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Himanshu Prajapati
Sea water आए थे मेरी जिंदगी में जैसे खुशियों का दूत हो, मुझ में समाये ऐसे जैसे पीपल का भूत हो, मिले ऐसे जैसे ज्यादा खरीदारी पर छूट हो, साथ बनी ऐसी तस्वीर जैसे सूट हो, कोई यकीन ही नहीं कर रहा है अब हमारी मोहब्बत पर सबको ऐसे लगता है जैसे ये सब झूठ हो..! ©Himanshu Prajapati #Seawater आए थे मेरी जिंदगी में जैसे खुशियों का दूत हो, मुझ में समाये ऐसे जैसे पीपल का भूत हो, मिले ऐसे जैसे ज्यादा खरीदारी पर छूट हो, साथ ब
Ravendra
AJAY NAYAK
माँ बदन को ढककर चीथड़ों से सूट बूट का आदमी बना दिया एक गज जमीं बेटे को मिल सके डोम को आखिरी चिर दे दिया। कोई उस मूरत को मां बुलाए, तो कोई उसे बुलाए माई नाम से अलग अलग जबान, अलग अलग नाम फिर भी उसकी एक ही पहचान। बात जब जब ख़ुद पर आई पचा लिया सारे दुःख दर्द बात जब जब आई बच्चों की लड़ गयी अपने ही सुहाग से । थोड़ा भी जान नहीं है शरीर में इस पड़ाव में पैरों ने भी धोखा दे दिया फिर भी कूद पड़ी पलंग से माँ कहकर बच्चों ने जो पुकार लिया । - अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #motherlove माँ बदन को ढककर चीथड़ों से सूट बूट का आदमी बना दिया एक गज जमीं बेटे को मिल सके डोम को आखिरी चिर दे दिया। कोई उस मूरत को मां
gaTTubaba
मिट्टी से इतनी नफ़रत क्यों? मिट्टी से इतनी आफत क्यों? ये मिट्टी ही तुझको खाना खिलाएं सुन रे आदमी ओ बड़े आदमी मिट्टी में तुझको एक दिन हैं मिल जाना तुझे भी एक दिन मिट्टी हैं बन जाना! सूट तेरा महंगा मिट्टी से हैं सांस तेरी आती जाती मिट्टी की देन घर तेरा महंगा मिट्टी में बसता जड़े तेरी सारी मिट्टी में हैं सुन रे आदमी ओ बड़े आदमी मिट्टी में तुझको एक दिन हैं मिल जाना तुझे भी एक दिन मिट्टी हैं बन जाना! घमंड ना कर आसमानों में बसेरा हैं गिर जाएगा जिस दिन मिट्टी ही सहारा हैं मर्जी तेरी तू उसको याद ना कर उसमें ही एक दिन तुझको समाना हैं सुन रे आदमी ओ बड़े आदमी मिट्टी में तुझको एक दिन हैं मिल जाना तुझे भी एक दिन मिट्टी हैं बन जाना! जिंदा हैं तो खिलाती हैं मौत के बाद भी सुलाती हैं वहीं हैं तेरे काया का घर मिट्टी की अपनी हिफाजत कर सुन रे आदमी ओ बड़े आदमी मिट्टी में तुझको एक दिन हैं मिल जाना तुझे भी एक दिन मिट्टी हैं बन जाना! ©gaTTubaba #agni मिट्टी से इतनी नफ़रत क्यों? मिट्टी से इतनी आफत क्यों? ये मिट्टी ही तुझको खाना खिलाएं सुन रे आदमी ओ बड़े आदमी मिट्टी में तुझको एक दिन
N S Yadav GoldMine
बूड्ढी बैट्ठी घर के बाहरणे छोरी पतासे बाट्टण आई। करले दादी मुह नैं मिट्ठा मेरी मां की कोथली आई। {Bolo Ji Radhey Radhey} बूड्ढी बोल्ली के खाउं बेट्टा, घर की बणी या चीज कोन्या। सारे त्योहार बाजारु होगे, ईब पहले आली तीज कोन्या। कोथली तो वा होवै थी जो म्हारे टैम पै आया करती। सारी चीज बणा कै घरनै मेरी मां भिजवाया करती। पांच सात सेर कोथली मैं, गुड़ की बणी सुहाली हो थी। गैल्या खांड के खुरमें हो थे, मट्ठी भी घर आली हो थी। सेर दो सेर जोवे हों थे, जो बैठ दोफारे तोड्या करती। पांच सात होती तीळ कोथली मैं, जो बेटी खातर जोड़्या करती। एक बढिया तील सासू की, सूट ननद का आया करता। मां बांध्या करती कोथली, मेरा भाई लेकै आया करता। हम ननद भाभी झूल्या करती, झूल घाल कै साम्मण की। घोट्या आली उड़ै चुंदड़ी, लहर उठै थी दाम्मण की। डोलै डोलै आवै था, भाई देख कै भाज्जी जाया करती। बोझ होवै था कोथली मैं, छोटी ननदी लिवाया करती। बैठ साळ मैं सासू मेरी, कोथली नैं खोल्या करती। बोझ कितना सै कोथली मैं, आंख्या ए आंख्या मैं तोल्या करती। फेर पीहर की बणी वे सुहाली, सारी गाल मैं बाट्या करती। सारी राज्जी होकै खावैं थी, कोए भी ना नाट्या करती। कोथली तो ईब भी आवै सै, गैल्या घेवर और मिठाई। पर मां के हाथ की कोथली सी, मिठास बेबे कितै ना पाई। सावन की कोथली और तीज की बधाई।🌳🌴🌳🌴🙏🙏 N S Yadav GoldMine 🌹🌹🙏🙏🌹🌹 ©N S Yadav GoldMine #DiyaSalaai बूड्ढी बैट्ठी घर के बाहरणे छोरी पतासे बाट्टण आई। करले दादी मुह नैं मिट्ठा मेरी मां की कोथली आई। {Bolo Ji Radhey Radhey} बूड्ढी
Aftab
आइना सामने रखोगे तो याद आऊँगा अपनी ज़ुल्फ़ों को सँवारोगे तो याद आऊँगा रंग कैसा हो ये सोचोगे तो याद आऊँगा जब नया सूट ख़रीदोगे तो याद आऊँगा भूल जाना मुझे आसान नहीं है इतना जब मुझे भूलना चाहोगे तो याद आऊँगा ●●● राजेन्द्र नाथ 'रहबर' ©Aftab आइना सामने रखोगे तो याद आऊँगा अपनी ज़ुल्फ़ों को सँवारोगे तो याद आऊँगा रंग कैसा हो ये सोचोगे तो याद आऊँगा जब नया सूट ख़रीदोगे तो याद आऊँगा