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Vishalkumar "Vishal"
Jiyalal Meena ( Official )
Ritik Diwakar
Lalit Saxena
तुम धीरे धीरे मरने लगते हो अगर तुम यात्राएं नही करते अगर तुम पढ़ते नही अगर तुम जीवन की आवाज़ नही सुनते अगर तुम अपने से सामंजस्य बिठाकर अपनी सराहना नही करते (अनुशीर्षक में पूर्ण है) ©Lalit Saxena तुम धीरे धीरे मरने लगते हो अगर तुम यात्राएं नहीं करते अगर तुम पढते नहीं....... अगर तुम जीवन की आवाज को नहीं सुनते अगर तुम अपने से सामंजस्य ब
Gaurav Christ
Nisheeth pandey
कौतूहल ********* तुमरी यादों की कौतूहल हृदय में उठी, खुली आँखों में स्वप्न्न का रात भर जागरण हो गया .... वेदना जब मुस्कुराने लग गया, अश्क का अवतरण होने लग गया ...… चांद ने तारों की बादल नें बारिश की, रात नें रात भर सिसकने सा बात की, चेतना मौन रहीं अश्क सहलाता गाल रहा, पलकें धीरज धरे नयन बहाता अश्क रहा, चांद आये गए किन्तु तुम, आसमान से उतरी नहीं.... परी बनकर क्षण क्षण इन्तेजार में ढलता गया ,... स्नेह ने कहा वेदना नें सुना, वेदना ने कहा हृदय नें सुना.... स्वप्न जितनें रहे सब अधूरे रहे, समय था मदारी हम जमूरे रहे..... नीयति के तपन में जब समय जला, आनंदमय शब्द ही आवरण हो गया ....… अपने जो कहते थे कही अनसुनी रहस्यमयी हो गये, पीड़ बढ़ती गई न जाने कितने बढ़ते गये.... मौन हो गयी कामनायें अनकही अभिलाषा दब गई, एक करुण ज्वाला जली एक द्वेषमयी सरिता बही...…. द्वंद में आत्मा के ज्वार से मृत अन्तःकरण हो गया .... अनसुनी संवाद सुन नयन नित सरिता रही, स्वप्न की बला प्राण खाती रही, मन बिकल बाँचता मौन के मर्म को, हर पहर जीये कैसे "निशीथ" पथ कर्म को, प्रतिज्ञा प्रचंड जैसा बने या नहीं किन्तु , अपनो से अर्जुन सा द्वन्ध हो गया .... #निशीथ ©Nisheeth pandey कौतूहल ********* तुमरी यादों की कौतूहल हृदय में उठी, खुली आँखों में स्वप्न्न का रात भर जागरण हो गया .... वेदना जब मुस्कुराने लग गया, अश्क