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Arjuna Das
अगर आप ₹600 से 1 टाइम के लिए रजिस्टर करते हो,तो आपको रिटर्न में 1728 रुपए मिलते हैं,यानी (₹1728 - ₹600) = 1,128/- रुपए extra वह भी 6 महीनों में (or) जिसमें आपको 6 महीने इंतजार नहीं करना पड़ता क्योंकि इसमें आपको (weekly) यानी हफ्ते हफ्ते ₹72 रुपए करके मिलता है। अगर सही से समझे तो ₹600 का 12% यानी ₹72 रुपए मिलता है और महीने का देखें तो ₹288...चलिए आइए अच्छा से समझते हैं विषय को (₹288 × 6 month) = ₹1,728/- बनता है! यानी आप खुद देखो,आप ने लगाया कितना और पाया कितना (That's this is magic return) यही है मैजिक रिटर्न ! 9432089348 https://youtu.be/Td9sZW8llOM https://Jayramfundmagicreturn.yelo.red ©Arjuna Das अगर आप ₹600 से 1 टाइम के लिए रजिस्टर करते हो,तो आपको रिटर्न में 1728 रुपए मिलते हैं,यानी (₹1728 - ₹600) = 1,128/- रुपए extra वह भी 6 महीनों
anuj singh
"नादानियां जब हमने की , तब हम भी क्या नादान थे! बढ़ रहा वक्त का कर्ज था, ये जानकर अनजान थे।।" _अनुज सिंह चंद्रौल ©anuj singh ##नादानियां
#काव्यार्पण
तू बेलगाम सा घोड़ा है मै अनुशासन प्रिय नारी हूं तू बेशक गंदा पानी है मैं भागीरथी दुलारी हूं दो बोल जो मीठे बोल दिये तू सर पर मेरे बैठ गया कैसे तूने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। मेरे झुमके के उद्दवेलन से ये पवन सुहानी चलती है एक पल को मैं मुस्काऊं तब ये कच्ची कलियां खिलती हैं जब केश मेरे लहराते हैं तब काली घटा छा जाती है मेरे यौवन से ले सुगंध रति में सुंदरता आती है तू पाप की गठरी जोड़ रहा मैं पुण्य की भागीदारी हूं तूने जब मन को सहलाया मैं उस पल की आभारी हूं तू शहर का शोर शराबा है मैं गांव की कोयल प्यारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 2.तुम वर्तमान की कालिख हो प्रारब्ध की मैं पुरवाई हूं तुम आभासी प्रतिबिंब सदा मैं अंतस की गहराई हूं तुम धूं धूं कर के जलते हो मैं सरिता जैसी बहती हूं तुम टोंका टांकी करते हो मैं पृथ्वी सा सब सहती हूं गर लगे हमारे मुंह तो अब हम दुर्गा ही बन जायेंगे है यू पी पुलिस में धाक बड़ी ऐंटी रोमियो बुलायेगे मैं पति प्राइवेट सेक्टर हूं ना मैं जनहित में जारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 3. ना बातचीत का ढंग तुझे मैं कितनी ही मृदुभाषी हूं तू नॉनस्टॉप-सा म्यूजिक है मैं मौन की बस अभिलाषी हूं है नई नई तेरी दौलत इसलिए तुझे अभिमान हुआ मेरा परिवार सदा से ही संस्कारों से धनवान हुआ है नशा तुझे दौलत का तो ये निश्चय क्षीण हो जायेगा अपनी मृत्यु पर क्या फिर तू पैसे से भीड़ जुटाएगा है ब्राह्मण कुल में जन्म हुआ है गर्व मुझे संस्कारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 4.तुम चाइनीज मोबाईल हो और मैं एप्पल का ब्रांड प्रिये तुम बेशक बादशाह होगे मैं हनी सिंह की फैन प्रिये तुम कपिल की बकबक सुनते हो और मैं बिग बॉस की दर्शक हूं तुम खुद को सलमान समझते हो मैं तुमसे भी आकर्षक हूं हम सीतापुर वाले साहब कट्टाधारी कहलाते हैं यदि बात हमारे प्रेम की हो तो नतमस्तक हो जाते हैं चिंदी चोर चांदनी चौक के तुम मैं नैमिषधाम दुलारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। कवयित्री - प्रज्ञा शुक्ला सीतापुर ©#काव्यार्पण #proposeday #kavyarpan #nojoto #sitapur #HappyRoseDay तू बेलगाम सा घोड़ा है मै अनुशासन प्रिय नारी हूं तू बेशक गंदा पानी है मैं भागीरथी
Murari Shekhar
Jai Prakash
@छोटा सा गांव मेरा पूरा बिग बाजार था एक नाई, एक मोची, एक कालू लुहार था छोटे छोटे घर थे, हर आदमी बड़ा दिलदार था.. कही भी रोटी खा लेते,हर घर में भोजन तैयार था. गांव की हरी सब्जियां बड़े मजे से खाते थे,जिसके आगे शाही पनीर भी बेकार था.. दो मिनट की मैगी ना,झटपट दलिया तैयार था..नीम की निम्बोली और सहतूत सदाबहार था, छोटा सा गांव मेरा पूरा बिग बाजार था.. मुल्तानी माटी से तालाब नहा लेते,साबुन और स्विमिंग पूल बेकार था.. दादी और नानी की कहानी सुन लेते,कहा टेलीविजन और अख़बार था.. भाई भाई को देख कर खुश था, सभी लोगों में बड़ा प्रेम (प्यार ) था.. छोटा सा गांव मेरा पूरा बिग बाजार था..🙏 ©Jai Prakash #story @छोटा सा गांव मेरा पूरा बिग बाजार था..🙏
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satish chandra
प्यार- दुखों का बाजार प्रेमी- दुखों का खरीदार प्रेमिका -दुखों की दुकानदार माता-पिता -बीच की दीवार बहन- सलाहकार भाई -पिटने को तैयार यही है प्यार का बिग बाजार ©satish chandra प्यार का बिग बाजार