Find the Latest Status about त्या from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, त्या.
aaj_ki_peshkash
Devanand Jadhav
.......... ©Devanand Jadhav #MahavirJayanti अहिंसा परमो धर्म: ...जगाला शांती, अहिंसा व सत्य यांचा मार्ग दाखविणारे भगवान महावीर हे जैन धर्माचे 24 वे तिर्थकार आहेत...त्य
Bharat Bhushan pathak
White क्षमा,दया,तप,त्याग,मनोबल, बस भारत की सीख यही। करना मेहनत पसन्द हमें ,सुनें कभी भी भीख नहीं।। क्षमा,दया जो हमको प्यारा, दुर्बल हम हैं मत समझें । प्रीत करें हम सबसे पर जी,अवसर पर घातक समझें।। ©Bharat Bhushan pathak #VoteForIndia क्षमा,दया,तप,त्याग,मनोबल, बस भारत की सीख यही। करना मेहनत पसन्द हमें ,सुनें कभी भी भीख नहीं।। क्षमा,दया जो हमको प्यारा, दुर्ब
चौधरी पंकज सिंह
रामनवमी की शुभकामनाएं :- —————————— आप समस्त देशवासियों को चौधरी लीगल सर्विसेज की तरफ से मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जन्मोत्सव के पावन पर्व “श्री रामनवमी" की हार्दिक शुभकामनाएँ। भगवान श्री राम ने जीवन में आदर्श, त्याग, सत्य, नैतिकता, न्याय और निष्ठा के प्रतिमान स्थापित किए हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम का जीवन चरित्र समस्त मानव जाति के लिए एक आदर्श एवं कल्याणकारी है। #advocatepankajsingh ©चौधरी पंकज सिंह #navratri रामनवमी की शुभकामनाएं :- —————————— आप समस्त देशवासियों को चौधरी लीगल सर्विसेज की तरफ से मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जन्मोत्
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया ताला मुँह पर मैं लगा , बैठा अब तक यार । सोचा था अनमोल है , प्रेम जगत व्यहवार ।। प्रेम जगत व्यहवार , इसी में जीवन फलता । लेकिन पग-पग आज , हमारा जीवन जलता ।। त्याग छोड़ व्यहवार , समय कहता है लाला । बुजदिल समझें लोग , देखकर मुँह पर ताला ।। १२/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया ताला मुँह पर मैं लगा , बैठा अब तक यार । सोचा था अनमोल है , प्रेम जगत व्यहवार ।। प्रेम जगत व्यहवार , इसी में जीव
Santosh Jangam
Bhupendra Rawat
Beautiful Moon Night आस्था के प्रतीक है, राम लेकिन, क्या राम का भवन बनने से राम राज्य बन जायेगा? भगवा धारण करके क्या, कलयुगी मनुष्य राम बन पायेगा? राम का ध्वज फहराने से क्या, हर द्वार राम समायेगा? माथे पर तिलक लगाने से क्या, प्रभु राम कहा जायेगा? इतना सब करने के पश्चात क्या, राम जैसा व्यक्तित्व बना पाओगे। जिसकी पूजा करते हो क्या, उसके आदर्श पथ पर स्वयं को अग्रसित कर पाओगे। बड़ा साम्राज्य के स्वार्थ को त्यागकर क्या, एक भिक्षुक बन पाओगे ©Bhupendra Rawat #beautifulmoon आस्था के प्रतीक है, राम लेकिन, क्या राम का भवन बनने से राम राज्य बन जायेगा? भगवा धारण करके क्या, कलयुगी मनुष्य
Mahadev Son
आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म "मन" का, मरण " तन" का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेगा "मन", इस तन से "मन" चंचल पर अज़र बस निर्भर कर्मों पर कर्म होंगें जैसे "मन" जन्म का "तन" पायेगा वैसे जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू हिसाब किताब सब यहाँ होता पैसों से वैसे मन का होता वहाँ सब कर्मों से पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से चंचल "मन" को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस "तन" को ...! ©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना तय उसका सफर यही तक का यही तेरी ही भूल थी त्याग देगा भर जायेग
Mahadev Son
आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर जायेगा मन, इस तन से मन चंचल पर अज़र है बस निर्भर है कर्मों पर कर्म होंगें जैसे मन जन्म भी तन का पायेगा वैसे जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू हिसाब किताब यहाँ पैसों से होता जैसे वहाँ कर्मों से गणित मन का होता पायेगा क्या भोगेगा क्या फिर से मन को भी न मालूम होता..... वर्ना छोड़ता न कभी इस तेरे तन को... ©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ सृजन हुआ जिसका नष्ट होना भी तय उसका सफर यही तक का था ये तेरी भूल थी त्याग देगा तन भर
Mahadev Son
आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ यही जीवन चक्र सृजन हुआ जिसका नष्ट भी होना तय उसका सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी त्याग देगा, भर जायेगा, मन इस तन से मन तो अज़र है बस कर्मों पे निर्भर है कर्म अच्छे होंगें जितने तन पायेगा वैसा जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू गणित यहाँ माया का वहाँ कर्मों का हिसाब किताब जैसा वैसा तन पायेगा भोगेगा क्या फिर से मन को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस तन को ©Mahadev Son आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ यही जीवन चक्र सृजन हुआ जिसका नष्ट भी होना तय उसका सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी त्याग द