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Anjana Gupta Astrologer
दुर्गा सप्तशती में स्पष्ट लिखा है , व्याप्तं तयैतत्सकलम ब्रह्मांडम मनुजेश्वर! महाकाल्या महाकाले महामारी स्वरूपया!! सैव काले महामारी सैव सृष्टिर्भवत्यजा, स्थितिम् करोति भूतानां सैवकाले सनातनी!! भवकाले नृणां सैव लक्ष्मीवर्द्धिप्रदा गृहे, सैवाभावे तथाअलक्ष्मीरविनाशायोपजायते!! अर्थात- महाप्रलय के समय महामारी का स्वरूप धारण करने वाली महाकाली ही इस समस्त ब्रह्मांड में व्याप्त है ! वे ही समय-समय पर महामारी होती है और वे ही स्वयं अजन्मा होती हुई भी सृष्टि के रूप में प्रकट होती है,वे सनातनी देवी ही समयानुसार सम्पूर्ण भूतों की रक्षा करती है ! इसलिए सभी सनातनियो से निवेदन है कि इस संकट की घड़ी में कल से नित्य " दैवीकवच" का पाठ करे और नित्य दैवी उपासना करें ,वैसे भी शक्ति उपासना का पर्व आ रहा है तो इस मौके का लाभ अवश्य ले!🙏🌹 अंजना ज्योतिषाचार्य दुर्गा कवच
meena mallavarapu
अंधियारी वह रात , सूझे न हाथ को हाथ मेरे मन में भी घना अंधेरा उस काली गहन रात का है भी या नहीं सवेरा! छोटा सा दिया जलाया था नही विश्वास, सह पाएगा तूफ़ान का आक्रोश! कहां वह घनघोर घटा वह चकाचौंध करने वाली बिजली कहां दिए की छोटी सी लौ! छोटी सी पर सशक्त आवाज़ ने कहा दृढ़ लहज़े में आंधी तूफ़ां,बिजली बौछार नहीं बिगाड़ सकते कुछ उस दिए का जो जलता है हृदय के अन्दर आस्था और आत्मविश्वास सका सुरक्षा कवच! सुरक्षा कवच......
Parasram Arora
माना कि तुम सुरक्षित हो इस किनारे पर लेकिन जिस दिन अस्तित्व तुम्हे पुकारेगा. उस किनारे से तुम्हे उतरना पड़ेगा बींच सागर मे सारे सुरक्षा कवच तोड़ कर ©Parasram Arora सुरक्षा कवच
Abhi saini
अब तेरी मोहब्बत को मै कुछ इस तरहा समेट कर रख दुगा कभी चाहा भी था तुझको ये एक किताब मै बंद करके रख दुगा by Abhi saini #Hope समेट कर रख दुगा
Half Shadow
मुझे शायर बनना ही होगा अब खुद से रूठना ही होगा जिन राहों पर हु वो हसी है पर मुझे कैसे न कैसे टूटना ही होगा बहलाकर दूसरो को मैं मंजिल तक पहुंचा दुगा घर से बाहर निकलकर में आग घर में सुलगा दुगा हर किसी के आसू बस मेरी आंख से बहेगे इतनी खुशियां लुटाऊगा गमो के बादल जो मेरे ऊपर छा जाएंगे लिख लिखकर उनको हटाऊगा अपनी हस्ती मिटा कर खुद को कागज कलम कर लूंगा किसी के कुछ जानने से पहले दुनिया को हर लूंगा ©Half Shadow *घर में आग लगा दुगा
Satish Kumar Meena
जब बहिन भाई को राखी पर, रेशम का धागा बांधती हैं। एक वचन जो अनमोल रत्न,, बस ! उसी को तो वो जानती हैं ।। प्रेम का बंधन बडा निराला, भाई-बहन में मिलता है। इसमें न रज, तम का मेल हैं, सत्व प्रबल हो खिलता है।। जो रक्षा- सूत्र कलाई पर, रेशम का धागा होता है। भाई हृदय से माने तो उसे, कभी नहीं वो खोता है।। राखी पर हर बहिन भाई को, रक्षा का कवच मानती है।। एक वचन जो अनमोल रत्न,, बस ! उसी को तो वो जानती हैं।। भाई -फर्ज वो भी हैं निभाते, जो मातृभूमि के प्रहरी हैं। तन से तो फौलादी है पर,, मन में पीड़ा गहरी है।। राखी के रंग अनेक हैं, पर अर्थ तो उनका एक है। जब बहिन मांगे रक्षा दान,, करता अर्पण, नेक हैं।। हिन्दुत्व ही नहीं,हर धर्म-जात ! राखी का ममत्व पहचानती है। एक वचन जो अनमोल रत्न,, बस ! उसी को तो वो जानती हैं।। रक्षाबंधन:बहिन का कवच