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vishnu prabhakar singh
गुम हो जाता है परस्पर अपेक्षा में काबिज़ चलन में उपसत्य जो है गुम हो जाता है धन अर्जन में रीती के टेक में उपवंश जो है गुम हो जाता है विकास के दौर में संयत के तौर में उपयोग जो है गुम हो जाता है पुत्र के मोह में मित्र के जोह में उपहार जो है गुम हो जाता है सेवा के भाव में मेवा के चाव में उपचित्त जो है जिस तरह समाजवाद का उपसर्ग परिवारवाद,उसी तरह नैतिकता का उपसर्ग बदलाव। #गुमहोजाताहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with Y
Anupama Jha
"काश" इच्छाओं का उपसर्ग है और "आस" प्रत्यय । #काश #आस #उपसर्ग #प्रत्यय #yqdidi #hindiquote #हिंदीकोट्स
Vivek Kumar Singh
अट्ठाईस तारीख़ के बाद ही एक तारीख़ आ जाती और तनख़्वाह मिल जाती। इस बार फरवरी में मौसम में ज्यादा बदलाव होने के कारण पिताजी और छुटके की तबीयत खराब हो गई थी। उनके इलाज़ में ही काफ़ी पैसे लग गए। बहुत डर गया था मैं। उनकी तबीयत अब तो ठीक है पर कर्ज़ हो गया है कुछ। अभी एक तारीख़ आ जाती तो तनख़्वाह से कुछ राहत मिलती। पर नहीं, इसी साल फरवरी में उनतीस दिन होने थे। एक-एक दिन पहाड़ जैसा लगता है जब जेब में पैसे नहीं होते। कल छुटके ने चॉकलेट लाने के लिए कहा था पर पैसे थे नहीं और उधार लेने में ख़राब लग रहा था। बहुत हिम्मत करके दुकान वाले से मांगा पर उसने मंदी की बात बोलकर देने से मना कर दिया। शर्म के कारण छुटके के सोने के बाद घर गया। बेचारा बाट जोहते-जोहते सो गया था। सुबह भी उसके जगने से पहले मैं घर से निकल गया। पिताजी के भी रोज़ के खर्च हैं कुछ। उनसे भी नज़र बचाकर निकलना पड़ता है। काश! इस साल फरवरी में अट्ठाईस दिन ही होते, जिससे ज़ल्दी तनख़्वाह मिल जाती। उनतीस दिनों की फरवरी #vks #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqmuzaffarpur #february #yqvks
Vedantika
अति काम मद लोभ में देखो मनुष्य गया हार देव के भेष में राक्षसों की हो रही जय-जयकार मानवता का हुआ हनन सब देख रहे है निःशब्द खुद पर संकट आएगा तो चिल्लाएंगे सब गैरजिम्मेदार सब हुए एक दूसरे को रहे ताक कौन सुधारे खुद को घूम रहे सब बेबाक मान मनोव्वल चाहिए झूठे हो जज्बात दिल खोल बता रहे एक दूसरे की बात विशेष बन कर रह रहे दुनिया मे धनवान गरीब की पीड़ा से रहे हरदम ये अंजान चलते रहे जो मखमली कालीन पर सदा कैसे सहे पथरीली जमीन के निशान निसन्देह इस संसार मे सब नहीं एक जैसे जीवन की कठिन डगर पार होगी कैसे प्रश्न बड़ा ही है कठिन उत्तर ना जाने कोई ईश्वर की शक्ति के आगे राह आसान बन जाई उपसर्ग का प्रयोग: अति- बहुत ज्यादा गैरजिम्मेदार- लापरवाह विशेष- खास निसन्देह- बिना किसी शक के
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रहमत का दिन, मेरे श्याम की जब अपने बंदो पर रहमत होगी,उसके करिश्में से ये दुनिया भी सहमत होगी,तुम्हे मनायेंगे हम जब तलक इस काया में हमारी सांसे होगी, चौखट से न तुम्हारी न हम जायेंगे जब तलक तुम को न मना पायेंगे,शौक से लो तुम हमारी जितनी भी परीक्षा बस नाम तुम्हारे के सहारे हर परीक्षा हम पार कर जायेंगे, जब तलक ये दुनिया रहे हमारी लगन लगी तुम्हारे चरण शरण की वो कभी न छूटे,यकीन है हमें एक न एक दिन तुम्हारी रहमतों की हम पर भी बरसात होगी, हमारी बंदगी की आस है तुमसे कभी न दामन में हमारे टूटकर चकनाचूर होगी, रमज़ान कोरा काग़ज़ 2022 उनतीस -रचना👉रहमत_का_दिन #tarunasharma0004 #hindipoetry #trendingquotes #KKRरहमतकादिन #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़
यशवंत कुमार
वो चेहरा 'तुम्हारा' है मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का Read in caption... वो चेहरा "तुम्हारा " है। मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का मेरी तन्हाईयों का मेरी परछाईयों का