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तकदीर
[01/02, 1:02 pm] Rishi तपस्या: एक बार मेढकों ने दौड़ प्रतियोगिता करने का फैसला किया। इसमें सभी को एक ऊंची टावर पर चढ़ना था। मेंढको की इस दौड़ को लेकर लोगों में गजब का उत्साह था। इसलिए दौड़ देखने के लिए टावर के चारों ओर भारी भीड़ जमा हो गई थी। तय समय के मुताबिक दौड़ शुरू हुई। भीड़ मे किसी को भी इस बात का भरोसा नहीं हो रहा था कि मेंढक टावर पर चढ़ जाएंगे। कोई कहता, “अरे, यह तो बहुत ही मुश्किल है। ये तो वहां पहुंच ही नहीं सकते। कही से आवाज आई, “अरे टावर कितना ऊंचा है कि ये वहां कभी नहीं पहुंचेंगे।” इसी बीच कई मेंढक चढ़ने में गिरने लगे। कुछ थक गए और दौड़ छोड़कर बाहर आ गए। सिर्फ वही मेंढक ऊपर की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं थे, जिन्होंने इस दौड़ को जीतने की ठान ली थी और किसी की नहीं सुन रहे थे। इसी बीच भीड़ में लोगों का चिल्लाना जारी था। लोगों को लगा रहा था कि कई मेंढक तो गिरकर मर चुके हैं और जो चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, वे भी लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएंगे। लेकिन एक छोटा सा मेंढक बिना किसी परवाह किए टावर की ओर चढ़ता जा रहा था, और आखिरकार वह अपने लक्ष्य तक पहुंच ही गया। [01/02, 1:02 pm] Rishi तपस्या: इसके बाद दूसरे मेंढको में यह उत्सुकता जागी कि आखिर इतना छोटा-सा मेंढक कैसे अपने लक्ष्य तक पहुंच गया। दौड़ में हिस्सा लेनेवाले एक मेढक ने उससे पूछा, “अरे भाई! तुम कैसे वहां तक पहुंच गए?” लेकिन किसी को यह नहीं पता था कि जीतनेवाला मेंढक सुन नहीं सकता था। वह बहरा था। इसलिए उसने लोगों की बातें नहीं सुनी और अपना काम करता हुआ आगे बढ़ता रहा, और अंत में विजय हुआ। इसीलिए कभी भी यह नहीं सोचना चाहिए कि लोग क्या कह रहे हैं। लोगों की नकारात्मक सोच और बात पर कभी भी ध्यान नहीं देना चाहिए। जो लोग ऐसी किसी भी बात को नहीं सुनते है और सकारात्मक रूप से अपने काम में लगे रहते हैं, वे हमेशा अपना लक्ष्य हासिल करने में कामयाब होते हैं। ©Rishi Ruku # कहानी मेंढक की
!! ℝudraksh Om !!{बोलो दिल खोलकर}
अदनासा-
एक कुएं में रह रहे मेंढ़क की भांति जीवन जीने में कोई अर्थ नही है, वास्तव में प्रकृति ने हमें हर एक जीव जंतुओं में सबसे अधिक बौद्धिक क्षमता एवं कार्यकुशल बनाया है, वर्तमान में मैं अपने ही देश में, बहुत से ऐसे लोगों को जानता हूं, जो अपने राज्य को देश मानता है एवं अन्य राज्य को देश, कहने का तात्पर्य यह है कि उसके लिए, वह व्यक्ति जिस राज्य में रह रहा है, उसके लिए वह देश है, ठीक उस कुएं की मेंढक की तरह, जिसे लगता है पानी केवल इस कुएं में ही, इसलिए शिक्षा बहुत ज़रूरी है, आज भी हमारे देश के बहुत से ऐसे राज्य है, जहां स्वयं शिक्षक एवं शिक्षिका को भारत के प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री में अंतर नही पता या अंग्रेजी के सोमवार या मंडे का स्पैलिंग तक नही पता, इसलिए शिक्षा, रोज़गार, स्वस्थ्य पर ध्यान दो, इतिहास को ना खोदो, क्योंकि जब देश में अब भी ऐसे लोग है, उन्हें लगता है, हम किसी अन्य देश की बात कर रहे है, जो वास्तव में मैं भारत की बात करता हूं, क्योंकि भारत का रहने वाला हूं। ©अदनासा- #हिंदी #कूप #कुंआ #मेंढक #शिक्षा #शिक्षक #शिक्षिका #Instagram #Facebook #अदनासा
Madan Gangwar
Subham Shiv
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