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जगदीश कैंथला

उपसर्ग,प्रत्यय #बात

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जगदीश कैंथला

उपसर्ग व प्रत्यय #बात

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vishnu prabhakar singh

जिस तरह समाजवाद का उपसर्ग परिवारवाद,उसी तरह नैतिकता का उपसर्ग बदलाव। #गुमहोजाताहै #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with Y #विप्रणु

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गुम हो जाता है
परस्पर अपेक्षा में
काबिज़ चलन में
उपसत्य जो है

गुम हो जाता है
धन अर्जन में
रीती के टेक में
उपवंश जो है

गुम हो जाता है
विकास के दौर में
संयत के तौर में
उपयोग जो है

गुम हो जाता है
पुत्र के मोह में
मित्र के जोह में
उपहार जो है

गुम हो जाता है
सेवा के भाव में
मेवा के चाव में
उपचित्त जो है जिस तरह समाजवाद का उपसर्ग परिवारवाद,उसी तरह नैतिकता का उपसर्ग बदलाव।



#गुमहोजाताहै #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with Y

Anupama Jha

"काश" इच्छाओं का उपसर्ग है और 
"आस" प्रत्यय । #काश #आस #उपसर्ग #प्रत्यय #yqdidi #hindiquote #हिंदीकोट्स

Vivek Kumar Singh

उनतीस दिनों की फरवरी #Vks #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqmuzaffarpur #February #yqvks

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अट्ठाईस तारीख़ के बाद ही एक तारीख़ आ जाती और तनख़्वाह मिल‌ जाती। इस बार फरवरी में मौसम में ज्यादा बदलाव होने के कारण पिताजी और छुटके की तबीयत खराब हो गई थी। उनके इलाज़ में ही काफ़ी पैसे लग गए। बहुत डर गया था मैं। उनकी तबीयत अब तो ठीक है पर कर्ज़ हो गया है कुछ। अभी एक तारीख़ आ जाती तो तनख़्वाह से कुछ राहत मिलती। पर नहीं, इसी साल फरवरी में उनतीस दिन होने थे। एक-एक दिन पहाड़ जैसा लगता है जब जेब में पैसे नहीं होते। कल छुटके ने चॉकलेट लाने के लिए कहा था पर पैसे थे नहीं और उधार लेने में ख़राब लग रहा था। बहुत हिम्मत करके दुकान वाले से मांगा पर उसने मंदी की बात बोलकर देने से मना कर दिया। शर्म के कारण छुटके के सोने के बाद घर गया। बेचारा बाट जोहते-जोहते सो गया था। सुबह भी उसके जगने से पहले मैं घर से निकल गया। पिताजी के भी रोज़ के खर्च हैं कुछ। उनसे भी नज़र बचाकर निकलना पड़ता है। काश! इस साल फरवरी में अट्ठाईस दिन ही होते, जिससे ज़ल्दी तनख़्वाह मिल‌ जाती। उनतीस दिनों की फरवरी #vks #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqmuzaffarpur #february #yqvks

Vedantika

उपसर्ग का प्रयोग: अति- बहुत ज्यादा गैरजिम्मेदार- लापरवाह विशेष- खास निसन्देह- बिना किसी शक के

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अति काम मद लोभ में देखो मनुष्य गया हार
देव के भेष में राक्षसों की हो रही जय-जयकार
मानवता का हुआ हनन सब देख रहे है निःशब्द
खुद पर संकट आएगा तो चिल्लाएंगे सब

गैरजिम्मेदार सब हुए एक दूसरे को रहे ताक
कौन सुधारे खुद को घूम रहे सब बेबाक
मान मनोव्वल चाहिए झूठे हो जज्बात
दिल खोल बता रहे एक दूसरे की बात

विशेष बन कर रह रहे दुनिया मे धनवान
गरीब की पीड़ा से रहे हरदम ये अंजान
चलते रहे जो मखमली कालीन पर सदा
कैसे सहे पथरीली जमीन के निशान

निसन्देह इस संसार मे सब नहीं एक जैसे
जीवन की कठिन डगर पार होगी कैसे
प्रश्न बड़ा ही है कठिन उत्तर ना जाने कोई
ईश्वर की शक्ति के आगे राह आसान बन जाई उपसर्ग का प्रयोग:

अति- बहुत ज्यादा
गैरजिम्मेदार- लापरवाह
विशेष- खास
निसन्देह- बिना किसी शक के

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रमज़ान कोरा काग़ज़ 2022 उनतीस -रचना👉रहमत_का_दिन #tarunasharma0004 #hindipoetry #trendingquotes #KKRरहमतकादिन #collabwithकोराकाग़ज़ रमज़ #कोराकाग़ज़ #रमज़ानकोराकाग़ज़ #KKR2022

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रहमत का दिन,
मेरे श्याम की जब अपने बंदो पर रहमत
होगी,उसके करिश्में से ये दुनिया भी सहमत 
होगी,तुम्हे मनायेंगे हम जब तलक इस 
काया में हमारी सांसे होगी, 

चौखट से न तुम्हारी न हम जायेंगे जब 
तलक तुम को न मना पायेंगे,शौक से 
लो तुम हमारी जितनी भी परीक्षा बस 
नाम तुम्हारे के सहारे हर परीक्षा हम 
पार कर जायेंगे, 

जब तलक ये दुनिया रहे हमारी लगन 
लगी तुम्हारे चरण शरण की वो कभी 
न छूटे,यकीन है हमें एक न एक दिन 
तुम्हारी रहमतों की हम पर भी बरसात 
होगी, 
हमारी बंदगी की आस है तुमसे कभी 
न दामन में हमारे टूटकर चकनाचूर 
होगी,
 रमज़ान कोरा काग़ज़ 2022
उनतीस -रचना👉रहमत_का_दिन
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Pawan__P.K__887

उपसर्ग याद करे मिनटों में 🧡🤍💚👮👮💯💯🥰😊 #Society

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यशवंत कुमार

वो चेहरा "तुम्हारा " है। मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का मेरी तन्हाईयों का मेरी परछाईयों का

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वो चेहरा 'तुम्हारा' है

मेरी बातों का
मेरे जज्बातों का
मेरे ख्यालों का
मेरे सवालों का

Read in caption...
 वो चेहरा "तुम्हारा " है।

मेरी बातों का
मेरे जज्बातों का
मेरे ख्यालों का
मेरे सवालों का
मेरी तन्हाईयों का
मेरी परछाईयों का

Rohit Potdar

का बरं का ?

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का बरं
   का ?


"Koni Pratyaksha pyeksha Gelyavarach jasta prem jaanavte."

Haa difference vedich sarkavta aala nahi.
Tar aayushya aani tyatli loko, fakt aathvan mahnun rahun jhatil aani tasecha jagave lagtil. का बरं का ?
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