतिक की माया से संयुक्त आत्म सुख दुख का अनुभव करने लगता है यही दुख का कारण है व्यक्त प्राकृतिक और अव्यक्त आत्मा के वास्तविक स्वरूप के ज्ञान से दुखों की निवृत्ति स्वयं हो जाती है गीता में भी दुखों की हेतु और उनके निर्भर थी के उपाय बताए गए हैं पंचम अध्याय में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि इंद्रिय और विषयों के सहयोग से उत्पन्न होने वाले शारीरिक भूख भूख के कारण है यद्यपि यह सुख देने वाली प्रवृत्ति होती है यही काम करो दिशा आदि विकारों को जन्म देते हैं अटैक कर्म और कर्म फल में अशक्त दुख का कारण बनती है ©Ek villain #दुखों से निर्मिती मानव जीवन में #roseday