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विष्णुप्रिया
गहन ध्यान में शिव बैठे है तुम्हारे ही अंतस में.... द्वार खोल कर उतरो भीतर, पाओ दर्शन ऊर में... ना मैं व्रत में ना मैं पूजा उपवास में, मोको कहाँ ढूंढे रे बन्दे मैं तो तेरे पास में.... #yqdidi #shiva #आत्मदर्शन #शिव #हिंदीqoutes #विष्ण
Kulbhushan Arora
वर्षा (varu...) खोज दिल हर रोज़, तुझे तो स्वयं की है खोज😍 Dedicating a #testimonial to वर्षा ✨ (खोज:स्वयं की) *बंदे खोज दिल हर रोज ना फिर परेसानी माहि ॥ इह जु दुनीआ सिहर मेला दसतगीरी नाहि ।। दिल को
Kulbhushan Arora
भोर का स्नेहिल स्पर्श, मन की पलकों पे.... उजाले का पवित्र चुम्बन, मन की पवित्रता में, *कृष्ण* के आत्मदर्शन, उजियारा स्नेह बरसाता, मन में
Kulbhushan Arora
भोर का स्नेहिल स्पर्श, मन की पलकों पे.... उजाले का पवित्र चुम्बन, मन की पवित्रता में, *कृष्ण* के आत्मदर्शन, उजियारा स्नेह बरसाता, मन में
Kulbhushan Arora
भोर का स्नेहिल स्पर्श, मन की पलकों पे.... उजाले का पवित्र चुम्बन, मन की पवित्रता में, *कृष्ण* के आत्मदर्शन, उजियारा स्नेह बरसाता, मन में
Kulbhushan Arora
भोर का स्नेहिल स्पर्श, मन की पलकों पे.... उजाले का पवित्र चुम्बन, मन की पवित्रता में, *कृष्ण* के आत्मदर्शन, उजियारा स्नेह बरसाता, मन में
Kulbhushan Arora
एक सुझाव दुविधा है, अक्सर होती है मन कुछ कहता बुद्धि कुछ और कहती है मन बुद्धि का ये संघर्ष आदिम संघर्ष है क्या इसमें पिसना नियति है? ये *कु* और *सु* का संघर्ष है प्रतिदिन प्रतिपल का महाभारत है इस संघर्ष से मुक्ति पाना ही मनुष्य का दायित्व है । अंतरसंघर्ष से मुक्त होने को आत्मदर्शन करते हुए हम क्षण क्षण परिवर्तित होते मन का दर्शन करते जायेंगे अन्तर्मन में स्वत:परिवर्तन पाएंगे क्रोध,अहंकार, तृष्णाएँ और वासनाएं इन सब पे नियंत्रण कर पाएंगे।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 दुविधा है, अक्सर होती है मन कुछ कहता बुद्धि कुछ और कहती है मन बुद्धि का ये संघर्ष आदिम संघर्ष है क्या इसमें पिसना नियति है? ये *कु* और *सु*
Kulbhushan Arora
भोर का स्नेहिल स्पर्श— % & सुप्रभात🙏🙏🙏🙏 भोर का स्नेहिल स्पर्श, मन की पलकों पे.... उजाले का पवित्र चुम्बन, मन की पवित्रता में, *कृष्ण* के आत्मदर्शन, उजियारा स्नेह बरस
kaushik
कणाद एक ऋषि थे। वायुपुराण में उनका जन्म स्थान प्रभास पाटण बताया है। स्वतंत्र भौतिक विज्ञानवादी दर्शन प्रकार के आत्मदर्शन के विचारों का सबसे पहले महर्षि कणाद ने सूत्र रूप में लिखा। - caption में पढ़िए कणाद एक ऋषि थे। वायुपुराण में उनका जन्म स्थान प्रभास पाटण बताया है। स्वतंत्र भौतिक विज्ञानवादी दर्शन प्रकार के आत्मदर्शन के विचारों का सबसे