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Munna Kumar
मैं अपने बर्बादी का हर रास्ता तैयार कर रखा हूं जान हथेली पर छुरी दिल के आर - पार कर रखा हूं मुझे बहुत शौक है अपनी बर्बादी खुद से करने का औरों पर इल्जाम ना आए,मैं रास्ते हजार कर रखा हूं सुनो मुझे बर्बाद करने का औरों में हिम्मत ही कहां है सुनो मैं तो खुद ही खुद के दिल को बीमार कर रखा हूं कभी यह मत समझो कि मैं बहुत ही अच्छा इंसान हूं ना जाने कितने घिनौने काम कितनी बार कर रखा हूं मेरी बर्बादी पर अफसोस मत करना कभी आपलोग मैं तो इश्क भी अपनी बर्बादियों से भरमार कर रखा हूं written by Munna Kumar ©Munna Kumar #poem✍🧡🧡💛 मैं अपने बर्बादी का हर रास्ता तैयार कर रखा हूं जान हथेली पर छुरी दिल के आर - पार कर रखा हूं मुझे बहुत शौक है अपनी ब
AwadheshPSRathore_7773
Aklesh Yadav
Archana Tiwari Tanuja
ग़ज़ल :-हर आदमी 221 2121 1221। 212 हर आदमी है सीने पे पत्थर लिए हुए, अरमान ज़ज़्ब का है बवंडर लिए हुए। हर सख़्श जाने क्यों है परेशान गैर से? अपने भी तो खड़े छिपा नश्तर लिए हुए। लोगों की है जुबान ही मीठी छुरी यहां, है कौन घूमता यहां शक्कर लिए हुए। हमदर्द से दिखाई पड़े हैं मगर ये तो!! अपने लिबास में दबा खंज़र लिए हुए। हर चेहरे पे झूठ का पर्दा दे। वो घूमता है दर्द का मंज़र लिए। सीधा है सच्चा है करु साबित कैसे मैं, वो सीप में छिपा हुआ गौहर लिए हुए। लाखों में इक दिखे है फरिश्ता नसीब से, तनुजा हबीब नेकी का समंदर लिए हुए।। अर्चना तिवारी तनुज ©Archana Tiwari Tanuja #Dark #Nojoto #NojotoHindi #hindiwriters #Haraadmi #viral #hindikavita #hindinama #MyThoughts 01/07/223 ग़ज़ल :- हर आदमी 221 2121 1221 212
Munna Kumar
हम अपने बर्बादी का हर रास्ता तैयार कर रखा हूं जान हथेली पर छुरी दिल के आर - पार कर रखा हूं मुझे बहुत शौक है अपनी बर्बादी खुद से करने का औरों पर इल्जाम ना आए,मैं रास्ते हजार कर रखा हूं सुनो मुझे बर्बाद करने का औरों में हिम्मत ही कहां है सुनो मैं तो खुद ही खुद के दिल को बीमार कर रखा हूं कभी यह मत समझो कि मैं बहुत ही अच्छा इंसान हूं ना जाने कितने घिनौने काम कितनी बार कर रखा हूं मेरी बर्बादी पर अफसोस मत करना कभी आपलोग मैं तो इश्क भी अपनी बर्बादियों से भरपूर कर रखा हूं written by Munna Kumar ©Munna Kumar #poem✍🧡🧡💛 हम अपने बर्बादी का हर रास्ता तैयार कर रखा हूं जान हथेली पर छुरी दिल के आर - पार कर रखा हूं मुझे बहुत शौक है अपनी बर
||स्वयं लेखन||
कभी - कभी हमारे शब्द छुरी से गहरा घाव करते हैं, इसलिए अपने शब्दों को हमें सोचकर समझकर बोलना चाहिए। ©Gunjan Rajput कभी - कभी हमारे शब्द छुरी से गहरा घाव करते हैं, इसलिए अपने शब्दों को हमें सोचकर समझकर बोलना चाहिए। #life #thought #lifethought #zindagi #po
सुसि ग़ाफ़िल
चाकू छुरी की जरूरत है ही नहीं मुझे लहू दहकता है तेरे नाम से धमनियों में चाकू छुरी की जरूरत है ही नहीं मुझे लहू दहकता है तेरे नाम से धमनियों में
सुसि ग़ाफ़िल
आदमी - आदमी से मिलता है , दिल कम जिस्म ज्यादा मिलता है| भूल जाता है पिछली मुलाकात को, फिर वही कर्मकांड करने को मिलता है| भूख ज्यादा बढ़ रही है अब , इश्क़ पानी से कम खून से ज्यादा मिलता है| फूल भी मुरझा जाते हैं प्रेमियों के हाथों में, इस तरह का इश्क आजकल भरपूर मिलता है| दुकानदार हो गए हैं या फिर भाड़े पर आता हैं, इश्क में फसाने वाला सरेआम नजरें मिलाता है| "सुशील" प्रेमियों के हाथों में गुलाब नहीं मिलता, मिलते चाकू छुरी जिंदगी भर साथ नहीं मिलता है| आदमी - आदमी से मिलता है , दिल कम #जिस्म ज्यादा मिलता है| भूल जाता है पिछली मुलाकात को, फिर वही #कर्मकांड करने को मिलता है| भूख ज्यादा बढ
सुसि ग़ाफ़िल
कुछ दिन धड़कने दो इस बे - धड़क को! तड़प अगर लगी है इस बे - धड़क को ! चाकू - छुरी तुम सब कहो इस बे-धड़क को! इल्जाम भी बुरे लगे इस बे - धड़क को! शराब पीना सिखाया इस बे - धड़क को! सिगरेट की लत भी थी इस बे - धड़क को! भूलने की कोशिश की इस बे - धड़क को! मारने की साजिश की इस बे - धड़क को! 'सुशील' मार ना पाया इस बे - धड़क को! कुछ दिन धड़कने दो इस बे - धड़क को! तड़प अगर लगी है इस बे - धड़क को ! चाकू - छुरी तुम सब कहो इस बे-धड़क को!