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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी कोना कोना दरका दस्तूर वही जारी है रंग ढंग बदल गया सियासत वही पुरानी है लिखी गयी वे सब इबादते जख्मी हर हिन्दुतानी है दबाते सब के जज्बात दमन पुलसिया जारी है कितने खो दिये सुभाष भगत जबानी कितनो ने गवायी थी मगर आज फिर मुल्क खून माँगता तरुणाई की पुकार है आंदोलन जलसों से ना पसीजेगे कुर्बानियों की दरकार है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" कुर्बानियों की दरकार है #NirbhayaJustice
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ यूं ही नहीं बहुत से जखम ए हिंदुस्ता, तमाम तेरी सरजमी के हवाले हुए हैं...... यह कमी है यहां के कुछ बाशिंदों की, जिन्होंने आस्तीनों में सांप पाले हुए हैं...... 💪🇮🇳हिंदुस्तान जिंदाबाद था🇮🇳💪 💪🇮🇳हिंदुस्तान जिंदाबाद है🇮🇳💪 💪🇮🇳हिंदुस्तान जिंदाबाद रहेगा🇮🇳💪 🙏🇮🇳भारत माता की जय🇮🇳🙏 🙏🇮🇳 जय हिंद जय भारत🇮🇳🙏 ✍️Vibhor vashishtha Vs 🇮🇳Read Caption🇮🇳 ⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️ Meri Diary #Vs❤❤ यूं ही नहीं बहुत से जखम ए हिंदुस्ता, तमाम तेरी सरजमी के हवाले हुए हैं...... यह कमी है यहां के कुछ बाशिंदों की, जिन्होंने
Parul Sharma
आजादी मिली जिनकी कुर्बानियों से मेरी मिट्टी में आज भी उनके लहू की खुशबू आती है । पारुल शर्मा आजादी मिली जिनकी कुर्बानियों से मेरी मिट्टी में आज भी उनके लहू की खुशबू आती है । पारुल शर्मा
Aishwarya CMH
Indian Army Day भारत मां के आंचल को हर पल खुशियों से भरते हैं फौजी।। अपनी कुर्बानियों से भारत की भूमि को हर पल सींचते हैं फौजी।। सर्दी हो सियाचिन की या हो तपता रेगिस्तान फौजी भारत की भूमि को हर पल सुरक्षित रखने के लिए हमेशा देते हैं बलिदान।। ईद हो या दिवाली या होली फौजी हर पल देश की सुरक्षा में हर पल खड़े रहते हैं डटकर। फौजियों की कुर्बानियों से, मेहनत और बलिदानों से गूंजता है मेरा हिंदुस्तान।। ©Aishwarya CMH भारत मां के आंचल को हर पल खुशियों से भरते हैं फौजी।। अपनी कुर्बानियों से भारत की भूमि को हर पल सींचते हैं फौजी।। सर्दी हो सियाचिन की या हो
GURVIR
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त