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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी चमन में कैसा जहर घुल रहा है हर सांसो को असमय छीन रहा है किस राह पर चल पड़ी है जिंदगी समस्याये आदमी को रौद रही है सिद्धार्थ शुक्ला जैसे होनहारों को अल्पायु में छीन रही है तड़पते युवाओ की छटपटाहट सत्ता की नाकामी से मौत में बदल रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sidharthshukla अल्पायु में छीन रही है
MANJEET SINGH THAKRAL
भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए केवल 19 वर्ष की अल्पायु में सर्वोच्च बलिदान देने वाले युवा क्रांतिकारी हुतात्मा श्री खुदीराम बोस के बलिदान दिवस पर उन्हें शत शत नमन। भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए केवल 19 वर्ष की अल्पायु में सर्वोच्च बलिदान देने वाले युवा क्रांतिकारी हुतात्मा श्री खुदीराम बोस के बलिदान
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
heart प्रेम अल्पायु होता है! आप उसको जीवन बना लेते है,फिर छूट जाता है, चटक के टूट जाता है । बिखर जातें है हम जैसे हवा में सूखे पत्ते। प्रेम दो लोगों में होता ही नही, वो हर एक के भीतर जीता है अपना जीवन। इसलिए शायद हाथ की रेखाओं में समा जाता है। प्रेम अल्पायु होता है ! हृदय एक द्वार होता है, प्रेम पथिक की तरह बिन बुलाए आता है। कहीं से कभी भी बस आकर द्वार पर धप- धप करता है। हम खोलते नही तो वो धक्का देकर भीतर प्रवेश कर जाता है, धमनियों में रक्त के साथ प्रवाह में सांसों में घुलता जाता है, फिर एक दिन प्रेम का प्रवाह रुक जाता है कहते है मृत्य हुई है हृदय की गति रुकने से। धमनियो में कुछ जम सा गया था शायद। वो प्रेम था जो जम गया था। प्रेम अल्पायु होता है! ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS #Heart प्रेम अल्पायु होता है! आप उसको जीवन बना लेते है,फिर छूट जाता है, चटक के टूट जाता है । बिखर जातें है हम जैसे हवा में सूखे पत्ते। प्र
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ अल्पायु में ही हँसते- हँसते देश के लिए प्राण देने वाले माँ भारती के वीर सपूत,अमर क्रांतिकारी शहीद खुदीराम बोस जी को जयंती पर सादर नमन.... 🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏 माँ भारती की सेवा में उन्होंने अल्पायु में ही अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। उनका बलिदान पीढ़ियों को राष्ट्र-प्रेम हेतु सदैव अभिप्रेरित करता रहेगा। 💪🇮🇳हिंदुस्तान जिंदाबाद 🇮🇳💪 🙏🇮🇳भारत माता की जय🇮🇳🙏 🙏🇮🇳 जय हिंद जय भारत🇮🇳🙏 ✍️Vibhor vashishtha vs Meri Diary #Vs❤❤ अल्पायु में ही हँसते- हँसते देश के लिए प्राण देने वाले माँ भारती के वीर सपूत,अमर क्रांतिकारी शहीद खुदीराम बोस जी को जयंती प
pooja d
विना खड्ग येते लढता बुद्धी शाबूत असेल तर। बुद्धी ही शाबूत राहील जर, शिक्षण असेल तर।। मस्तक कुणापुढे झुकणार नाही शिक्षणाचा खुराक असेल तर।। "शिक्षण" हाच अट्टहास होता तो महामानव खास होता।। शुभ प्रभात लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो कसे आहात? आज राज्यघटनेचे शिल्पकार भाररत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांची आज जयंती आहे आणि भगवान महावीर या
Santosh Jadhav
Mind SMS quotes status messages सुख - दुःख....! सुख आणि दुःख छुपी युती करून.. जीवनाची सत्ता चालवतात आलटून पालटून... सुखाला निमंत्रण दुःखाच्या हातून... हा डाव नियतीचा दोस्तहो घ्या समजून....! सुखदुःखांची चुकवू नका गोळाबेरीज... जीवनात सुखाला नाही गोडी दुःखांखेरीज... दुःखाच्या मातीतंच रुजते सुखाचे बीज... सुखाच्या पावसात दुःख जणू चमचमती वीज...! आयुष्य हा एक असा बाजार... दुःखाला एक नाही सुखाला गिर्हाईक हजार... संकटं आणि आयुष्यातले चढउतार... ह्या तर त्या किल्ल्या ज्या उघडतात समृध्दीचे द्वार...! कधीच खचून जावू नका होवून बेजार... अल्पायुषी असतात अडचणीं.. मानू नका हार... अडथळ्यांचा भवसिंधू करून पार... सुखी समाधानी आयुष्याच्या ऐरावतावर व्हा स्वार....! -संतोष लक्ष्मण जाधव. (९८९००६४००१) #सुख-दुःख..! सुख - दुःख....! सुख आणि दुःख छुपी युती करून.. जीवनाची सत्ता चालवतात आलटून पालटून... सुखाला निमंत्रण दुःखाच्या हातून... हा डा
Sanjeev Prajapati
" अद्भुत अकल्पीय किन्तु सच: आपसे कोई पूछे भारत के सबसे अधिक शिक्षित एवं विद्वान व्यक्ति का नाम बताइए, जो, जो, ० डॉक्टर भी रहा हो, बैरिस्टर भी रहा हो, IPS अधिकारी भी रहा हो, IAS अधिकारी भी रहा हो, विधायक, मंत्री, सांसद भी रहा हो, पत्रकार, फोटोग्राफर भी रहा हो, मोटिवेशनल स्पीकर भी रहा हो, पत्रकार भी रहा हो, ० कुलपति भी रहा हो, ० संस्कृत, गणित का विद्वान भी रहा हो, ० इतिहासकार भी रहा हो, ० समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र का भी ज्ञान रखता है, जिसने काव्य रचना भी की हो! अधिकांश लोग यही कहेंगे - "क्या ऐसा संभव है ?आप एक व्यक्ति की बात कर रहे हैं या किसी स्थान की ?" पर भारतवर्ष में ऐसा एक व्यक्ति मात्र 49 वर्ष की अल्पायु में भयंकर सड़क हादसे का शिकार हो कर इस संसार से विदा भी ले चुका है ! उस व्यक्ति का नाम है डॉ, श्रीकांत जिचकर! 2 जून 1954 (16 सोलवीं पुण्यतिथि पर शत शत नमन ) #river " अद्भुत अकल्पीय किन्तु सच: आपसे कोई पूछे भारत के सबसे अधिक शिक्षित एवं विद्वान व्यक्ति का नाम बताइए, जो, जो, ० डॉक्टर भी रहा हो, ब
Sanjeev Prajapati
" अद्भुत अकल्पीय किन्तु सच: आपसे कोई पूछे भारत के सबसे अधिक शिक्षित एवं विद्वान व्यक्ति का नाम बताइए, जो, जो, ० डॉक्टर भी रहा हो, बैरिस्टर भी रहा हो, IPS अधिकारी भी रहा हो, IAS अधिकारी भी रहा हो, विधायक, मंत्री, सांसद भी रहा हो, पत्रकार, फोटोग्राफर भी रहा हो, मोटिवेशनल स्पीकर भी रहा हो, पत्रकार भी रहा हो, ० कुलपति भी रहा हो, ० संस्कृत, गणित का विद्वान भी रहा हो, ० इतिहासकार भी रहा हो, ० समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र का भी ज्ञान रखता है, जिसने काव्य रचना भी की हो! अधिकांश लोग यही कहेंगे - "क्या ऐसा संभव है ?आप एक व्यक्ति की बात कर रहे हैं या किसी स्थान की ?" पर भारतवर्ष में ऐसा एक व्यक्ति मात्र 49 वर्ष की अल्पायु में भयंकर सड़क हादसे का शिकार हो कर इस संसार से विदा भी ले चुका है ! उस व्यक्ति का नाम है डॉ, श्रीकांत जिचकर! 2 जून 1954 (16 सोलवीं पुण्यतिथि पर शत शत नमन ) #NationalDoctorsDay " #अद्भुत_अकल्पीय_किन्तु_सच: आपसे कोई पूछे भारत के सबसे अधिक शिक्षित एवं विद्वान व्यक्ति का नाम बताइए, जो, जो, ० डॉक
Vandna Sood Topa
#काबुलीवाला भाग6 #काबुलीवाला मेरे माता पिता ने मेरी पढ़ाई खत्म होने के बाद मेरी शादी गाँव के मुखिया की बेटी से कर दी थी।मेरी पत्नी पढ़ी लिखी और मेरी माँ
PARBHASH KMUAR
श्रावण का पवित्र महीना शुरू हो गया है और आज हम श्रावण सोमवार की व्रत कथा लेकर आपके सामने प्रस्तुत हुए हैं, तो चलिए साथ में इस पुण्यदायिनी कथा के बारे में जानते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक नगर में अमीर साहूकार निवास करता था। उसके घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं थी, परंतु संतान न होने के कारण वह अत्यंत दुखी रहता था। संतान प्राप्ति के लिए वह हर सोमवार श्रद्धापूर्वक भगवान शिव जी की उपासना करता था और संध्या के समय मंदिर में जाकर भगवान शिव के समक्ष दीप जलाता था। उसके भक्ति भाव को देखते हुए, एक दिन माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि, हे प्राणनाथ! यह आपका सच्चा भक्त है तथा इतने वर्षों से आपकी पूजा-अर्चना कर रहा है। आप इसे संतान प्राप्ति का वरदान क्यों नहीं दे रहे हैं?माता पार्वती का प्रश्न सुनकर भगवान शिव ने उन्हें बताया कि साहूकार के पिछले जन्म के कर्मों के कारण उसके भाग्य में संतान सुख नहीं लिखा है। यह सुनकर माता पार्वती ने भगवान शिव से आग्रह किया कि वे उस साहूकार को संतान प्राप्ति का वर प्रदान करें। माता पार्वती के आग्रह के बाद भगवान भोलेनाथ ने ये बात मान ली और स्वप्न में उस साहूकार को दर्शन देकर संतान प्राप्ति का वरदान दिया। इसके साथ ही भगवान ने उसे यह भी बताया कि उसका पुत्र अल्पायु होगा और वह केवल 16 वर्ष तक ही जीवित रहेगा। साहूकार को इस बात की हार्दिक प्रसन्नता तो हुई, लेकिन वह संतान को कुछ समय के बाद खोने के विचार से चिंतित हो गया। उसने पूरा वृतांत अपनी पत्नी को सुनाया। पुत्र की अल्पायु के बारे में सुनकर उसकी पत्नी भी अत्यंत दुखी हो गई। यह बात जानकर भी साहूकार ने अपने आराध्य की पूजा अर्चना जारी रखी। कुछ समय पश्चात उसकी पत्नी गर्भवती हो गई और उसने एक सुंदर बालक को जन्म दिया। उन्होंने उस बालक का नाम अमर रखा। जब अमर 11 वर्ष का हुआ तो साहूकार ने उसे अपने मामा के साथ शिक्षा ग्रहण करने के लिए काशी भेज दिया। काशी जाने से पहले, साहूकार ने बालक के मामा को कुछ धन दिया और कहा कि तुम जिस भी मार्ग से जाना वहां यज्ञ और ब्राह्मणों को भोजन अवश्य कराना। इसके बाद दोनों मामा-भांजे काशी की ओर निकल पड़े। यात्रा करते हुए बालक और उसके मामा एक राज्य में विश्राम के लिए रुके। वहां पर राजा की पुत्री का विवाह हो रहा था। परंतु जिस राजकुमार का विवाह उस राजकुमारी से हो रहा था वह एक आंख से काना था और यह बात किसी को पता नहीं थी। राजकुमार के पिता को इस बात की चिंता थी कि अगर राजकुमारी को यह पता चल गया कि राजकुमार एक आंख से काना है तो वह शादी से मना कर देगी। इसलिए जब उसने साहूकार के पुत्र को देखा तो राजकुमार के पिता ने उससे राजकुमार की जगह मंडप में बैठ जाने का आग्रह किया। साथ ही उसने उस बालक से कहा कि वह विवाह के बाद इस भेद के बारे में किसी को न बताएं। अमर, उस राजा की बात मानकर दूल्हे के स्थान पर जाकर मंडप में बैठ गया। इस प्रकार राजकुमारी और बालक का विवाह संपन्न हुआ। विवाह के बाद बालक अपने मामा के साथ काशी के लिए प्रस्थान कर गया। काशी जाने से पहले उस बालक ने राजकुमारी को पत्र के माध्यम से सब सच बता दिया, साथ ही यह भी बताया कि जिस राजकुमार से उसकी विदाई हो रही है वह दरअसल काना है। सत्य जानकार, राजकुमारी ने उस राजकुमार के साथ जाने से मना कर दिया। वहीं दूसरी ओर मामा-भांजे काशी पहुंच गए। वहां कुछ वर्ष रहने के पश्चात् जब वह बालक 16 वर्ष का हुआ तो मामा-भांजे ने एक यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ के समापन के बाद उन्होंने ब्राह्मणों को भोजन भी कराया और दान-दक्षिणा भी दी। इसके पश्चात बालक की तबीयत खराब होने लगी। वह मूर्छित होकर ज़मीन पर गिर गया और उसकी मृत्यु हो गई। जब उस बालक के मामा ने बालक को इस अवस्था में पाया तो वह ज़ोर-ज़ोर से विलाप करने लगे, उसी समय भगवान शिव और माता पार्वती उस मार्ग ©parbhashrajbcnegmailcomm श्रावण का पवित्र महीना शुरू हो गया है और आज हम श्रावण सोमवार की व्रत कथा लेकर आपके सामने प्रस्तुत हुए हैं, तो चलिए साथ में इस पुण्यदायिनी कथ