Find the Latest Status about वर्धमान from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, वर्धमान.
raju hirave
Rajab
Anant Jain
Read in Captions a poem तीर्थंकर महावीर (कविता): जो क्षमा मांगे वो वीर, जो दया करे, वो अतिवीर, जो सद्बुद्धि दे, वो सन्मति, जो गुणों में वृद्धि करे, वो वर्धमान, जो क
Yashavant Meena
www.hinditakniki.comए ©Yashavant Meena 👉🏻वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (VMOU) कोटा में सत्र जनवरी 2022 के एडमिशन की शुरूआत हो गई ||⤵️⤵️ http://www.hinditakniki.com/2022/01/vm
Rajat Jain
हिंसा पीड़ित विश्व आज महावीर ही ताकता हैं। वर्तमान को वर्धमान की आवश्यकता हैं।। आज के समय मे जब कोरोना नामक बीमारी से अत्यधिक मानव हिंसा देखने को मिल रही है तब महान सगीतकार एवं निदेशक रविन्द्र जैन जी के गीत की पक्तियां
Divyanshu Pathak
रिश्तों का मायाजाल -------------------------- माया ईश्वर की शक्ति है।बन्धन का कारण है।जीवन के हर आयाम को पूरा करने के लिए माया ही सहयोग करती है।हम सभी माया प्राप्त करने के लिए ही सुबह उठते हैं।माया प्राप्त करने के लिए ही प्रयत्न करते है।उम्र भर माया की परिधि में घिरे रहते है।संसार और बाज़ार में ज़्यादा अंतर नहीं है।वहाँ वस्तुओं का व्यापार है यहाँ व्यवहार का।अफ़सोस कि हम प्यार का भी व्यापार करने लग जाते हैं।यह रिश्तों के रूप में फलता फूलता है।एक दूसरे के लिए ख़ास होने लगते हैं।कभी ठेस लगती है तो उदास होने लगते हैं।कभी कभी ऐसा क्षण भी आता है कि हम निपट अकेले रह जाते हैं तब सोचते हैं कि यह रिश्तों का मायाजाल है जो हमें दुःख दे रहा है।हम छटपटाते हैं।इसकी जंजीरें तोड़कर बाहर निकलना चाहते हैं।सिद्धार्थ और वर्धमान के साथ ही मूलशंकर जी के जीवन में यही घटित हुआ उन्होंने माया की परिधि को तोड़ा और वे बुद्ध एवं महावीर के साथ ही स्वामीदयानन्द के रूप में समाज के सामने आए। रिश्तों का मायाजाल -------------------------- माया ईश्वर की शक्ति है।बन्धन का कारण है।जीवन के हर आयाम को पूरा करने के लिए माया ही सहयोग करती
काव्याभिषेक
ये जो संत हैं , साक्षात् अरिहन्त हैं । ये जो #संत हैं , साक्षात् #अरिहंत हैं। मेरे भगवन्त हैं , अनादि अनन्त हैं । वीतराग #संत हैं, स्वयं एक पंथ हैं। दीप ये ज्वलंत हैं, चारित्र की
AB
" प्रिय शैलजा " ( अनुशीर्षक ) _________________________________________________ जन्मदिनमिदम् अयि प्रिय सखे । शं तनोतु ते सर्वदा मुदम् ॥ अर्थ – हे प्रिय मित्र, यह जन्मदि