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Saurabh Raj Sauri
इश्क के मौसम में सूखे वृक्ष को,बचाने की,उत्सुकता दिल मे लिए फिरता हूँ लबालब भरी प्रीत की हर एक "अंजुरी" में, मैं फिर भी दरबदर भटकता हूँ किस्सा मोहब्बत का यूँहीं खत्म नही होने देगा "राज" शीरी फरहाद के मोहब्बत का पहलू ,मैं हीर के राँझे की प्रेम वास्तविकता हूँ ©Saurabh Raj Sauri अंजुरी♥️
Saurabh Raj Sauri
"राज" दर्द का जानकार क्या करोगे,बेवजह शायर का कहीं दफन है ख्वाइशें ,कांटा लगा इश्क-ए-इजहार का "अंजुरी भर" रहा होगा नैनों का गुनाह दिल सजा काट रहा है बस,इस छोटी सी तकरार का ©Saurabh Raj Sauri "अंजुरी भर"
Anjali Singhal
"अथाह प्रेम भरा है दिल में, अंजुरी भर क्या दिखलाते तुमको! सुलझाने से ग़र सुलझती दिल की उलझन, उलझन दिल की ज़रूर बतलाते तुमको!!" ©Anjali Singhal "अथाह प्रेम भरा है दिल में, अंजुरी भर क्या दिखलाते तुमको! सुलझाने से ग़र सुलझती दिल की उलझन, उलझन दिल की ज़रूर बतलाते तुमको!!" #AnjaliSing
Anuradha T Gautam 6280
Manan
रिमझिम सावन वृष्टि.. और.. मटमैली बूँदों की छींट; जैसे.. विश्रांत संसर्ग रति चिन्ह; जब.. मुग्ध फुहार से, झड़ आये.. तुम्हारी अंजुरी से छनकर, मेरी.. आसमानी शर्ट पर ; और.. छा गया, सिक्त माटी का रंग.. नभ की साँझ बनकर ; मुझे प्रिय है.. अर्पित प्रेम मे भीगी स्थायी चिन्ह की सूखी छींट वाली शर्ट; और.. तुम्हारी अंजुरी से .. तृष्णा भावों का तर्पण करती निर्लिप्त प्रेम वृष्टि..!! प्रेम की शक्ति.. दंड की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है!! 🌹 ## Pricking petals.. ✍️ ## 🌹 रिमझिम सावन वृष्टि.. और.. मटमैली बूँदों की छींट; जैसे.. विश्रांत संसर्ग रति चिन्ह; जब.. मुग्ध फुहार से, झड़ आये..
दि कु पां
हाथ तेरा मेरे हाथ में आते ही तू मेरी हुईं, मान सम्मान तेरा मेरे मान सम्मान से जुड़ा, सातो वचन सांसों के अंत तक निभाऊंगा, कहूं तो अब तेरे लिए ही जिऊंगा और मर जाऊंगा.. अंजुरी से अंजुरी थाम ..... प्रथम फेरा मैं लेती हूं,तुमसे ये पहले ही कह देती हूं दान, धर्म ,तीर्थ हर पुण्य तुम मेरे साथ करोगे बोलो देते ह
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
difference between reality and dreams *सबक* ****** रात मैंने आसमां को … एक सबक सिखला दिया , उसका कुछ सामां इधर कुछ उधर को खिसका दिया ... चांद कुछ टेढ़ा सा था तारें थे ज्यादा घने , कुछ में रोशनी अधिक थी कुछ थे शायद अधखिले ... चांद को सीधा किया तारों को कुछ छितरा दिया, अंजुरी में भर के कुछ को जमीं पर बिखरा दिया .... तारों को पाकर जमीं तो सच में ही मुस्का गई मानो ना मानो मगर वो गीत मेरे गा गई ... पर…! ये तो बस एक ख्वाब था ख्वाबों की क्या बिसात है ये जिंदगी के हाथ था कभी बिखरा दिया , कभी छिटका दिया....!! ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) difference between reality and dreams *सबक* ****** रात मैंने आसमां को … एक सबक सिखला दिया , उसका कुछ सामां इधर कुछ उधर को खिसका दिया ... च
रजनीश "स्वच्छंद"
दरिद्र।। आयु दरिद्र, दीर्घायु दरिद्र, ज्ञान से है जटायु दरिद्र। दर्शन दरिद्र, दर्पण दरिद्र, अंजुरी और तर्पण दरिद्र। देव दरिद्र, दानव दरिद्र, पशु और मानव दरिद्र। सरस्वती दरिद्र दुर्गा दरिद्र, है ज्ञान और ऊर्जा दरिद्र। धरती दरिद्र अम्बर दरिद्र, है ईश और पैगम्बर दरिद्र। तसबीह दरिद्र माला दरिद्र, हर बालक और बाला दरिद्र। मुल्ला दरिद्र पंडित दरिद्र, है एकाकी और खण्डित दरिद्र। दुखी दरिद्र सुखी दरिद्र, अंतर और बहिर्मुखी दरिद्र। दिन दरिद्र रात दरिद्र, समूल मानव जात दरिद्र। ज्ञानियों का झुंड लो, क्यूँ दरिद्र, तुम ढूंढ लो। हर बात मैं ही क्यूँ कहूँ, काम मे अपना मुंड लो।। ©रजनीश "स्वछंद" दरिद्र।। आयु दरिद्र, दीर्घायु दरिद्र, ज्ञान से है जटायु दरिद्र। दर्शन दरिद्र, दर्पण दरिद्र, अंजुरी और तर्पण दरिद्र। देव दरिद्र, दानव दरिद्र