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KK Mishra
मित्रों आलू से सोना बनाना हुआ पुराना 😂😂 बालकनी के गमलों में गोभी लगाये, करोड़ों कमाए 😲 🤣😭
Hasanand Chhatwani
माना कि बरगद ओर पीपल जैसे हम विशाल नही.. पर गमलों में उगने वाली.. तुलसी भी.. किसी से कम नही.. माना कि बरगद ओर पीपल जैसे हम विशाल नही.. पर गमलों में उगने वाली.. तुलसी भी.. किसी से कम नही..
amit dubey
आज की जवा ने में दिमाग की जरूरत। है। तराजू से सिर्फ सब्जियां तो ली जा सकती है। पर दिमाग रहेगा तो पूरे संसार के व्यक्तियों का दिल तो ला जा सकता है।।। आपका शुभचिंतक अमित।। ©amit dubey तराजू पर भी सभी सब्जियां सकते हैं जब आपके पास के दिमाग रहेगा।।
Deepak Kumar Katariya
Hasanand Chhatwani
✍🏻*पेड़ शर्त नही माने.. इसलिए कट गए..* *गमलों ने हदें तय की.. तो आसरा मिला...* ✍🏻*पेड़ शर्त नही माने.. इसलिए कट गए..* *गमलों ने हदें तय की.. तो आसरा मिला...*
Hasanand Chhatwani
✍🏻*पेड़ शर्त नही माने.. इसलिए कट गए..* *गमलों ने हदें तय की.. तो आसरा मिला...* ✍🏻*पेड़ शर्त नही माने.. इसलिए कट गए..* *गमलों ने हदें तय की.. तो आसरा मिला...*
gudiya
इश्क़ बरसता है जब कही सब्जियां ऐसे जल जाया करती हैं । ©gudiya इश्क़ बरसता है जब कही सब्जियां ऐसे जल जाया करती हैं । #nojoto #nojotohindi #nojotoLove #nojotoshayari #nojotohindi #nojotoenglish
Shubhankar Dubey
"उम्मीद" जब टूटती है दिल का सितारा टूट जाता है आंखो से खूबसूरत नजारा टूट जाता है और "रुद्र"-ऐ-दिल पता नहीं किसका बना दिया ऐ ख़ुदा जैसे तैसे जुड़ता है फिर दोबारा टूट जाता है और कैसे इन फूलों के ज़ख्म पर मरहम लगाए हम जब भी उठाता हूं हजारा टूट जाता है बरकत भी मेरी दुआओं में नहीं तेरी बद्दुआओं में हुई पहले बराबर रहता है फिर हमारा टूट जाता है और जिंदा है एक शक्श मेरे अंदर आज भी ऐसा संभलता तो है फिर भी सारा का सारा टूट जाता है हज़ारा*- जिससे गमलों में पानी डाला जाता है . . . . Sahani Baleshwar #शुभांकर #अंदाज_ए_अल्फ़ाज़ #yqbaba #yqdidi #motivation #inspiration #sha
Nisheeth pandey
पर्यावरण दिवस पर छोटी सी रचना देखें .... ऑक्सीजन बचा लो तो जीवन बच जायेगी ... हर तरफ ऊँची ऊंची इमारतें खड़ी है... ईंट कंकरीट को तह पर तह सजाने में पड़ी है... तन मन धन पैसे की खनक में जड़ी है ... सुनो अब गमलों ने ली उत्तरदायित्व हमारी .... अब गमलों ने की ले ली है जिम्मेवारी । पीपल बरगद निम सर्वनाश की चरम पर है.... लोग अंधे हो गए हैं सोहरत की खनक में.. . किसको समझाए किसको करें जागृत .... सब स्वार्थ के शराब से वशीभूत हैं .... बिकने लगी प्रकृति की सौगात अब.... कभी बोतल तो कभी सिलेंडर में... यही कहूंगा ऐसे में... पीपल बरगद निम बचाकर होठों की मुस्कान बचा लो तभी धरती बच पायेगी.... #निशीथ ©Nisheeth pandey #Trees #पर्यावरण दिवस पर छोटी सी रचना एवं कलाकारी देखें .... ऑक्सीजन बचा लो तो जीवन बच जायेगी ... हर तरफ ऊँची ऊंची इमारतें खड़ी है... ईंट
Nisheeth pandey