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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- ख्वाब में आप क्यूँ मेरे आने लगे । बेसबब आप क्यों फिर सताने लगे ।। दीद तो आपके यार आँसा नहीं । दर्द क्यों आप दिल में उठाने लगे ।। कह दिया जो नही प्यार है आपसे । नैन फिर यार क्यों अब मिलाने लगे ।। दिल न माना हमारा तुझे देखकर । बार बा तेरी गलियों में आने लगे ।। जिस तरह आपने जुल्फ खोली वहाँ । लोग सारे के सारे दीवाने लगे ।। होंठ से होंठ अपने मिले ही नही । लोग यूँ ही धुआं अब उठाने लगे ।। देख प्यासा प्रखर को रहम आ गया । ज़ाम आँखों से फिर वो पिलाने लगे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- ख्वाब में आप क्यूँ मेरे आने लगे । बेसबब आप क्यों फिर सताने लगे ।। दीद तो आपके यार आँसा नहीं । दर्द क्यों आप दिल में उठाने लगे ।। कह
ग़ज़ल :- ख्वाब में आप क्यूँ मेरे आने लगे । बेसबब आप क्यों फिर सताने लगे ।। दीद तो आपके यार आँसा नहीं । दर्द क्यों आप दिल में उठाने लगे ।। कह #शायरी
read moreManish Raaj
उनके आने से --------------- बस एक उनके आने से समां सुहाना हो गया वह क्या गए, अपना जो भी था वह भी बेगाना हो गया मनीष राज ©Manish Raaj #उनके आने से
दूध नाथ वरुण
White तुम आए जो साजन मेरे, संग तेरे बहारें आई है। तेरे आने से गम मेरे कम हुए,तूने जो खुशियां लाई है।। ©दूध नाथ वरुण #तेरे #आने #से
दूध नाथ वरुण
White मेरे नैनो की आंसू थमे न,तेरे आने की आस टूटे न। कब आओगे मेरे साजन,तेरे पथ से मेरी आंख हटे न।। ©दूध नाथ वरुण #आने #की #आस
Shashi Bhushan Mishra
नींद का मारा लगे, कितना बेचारा लगे, स्वाद पहली दफ़ा सा, फिर न दोबारा लगे, दर्द की आग़ोश में, चाँद अंगारा लगे, बिगड़ जाए स्वाद तो, शहद भी खारा लगे, प्रेम की पहचान है, गैर भी प्यारा लगे, हताशा में आदमी, दुनिया से हारा लगे, स्वार्थ में अंधे हुए को, हर कोई चारा लगे, भटकता गुंजन फिरे, हर राह बंजारा लगे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra #राह बंजारा लगे#
दीपा साहू "प्रकृति"
'मौत की ख़बर' ये कौन सा शहर आ गया ये कौन सी गलियाँ आ गई। अजनबी सी क्यों लग रही , ये धुंध कैसी छा गई। रास्ते अपरिचित है नज़र गली तुम्हारी वो कहाँ गई बरस बीत गए आँखों में नमी, है सिकन की एक रेखा आ गई। है खंडहर सी पड़ी ये दीवारें, संग रंग सारे बिखरा गई। तुम नहीं मिले कहीं,वो घर तुम्हारा एक ताला देख मन भरमा गई। किसी उम्मीद में कि तुम मौजूद होंगे, नामौजूदगी तुम्हारी वहाँ समा गई। कि उल्टे कदम लौट आने लगे, तभी मौत की तुम्हारी खबर आ गई। ©दीपा साहू "प्रकृति" #Prakriti_ #deepliner #poetry #love #SAD #you hj 'मौत की ख़बर' ये कौन सा शहर आ गया ये कौन सी गलियाँ आ गई। अजनबी सी क्यों लग रही , ये धुं
#Prakriti_ #deepliner #Poetry love #SAD #you hj 'मौत की ख़बर' ये कौन सा शहर आ गया ये कौन सी गलियाँ आ गई। अजनबी सी क्यों लग रही , ये धुं
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