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Azeem Khan
तसब्बुर जहन में ,अश्क हैं आंखों में । यूं कब तक खुद से रंजो - मलाल बांधोगे । इश्क में नई - नई चोट खायी है दिल ने ।अशआर में फकत तुम हिजर ओ बिसाल बांधोगे । हिजर ओ बिसाल
gagan deep
Ve lmhe hi aksar udaas kr jaate h Jinme jindagi ko jeeya jata h 😄😅 #गगन# &गगन
सुरेश चौधरी
रक्ताभ गगन है गुण्डित है सिंधु उर्मियाँ व्यूष उद्भव पर चर्चित है क्यूँ निज तुष्टियाँ रक्ताभ गगन
Prajapati Radhe
सच्ची मोहब्बत केकरा के चाही बतावा लोग ©Prajapati Radhe गगन #Flower
Sangeeta Verma
गगन कहे सागर से,सब मेरी ही माया है, मैं नीला गगन महान,तू गहरा काला साया है, सब मुझ को छूना चाहे,खोलकर अपनी बाहें, काल्पनिक पंख फैलाकर, ढूंढते अपनी राहें, मुझको छूने आते है, बस मेरे ही हो जाते है तुझमें डूबे तो शून्य,पर अंक मुझी से पाते हैं, चमक जाते है कितनो की किस्मत के तारे मुझको छूकर हो जाते हैं, सबके वारे न्यारे, सुन गगन की बातें और ऊंचाई की प्रशंसा माना गगन है महान,है गहराई का भी किस्सा गहरा सागर,गहरी नदिया ,गहरे कुए का पानी, सबके लिए उपयोगी, गहराई है जीवन दानी, भावना का बीज सदा से गहराई में उगता है, सच्चाई का दीपक गहरे,अंतर्मन में जगता है ऊंचाई में अक्सर आ जाता गुरूर है, किंतु गहरे सागर में प्रेम भरा सुरूर है, ©Sangeeta Verma #गगन #सागर
HARSH369
ए गगन ! दिल हो तो आप जैसा विशाल हो, छोटा दिल वाला हमे नही बनना है.. तकदीर हो तो खुले आसमान जैसी हो, तुच्छ छोटे नाले जैसे किसी ओर को बना देना.. ब्यापार भले हि छोटा क्युं ना हो, पर उसमे बरकत तारो जैसे हो..असंख्य बस यही कामना है..!! ©Shreehari Adhikari369 #ए गगन!
Avinasha
इस जिस्म रूपी घोसले में एक परिंदा हूँ। मैं तो उस खुले गगन का बाशिंदा हूँ। मैंने खुद ही इस घोसले को अपना ठिकाना मान लिया। और खुद ही अपने परों को फड़फड़ाना छोड़ दिया। अब सोचता हूँ , काश' कोई होता जो मेरे परों को ताकत देता। पा जाता मैं अपनी उड़ान कोई तो राहत देता। स्वार्थ और मोह में खुद को कैद कर लिया। मजबूरी और लाचारी का उसे नाम दे दिया। #पंख# परिंदा# गगन
Parasram Arora
ये गगन गवाह हैँ कि चाँद की मुखरित चांदनी में, कितनो के अधर से अधर मिले कितने प्रिय औऱ प्रियतमा के अभिसार हुए... कितने मन से मन मिलकर एकाकार हुए पर नभ ने ये भी तो अपनी नंगी आँखों से देखा होगा कि जग में कितने व्यभिचार हुए... ... अमावसी रातो में कितने बलात्कार हुए कितने ह्रदय टूटे कितने मन मिटे... कितने अटल प्रणय के, बंधन टूटे फिर भी इस बेरहम आसमान का न ह्रदय पसीजा न उसकी आँख से कोई आँसू बहा k गगन की गवाही.......