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Dinesh Yadav
हे नारी! डरो मत तेरे साथ है दुनियां सारी तु तो पहले से लड़ रही हो सीता कभी द्रौपदी बन कभी झांसी की रानी। कभी फूलन देवी तो कभी मणिपुर की आम नारी तेरे लड़ने का है सिलसिला जारी उठो रण चंडी बन जाओ अब न देर करो राह देख रही दुनियां सारी। ©Dinesh Yadav रणचंडी बन जाओ हे भारत की नारी!
रणचंडी बन जाओ हे भारत की नारी! #कविता
read morevikas Mourey
चली चली रणचंडी करने विनाश रे। दुष्टों को मारने भक्तों को तारने। चली चली रणचंडी करने विनाश रे....। देव लोक भू लोक करते त्राहिमाम रे। चली चली रणचंडी..... विनाश रे। सूरज कापे धरती कापे, कापे आसमान रे। नंदी कापे, भृंगी कापे,कापे कैलाश राज रे। चली चली रणचंडी.... विनाश रे। गले मुंड माल है, हाथ खड़क भाल है। क्रोध की ज्योति से करती प्रकाश है। दैत्य मारे दानव मारे, मारे असुरों के राज रे। चली चली रणचंडी.... विनाश रे। काली काली रात है जोगनिया साथ है, कांप उठा पाताल भी उसकी चिक्कार से, चलता काला भैरव माई के साथ रे। भोग में महारानी करें रक्तपान रे। चली चली रणचंडी...... विनाश रे। देवलोक भूमि का किया बुरा हाल रे। प्रतिशोध की ज्वाला से बिखरा संसार रे। चली चली रणचंडी.... विनाश रे। सारे देव करने लगे रक्षा की गुहार रे। चली चली रणचंडी..... विनाश रे। जब लेटे महादेव चरणन में आन के। तब लोटी महामाई वास्तविक अवतार में। चली चली रणचंडी करने विनाश रे। लेखक - विकास मौर्य✍️✍️ ©vikas Mourey रणचंडी महामाई काली🙏🙏🙏🙏 विकास की कलम के रंग✍✍✍✍
रणचंडी महामाई काली🙏🙏🙏🙏 विकास की कलम के रंग✍✍✍✍
read moreAwanish Singh
दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। पार जाऊँगा मेरा साहस, कभी हारा नहीं है। जो मिटा अस्तित्व दे, ऐसी कोई धारा नहीं है ।। कौन रोकेगा स्वयं तूफान, थककर रुक गये हैं । हर लहर मेरा किनारा, ध्येय तक बढ़ता रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। तोड़ दी अवरोध की सारी, शिलाएँ एक क्षण में । मैं धरा का प्यार मुझको, स्नेह देते सब डगर में।। शीत वर्षा और आतप कर, न पाये क्षीण गति को। बिजलियों की कौंध में भी, पंथ गढ़ता ही रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। ©Awanish Singh (AK Sir) #कविता #कविता
कविता कविता
read moreKishan Gupta
किचन की रानी, तू पसीने से लतपत, पंखा बना, मुझे घुमाये जा रही हो,, चाय कब तक यूँ ही, फीकी पिलाओगी, इलायची के इंतजार में, अदरक पीसे जा रही हो। ~किशन गुप्ता #कविता #कविता #
श्यामजी शयमजी
White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में ©श्यामजी शयमजी #cg_forest कविता कविता
#cg_forest कविता कविता
read moreAnishaDodke
कविता कवीला वेळ नसतो कवीला काळ नसतो फावल्या वेळात तो कविता लिहीत असतो! कवितेत करियर नाही योग्य आहे पण करियर सोबत कविता करणे हाच छंद आहे! कवितेत आसन नाही ये दुःख आहे पण कवितेचं वेशन आहे हेंच सुख आहे....! रिकाम्या डोक्यात काही तरी सूचन आणि कागदावर मांडण हेच माझं काव्यलिखाण आहे.....! कवयित्री:कु अनिषा दोडके ©AnishaDodke कविता कविता #BookLife
कविता कविता #BookLife #मराठीकविता
read moreBalu Khaire
भीगी हुई आँखोका मंजर न मिलेगा, घर छोडकर मत जाओ कही घर ना मिलेगा। फिर याद बहुत आएगी जुल्फो की शाम, जब धूप मे साया कोई सर न मिलेगा। आंसू को काभि ओस का कतरा न समझना, ऐसा तुम्हे चाहत का समुदर ना मिलेगा। इस ख्वाब के माहोल मे बे-ख्वाब है आँखे, जब निंद बहुत आएगी बिस्तर ना मिलेगा। ये सोचलो आखरी साया है मोहब्बत, इस दरसे उठोगे तो कोई दर ना मिलेगा ©Balu Khaire कविता कविता #lonely
कविता कविता #lonely
read morevijaysinh
writing quotes in hindi मन पीढ़ा से बैचेन हो जाता है, तब जा के क़लम कागज स्याही रोता है। क़लम खुद का नहीं,औरों का दुख रोता हैं। हर पन्ने पर क्रांति की बीज बोता है। दुनिया में सब से ज्यादा दुखी क़लम हैं, हर वक़्त खून के आंसू रोता है, खून रूपांतर चंद लकीरों में होता है। अब लोक उसे अल्फ़ाज़ समजते हैं पर वह अल्फ़ाज़ नहीं लब होते हैं जो क़लम के दिलसे निकले होते है। #कविता #क़लम कविता