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अदनासा-

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Subham Shiv

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अविनाश पाल 'शून्य'

#सर्वाधिकारसुरक्षित. स्वरचित© #मेंढक #Sunday #Saturday #Monday #योरकोट_दीदी #coronaeffect #"शून्य" 😀😀😀 Image-unslpash यदि आप लोगों को मेरी पंक्तियाँ पसंद आयें तो एक बार मेरी प्रोफाइल पर भी जायें और पसंद आये तो अनुसरण करें ।

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कूप मण्डूक से घर में सब उछल रहे हैं
MONDAY to SATURDAY सब दिन
SUNDAY बन निकल रहे हैं। #सर्वाधिकारसुरक्षित. #स्वरचित©
#मेंढक #sunday #saturday #monday #योरकोट_दीदी  #coronaeffect #"शून्य"
😀😀😀
Image-unslpash

यदि आप लोगों को मेरी पंक्तियाँ पसंद आयें तो एक बार मेरी प्रोफाइल पर भी जायें और पसंद आये तो अनुसरण  करें ।

Gopal Csc

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Rakhi Raj

प्यारे मेंढक 
 जितना यह "प्यारे "शब्द प्यारा है तुम उससे भी ज्यादा प्यारे हो, पहले तुम मुझे तुम्हारे नाम के वजह से प्यारे लगते थे पर अब जो जानने लगी हूँ कुछ कुछ तुम्हें तो लगता है के होता कोइ और नाम तुम्हारा तब भी तुम इतने ही प्यारे होते |तुम खुद को खुली किताब  बताते हो और लगते भी वैसे ही हो, एक आईने की तरह लगते हो तुम जो पारदर्शी होते हुए भी, खामियाँ और खूबियां दोनों बताता है | मेट्रो में मैंने सफर किया है पर तुम्हारे साथ वो कल्पनाओं का सफर हमेशा याद रहेगा | अपने- अपने शहर में बैठे तुम और मैं  घूम आये है काल्पनिक दुनियां बना कर  दिल्ली और मथुरा | तुमसे बात करना मुझे बहोत पसंद है,तुम उन लोगों में से हो जो की दूसरों को खास महसूस कराते है, तुम्हारी नजरों से ज़ब देखती हूँ खुद को तो खुद को बहोत खूबसूरत सी लगती हूँ मै,तुम कहते हो मै रहती हूँ सीरियस, पर जबसे दोस्त बने है हम तो थोड़ा ज्यादा हसने लगी हूँ मैं | तुम जो लिखते हो शायराना अंदाज में मेरे लिए कभी कभी उनमे से कुछ को मैं अपनी डायरी मे लिख लिया करतीं हूँ, बाकी जो निशा के लिए लिखते हो उन्हें मैं डिलीट कर दिया करतीं हूँ | निशा को बस तुम और मैं जानते है, वो कभी मिले तुम्हें तो उससे कहना तुम्हें मेंढक न बुलाये इस नाम पर मेरा कॉपीराइट हैं |  जीवन में कुछ लोग हमें मिलते है जो बेवजह ही अच्छे लगते है, कोइ निजी स्वार्थ न होते हुए भी तुम मुझे अच्छे लगते हो पर ज़ब वजह सोचती हूँ मैं अब तो नाम भूल जाती हूँ तुम्हारा और जबकि तुम मुझे तुम्हारे नाम के वजह से ही प्यारे लगे थे | तुम ऐसे ही रहना हमेशा पारदर्शी बनकर और बताना सबको थोड़ा ज्यादा मुस्कुराना......... 

                                       मेंढकी #मेंढक

Tilka Raman

बरसात के दिनों में अचानक आपने बरसाती मेंढक निकलते देखा होगा ठीक उसी प्रकार आज सिमडेगा जिला में भी चुनाव के समय बरसाती मेंढक निकलते देख रहे हैं जो बरसात खत्म होते ही अपने बिलों में अपने स्वार्थ पूर्ति में लग जाएंगे तो चले हर हर मोदी घर-घर रघुवर के साथ जय भारतीय जनता पार्टी #nojotophoto

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 बरसात के दिनों में अचानक आपने बरसाती मेंढक निकलते देखा होगा ठीक उसी प्रकार आज सिमडेगा जिला में भी चुनाव के समय बरसाती मेंढक निकलते देख रहे हैं जो बरसात खत्म होते ही अपने बिलों में अपने स्वार्थ पूर्ति में लग जाएंगे तो चले हर हर मोदी घर-घर रघुवर के साथ जय भारतीय जनता पार्टी

Ashish Nayak

एक मेंढक ज्योतिषी के पास गया और अपना भविष्य पूछा।

ज्योतिषी: एक लड़की मिलेगी और तेरा दिल ले लेगी।

मेंढक खुशी से उछलते हुए: कहां मिलेगी ?

ज्योतिषी: बायोलॉजी की लैब में।       
😝😜😝😜😜😝

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 12 - भगवान ने क्षमा किया ऊँट चले जा रहे थे उस अन्धड़ के बीच में। ऊपर से सूर्य आग बरसा रहा था। नीचे की रेत में शायद चने भी भुन जायेंगे। अन्धड़ ने कहर बरसा रखी थी। एक-एक आदमी के सिर और कपड़ों पर सेरों रेत जम गयी थी। कहीं पानी का नाम भी नहीं था और न कहीं किसी खजूर का कोई ऊँचा सिर दिखायी पड़ रहा था। जमाल को यह सब कुछ नहीं सूझ रहा था। उसके भीतर इससे भी ज्यादा गर्मी थी। इससे कहीं भयानक अन्धड़ चल रहा था उसके हृदय में। वह उसी में झुलसा जा रहा था।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
12 - भगवान ने क्षमा किया

ऊँट चले जा रहे थे उस अन्धड़ के बीच में। ऊपर से सूर्य आग बरसा रहा था। नीचे की रेत में शायद चने भी भुन जायेंगे। अन्धड़ ने कहर बरसा रखी थी। एक-एक आदमी के सिर और कपड़ों पर सेरों रेत जम गयी थी। कहीं पानी का नाम भी नहीं था और न कहीं किसी खजूर का कोई ऊँचा सिर दिखायी पड़ रहा था। जमाल को यह सब कुछ नहीं सूझ रहा था। उसके भीतर इससे भी ज्यादा गर्मी थी। इससे कहीं भयानक अन्धड़ चल रहा था उसके हृदय में। वह उसी में झुलसा जा रहा था।

Anjani Lal Arora Mathaniya

#DearZindagi

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#DearZindagi  आज एक दृष्टांत आद्य शंकराचार्य वेदांत पारंगत स्वामी श्री गोविंद भगवत पाद से मिलने बद्रीनाथ की ओर रवाना हुए। मार्ग में एक स्थान पर वह एक तालाब पर विश्राम के लिए ठहरे अचानक ही उन्होंने देखा कि समीप ही कुछ मेंढक आपस में खेल रहे हैं ।वे उनका खेल देखते हुए अपनी थकावट मिटाने लगे ग्रीष्म ऋतु थी ,भरी दोपहर में गर्मी भीषण उस्मा से आध्य गुरु त्रस्त हो गए तो मेढको की क्या बात  ? तालाब का पानी तक गर्म हो गया और मेंढको का वहां रहना  सही  नहीं था ।इतने में एक मेंढक की जोर जोर से टर टर की आवाज आई ध्वनि सुनाई पड़ी ।यह मेंढक छोटा सा बच्चा था भीषण ताप को सहने में असमर्थ होकर पानी से बाहर निकलकर आर्त स्वर से सहायता के लिए चिल्ला रहा था ।थोड़ी ही देर में वहां एक भुजंग (सर्प) आया और उसने मेंढक के बच्चे पर अपना फन प्रसार दिया। शंकराचार्य जी देखकर चकित रह गए । आज बड़ा आश्चर्य हो रहा है ।'भक्षक रक्षक बन गया' कहने का तात्पर्य यही है कि कुछ कहानियां हमें एक संदेश दे जाती है ! वह शंकराचार्य जी सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए विश्व भ्रमण पर थे पुराने जमाने में साधन नहीं हुआ करते थे ।उन्होंने यह दृश्य देखकर मन में ठानी की कश्मीर से कन्याकुमारी तक यह सब कुछ संभव है तब से भारतीय सनातन संस्कृति में मठों की स्थापना होनी शुरू हुई ,और चार धाम भी बनाए गए यह सब उस दृष्टांत की प्रेरणा से हुआ ।राधे राधे..!

KK Mishra

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I hide my expression because  लड़की ने मेंढक से पूछा:-लडकियो में दिमाग होता है..? मेंढक बोला"नहीं"और पानी में कूद गया! लड़की सोचती रही इसमें सुसाइड करने वाली क्या बात थी...
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