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Shreyansh Gaurav
White "दोस्तों के नाम चंद लम्हें है" मुझे तुम आज के वक़्त की नज़र से मत देख मिरे दोस्त मैंने जब भी दिया केवल साथ दिया जलील नहीं किया..! इक़ तुम हो ज़रा सी शाबाशी पर आसमां छेदते हो यहाँ मिरे हौंसले का ऐतबार कर, गिरता मकां संभाल रखा है.! हमनें लोग नहीं दोस्त कमायें है आजतक,पता कर तु भी अपने गिरेबाँ में झांक कभी तु भी, देख क्या बचा रखा है.! ज़रा सी बात पर जाहिलियत पे उतर आता है कभी कभी बहुत दौलत वालों को देखा है,क्या तु इंसान कमा रखा है.! इंसान को अब इतना भी हल्का नहीं होना चाहिये, सुन हल्की उल्टी हवा चली,बाहर आ गयीं,गुबार ज़मा रखा है.! धीरज रख मेरे यार, तु तो आतताई होता जा रहा है अब सब यहाँ तेरी तरह ही है,क्या तु ख़ुद को ख़ुदा बना रखा है.! मुझे देखते है सब यहाँ,जानते बहुत कम है,पता कर तु हो सकता है अभी हवा में है तु,मैंने तूफ़ा संभाल रखा है.!! ©Shreyansh Gaurav #दोस्त
Diya
Unsplash एक दोस्त मिला है ऐसा जो मुझे जीना सीखा रहा है, मुझे बेशकीमती बनाकर, आसमान का सितारा कह रहा है, खुद कांटों में रहकर , मेरे लिए फूलों की राह सजा रहा है, मेरी आँखों में एक भी आँसू ना आए इसलिए, मेरे सारे आँसू ,अपनी आंखों में ले रहा है, ऐसे दोस्त ईश्वर सबको दे,जो मेरा दोस्त बन कर सारे फर्ज निभा रहा है। ©Diya एक दोस्त मिला है ऐसा जो मुझे जीना सीखा रहा है, मुझे बेशकीमती बनाकर, #आसमान का सितारा कह रहा है, खुद #कांटों में रहकर , मेरे लिए फूलों की र
Nandini Yadav
White हम जैसों का ठिकाना ना रहा इस दौर में मोहब्बत का ज़माना ना रहा मोहब्बत चांद रूपयों की मोहताज हो गई है इस ज़माने में सच्चे मोहब्बत का अफ़साना ना रहा हम जैसे दीवानों के रहने का कोई आशियाना ना रहा कहां-कहां भटकते रहेंगे हम काफिरों की तरह इस ज़माने में हमारा कोई अपना ना रहा ©Nandini Yadav हम जैसों का ठिकाना ना रहा
हम जैसों का ठिकाना ना रहा
read moreसंजय जालिम " आज़मगढी"
White सफ़र जिंदगी यूँ ही चलता रहे अजनबी अपने साथी बनते रहे अपने सभी सिर्फ स्वार्थ के रिश्तें हर राहों में सच्चे दोस्त मिलते रहे ©संजय जालिम " आज़मगढी" # दोस्त #
# दोस्त #
read moreRajesh Sharma
White अरे, देखो समझदार बन रहा हु मैं पहले किसी भी आघात से मायूस हो जाता था देखो अब हस रहा हु मैं पहले दिल लगा लिया करता था इंसानों से अब उनका दिमाग पढ़ रहा हु मैं देखो ना समझदार बन रहा हु मैं कभी दूसरों के सपनों के लिये जिया हूं अब खुद के सपने बुन रहा हूं मैं देखो ना समझदार बन रहा हु मैं ठोकरें भी जरूरी है संभलने के लिए लगता है अब संभल रहा हु मैं देखो ना समझदार बन रहा हु मैं ©Rajesh Sharma देखो ना समझदार बन रहा हूं # sad poetry hindi poetry on life
देखो ना समझदार बन रहा हूं # sad poetry hindi poetry on life
read moreDev Rishi
मिलते वक्त पर कोई न था तुम थे कश भर कश रहा...!! ©Dev Rishi दोस्त शायरी
दोस्त शायरी
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