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Harsh Khanna
नशे में धुत होकर भी न भुला पाया उनको वो, जब किसी ने भी दिल से ना अपनाया उसको , तुफानो से लड़कर लंबी पहाड़ी पे चढ़ ही था वो, परिंदो के बीच जैसे खुशी से झूम उठा वो, बसने का जैसे सोचा ही था वहा उसने, चलते चलते टकरा गया हुस्न की परी से वो, मासूमियत सी झलक रही थी उसकी आँखों मे जो, बस सपनो में डूब के गले से लगा लिया उसको, फिर क्या कमबख्त जल परी समझ के फिर दिल लगा बैठा वो। #yqbaba#yqdidi#नशा#जलपरी#दिल
Parul Sharma
हद से ज्यादा मिठास अच्छी नहीं मिज़ाज में जुबान जायके की एक भुख्खड़ चटोरी है। पारुल शर्मा हद से ज्यादा मिठास अच्छी नहीं मिज़ाज में जुबान जायके की एक भुख्खड़ चटोरी है। पारुल शर्मा #NojotoHindi#TST#NojotoTopicalHindiQuoteStatic#Emot
हद से ज्यादा मिठास अच्छी नहीं मिज़ाज में जुबान जायके की एक भुख्खड़ चटोरी है। पारुल शर्मा Hindi#TST#NojotoTopicalHindiQuoteStaticEmot #nojotohindi #Emotionalhindiquotestatic
read moreरज़ा ख़ान रज़ा
जलपरी की मानिंद हुस्न तेरा लगा मुझको, पानी में जलता हुआ हुस्न दिखा मुझको, 👇 👇 ●रज़ा ख़ान रज़ा Continue.....👇👇
जलपरी की मानिंद हुस्न तेरा लगा मुझको, पानी में जलता हुआ हुस्न दिखा मुझको, 👇 👇 ●रज़ा ख़ान रज़ा Continue.....👇👇 #Shayari #nojotophoto
read moreSHAYARI BOOKS
ये समंदर है जो इतना गहरा है या जलपरी पे पानी का पहरा है। कौरव पांडव दोनों भीतर ही हैं और भीतर ही तो कृष्ण ठहरा है। इस कहानी में जो राम रावण हैं मेरा ही किरदार समझो दोहरा है। आज आईने ने पहले डराया मुझे और फिर बोला मेरा ही चेहरा है। बातें न करो उससे आँखों से तुम वो बेचारा आँखों से गूँगा बहरा है। शक का बादल है तेरी आँखों पे जो ये रिश्तों में दिखता कोहरा है। #NojotoQuote ये समंदर है जो इतना गहरा है या जलपरी पे पानी का पहरा है। कौरव पांडव दोनों भीतर ही हैं और भीतर ही तो कृष्ण ठहरा है। इस कहानी में
ये समंदर है जो इतना गहरा है या जलपरी पे पानी का पहरा है। कौरव पांडव दोनों भीतर ही हैं और भीतर ही तो कृष्ण ठहरा है। इस कहानी में
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- हमे बेवफ़ा को भुलाना पड़ेगा । खुशी के लिए मुस्कराना पड़ेगा ।।१ गला आज अपना दबाना पड़ेगा । नई चोट दिल पर लगाना पड़ेगा ।।२ ज़हर जो घुला है सुनो ज़िन्दगी में । उसे घूट में इक नघाना पड़ेगा ।।३ बहुत कर लिया था यकी बेवफ़ा पर । उसे आज ठोकर लगाना पड़ेगा ।।४ किया इश्क़ है जब सुनो जलपरी से । समुंदर में तुमको जाना पड़ेगा ।।५ अगर हुस्न के तुम दिवाने हुए तो । तुम्हें नाज़ सारा उठाना पड़ेगा ।।६ अगर इश्क़ की दावतें अब मिले तो । प्रखर हैसियत भी बताना पड़ेगा ।। १८/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- हमे बेवफ़ा को भुलाना पड़ेगा । खुशी के लिए मुस्कराना पड़ेगा ।।१
ग़ज़ल :- हमे बेवफ़ा को भुलाना पड़ेगा । खुशी के लिए मुस्कराना पड़ेगा ।।१ #शायरी
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ग़ज़ल :- हमे बेवफ़ा को भुलाना पड़ेगा । खुशी के लिए मुस्कराना पड़ेगा ।।१ गला आज अपना दबाना पड़ेगा । नई चोट दिल पर लगाना पड़ेगा ।।२ ज़हर जो घुला है सुनो ज़िन्दगी में । उसे घूट में इक नघाना पड़ेगा ।।३ बहुत कर लिया था यकी बेवफ़ा पर । उसे आज ठोकर लगाना पड़ेगा ।।४ किया इश्क़ है जब सुनो जलपरी से । समुंदर में तुमको जाना पड़ेगा ।।५ अगर हुस्न के तुम दिवाने हुए तो । तुम्हें नाज़ सारा उठाना पड़ेगा ।।६ अगर इश्क़ की दावतें अब मिले तो । प्रखर हैसियत भी बताना पड़ेगा ।। १८/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- हमे बेवफ़ा को भुलाना पड़ेगा । खुशी के लिए मुस्कराना पड़ेगा ।।१
ग़ज़ल :- हमे बेवफ़ा को भुलाना पड़ेगा । खुशी के लिए मुस्कराना पड़ेगा ।।१ #शायरी
read moreShailendra Shail
Unlock एक तरफ आबादी है, एक तरफ बर्बादी है। खुल चुके हैं मृत्युद्वार, कैसी यह आज़ादी है। हर फैसला सरकारी है, जनता बड़ी आभारी है। राजनीति के स्वागत में, बस चप्पल नही उतारी है। पूरी कविता कमेंट बॉक्स में पढ़े.. ©Shailendra Shail *बीमारी और लाचारी* एक तरफ बीमारी है, एक तरफ लाचारी है। भूखी पड़ी है झोपड़ी, टूटी कमर बेचारी है। एक तरफ व्यापारी है, एक तरफ उधारी है।
*बीमारी और लाचारी* एक तरफ बीमारी है, एक तरफ लाचारी है। भूखी पड़ी है झोपड़ी, टूटी कमर बेचारी है। एक तरफ व्यापारी है, एक तरफ उधारी है। #शायरी #Unlock2021
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल वो सभी तो धनी से मिलते हैं । वो कहाँ आदमी से मिलते हैं ।।१ रात दिन की बेकसी से मिलते हैं । फिर नहीं वो किसी से मिलते हैं ।।२ यार सागर समझ ले तू उनको । आजकल वो सभी से मिलते हैं ।।३ क्या उन्हें हम समझ ले अब कान्हा । इस तरह जो बासुरी से मिलते है ।।४ जाने क्या हो गया सनम को अब । आजकल बेरुखी से मिलते हैं ।।५ वो दिखाकर गये हमें तारा । लौटकर हम तुम्ही से मिलते हैं ।।६ ख़्व़ाब आकर चले गये सारे । अब गले हम ख़ुदी से मिलते हैं ।।७ अब कहीं और जी नहीं लगता । चल उसी जलपरी से मिलते हैं ।।८ यूँ तो घड़ियां गुजार दूँ तुम बिन । डर है की ज़िन्दगी से मिलते हैं ।।९ बीवियाँ अब नहीं सँवरती घर । चल खिली फिर कली से मिलते हैं ।।१० प्यार में इस तरह प्रखर पागल । छोड़ जग गृहिणी से मिलते हैं ।।११ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल वो सभी तो धनी से मिलते हैं । वो कहाँ आदमी से मिलते हैं ।।१
ग़ज़ल वो सभी तो धनी से मिलते हैं । वो कहाँ आदमी से मिलते हैं ।।१ #शायरी
read moreके_मीनू_तोष
अजन्मी कविताएँ असंख्य कविताएँ मेरे भीतर कहीं गहराई में छिपी हैं मानो ब्रह्मांड में छिपे असंख्य सूर्य नहीं खोज पाए अब तक जिन्हें हम कोटि कोटि प्रयत्न रोज़ विफल हुए हैं रहे हैं वंचित इनके प्रकाश से जाने कितनी दिव्यता लिए हुए हैं ये सभी मिल जाएं गर तो क्या से क्या हो जाएं हम कितनी ऊर्जा होगी उनमे या होगी सौम्यता रखते होंगे सामर्थ्य सब भस्म कर देने का या सब बिखरा हुआ सहेज लेने का कितनी ही नव कोपलें खिल उठेंगी इनके उदय से अथवा मुरझा जायेंगे खिले हुए पुष्प संझा में करे कोई खोज तो मिले भी उस अतुलित ब्रह्मांड में अथाह सागर की गहराई में सोई हुई हैं मेरी ये समस्त नन्हीं पारियों सी कविताएँ कोटि कोटि मोती छिपे हो सागर के गर्भ में जैसे शीतल शांत हृदय को असीम ठंडक देने वाली कंठहार बन सौन्दर्य का सृजन करती हुई सी प्रेम गीत गाती किसी जलपरी जैसे ममता का बिछौना बिछाए मीठी लोरिया गुनगुनाती सी उतरे कोई सागर के तल तक गोता लगता तो मिले भी ये अनमोल मोती ©के मीनू तोष (२४ अप्रैल २०१९) अजन्मी कविताएँ असंख्य कविताएँ मेरे भीतर कहीं गहराई में छिपी हैं मानो ब्रह्मांड में छिपे असंख्य सूर्य नहीं खोज पाए अब तक जिन्हें हम कोटि कोट
अजन्मी कविताएँ असंख्य कविताएँ मेरे भीतर कहीं गहराई में छिपी हैं मानो ब्रह्मांड में छिपे असंख्य सूर्य नहीं खोज पाए अब तक जिन्हें हम कोटि कोट #nojotohindi
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