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Shashank Rastogi
आजकल सरेआम होता है इश्क़ का तमाशा थोड़े दिनों की मस्ती के बाद मिल जाता है जहर की चाशनी में भीगा हुआ बताशा #जहर #बताशा #तमाशा #इश्क़ #बाज़ार
Poonam Suyal
ज़िंदगी हमने खुद बना रखा है तमाशा, उम्मीद को ना थाम ओढ़ के रखी है निराशा। अपने खुद पर नहीं है हमको विश्वास, करते रहते हैं हम दूसरों से ही आशा। । तमाशा । मिले कभी आशा तो कभी निराशा, ये ज़िंदगी भी है इक अजब तमाशा। ख़ुद-नुमाई न कर इतना भी ज़्यादा, इंसाँ! तू है बस पानी में एक बताशा। ख़ुद-
Chandrashekhar Trishul
नारे नाटक तख़्ती बैनर जमा बाग में बड़ा तमाशा आस्तीन के सर्प माँगते अधिकारों का दूध बताशा दशकों बाद सही फेंका दिल्ली ने भी अपना पासा राष्ट्रद्रोहियों को समझा दी राष्ट्रप्रेम की बोली भाषा #नारे नाटक तख़्ती बैनर जमा बाग में बड़ा तमाशा आस्तीन के सर्प माँगते अधिकारों का दूध बताशा दशकों बाद सही फेंका दिल्ली ने भी अपना पासा राष्ट्रद्
Mahfuz nisar
2) सत्ता::: बाज़ार हमारे और आपके लिए है, इनको बताशा तो खा लेने दो, तवायफ भी घुंघरू छोड़ आई है, ज़रा तो उनकी भी ले लेने दो, जा कर वापस नहीं आ पाऊंगा, थोड़े और बेसब्र तो बन लेने दो, कहाँ ढूँढते हो,इंसानियत को, जाओ देखो कभी घर से बाहर,शैतानीयत को, वैसे क्यूँ जाना बाहर,मंगवा लो टी.वी और देख लो हैवानियत है जो सर पर, तुम बहुत बेचैन हो मियाँ, देखो इन शरीफों को पहले मर तो जाने दो, हमें अंजाम-ए-सज़ा मालूम जो है, हटो दूर अभी हुकूमत बजा लेने दो। ✍मैं महफूज़ 2) सत्ता::: बाज़ार हमारे और आपके लिए है, इनको बताशा तो खा लेने दो, तवायफ भी घुंघरू छोड़ आई है, ज़रा तो उनकी भी ले लेने दो, जा कर वापस नहीं आ
S. Bhaskar
दोहे पत्थर पत्थर क्यों पूजे, पूजे मनुज का ज्ञान। छीछले पानी स्वर्ण मिले, अंदर पारस खान।। बाहर प्रीत सरोवर बनिए, मन में कीजिए इनार। दुनिया सगरो उजियार कीजिए, अंदर कीजिए अन्हार।। मन की बातें सबहूं ना बोलिए, कुछ बनाईहे तमाशा, नीम करेला सब जाहिर कीजिए, मन ही रखिए बताशा।। चुप रहीये सम्मान घटे, झगडिए मिलहिं ना मात। वक्त आवत जल जात है, शांत चंदन का बिसात।। तोहे तिमिर की आस है, मोहे जगमग जग अंजोर। दो संग खूब चले है, एक रात तो दूजा है भोर।। मुख चाट के तुमने दर्पण किए, घिस दिए तलवे की छाल। मौका पड़े स्वामी ना पूछिहें, का है तुमरा हाल।। दोहे पत्थर पत्थर क्यों पूजे, पूजे मनुज का ज्ञान। छीछले पानी स्वर्ण मिले, अंदर पारस खान।। बाहर प्रीत सरोवर बनिए, मन में कीजिए इनार। दुनिया