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अज्ञात
वो चाहता है,इश्क भी हो, गर किसी को पता न चले। मानो जिंदा भी रहें, और सांस न चले। एक उम्र तक साथ का वादा है । साथ भी चलें,गर हमसफर न लगे। वो खुद ही छत पर आ जाता है के कहीं मुझको गर्मियों की धूप न लगे। कहता है अभी वक्त है विसाल में और मुझे डर है के कहीं उम्र न लगे। मोहब्बत - ए - जिक्र नहीं करने देता ,गैर से वो चाहता है, कि हमें नजर न लगे। घर नहीं बुलाया उसने अपने कभी कहता है घरवालों को खबर न लगे। ©अज्ञात पता न चले
पता न चले #Shayari
read moreAnu wRite
बस यूं ही न सोचो ऐसे ख्याल मत करो तुम यूंही चले जाने की बात तुम्हारे यूं ही चले जाने से तुम्हारे चाहने वालों का होगा बुरा हाल जरा सोचो भी ये ख्याल मत उठाओ मन में ऐसे सवाल न करो यूंही चले जाने की बात महफिल से गए जो तुम रूठ जाएगी सबकी ये शाम यूंही न सोचा करो ऐसे ख्याल जाने दो ना ....जाने की बात आओ करते हैं कुछ नई बात जानते हैं एक दुसरे के हालात फिर होगी एक नई शुरुवात ना करो यूंही चले जाने की बात वरना होंगे सबके खराब...... हालात मत सोचो तुम ऐसे ख्याल और अब छोड़ दो तुम...... यूंही चले जाने की बात फिर करंगे हम एक नई शुरुवात ©Anu wRite न करो यूंही चले जाने की बात
न करो यूंही चले जाने की बात #कविता
read moreShiv Narayan Saxena
ऑंखों से दिल की राह तक कोहरे का है नज़ारा चले आओ न नहाओ ठंड में इक चाय है सहारा ©Shiv Narayan Saxena #coldwinter चले आओ न नहाओ ठंड में
#coldwinter चले आओ न नहाओ ठंड में
read moreNirankar Trivedi
मंज़िल को न जाने कितने साथ चले थे, दूरी बढ़ी और लोग कम होते गये | शायद उन्हें मंजिल से चाहत कम थी या खुद पर भरोसा कम था | इसीलिए वो मंजिल से पहले ही लौट गये | #मंजिल को न जाने कितने साथ चले थे |
#मंजिल को न जाने कितने साथ चले थे |
read moreDeepak Panwar
न अपनी सुनी न अपनों की , 'बस वख्त बेवख्त सपनो में उल्झते चले गये! न #अपनी सुनी न #अपनों की , 'बस #वख्त #बेवख्त #सपनो में उल्झते चले गये!
Pundrik Tiwari
चले आओ चले आओ मेरी मनमीत चले आओ। मेरी यादों में आने वाले, आकर नींद चुराने वाले, मेरे मनप्रीत चले आओ। तेरे इंतजार में धर धीर, उठे हीय हजारों पीर, मेरी प्रिय मेरी हीय हीर चले आओ... चले आओ मेरे हिय रमने वाले खुद में मुझे रमाने वाले स्वप्न सलोने दिखाने वाले मेरे चितचोर चले आओ। चले आओ चले आओ
चले आओ चले आओ #कविता
read moreDev Sharma
हम हार चले पानी पानी दिल ने ठानी मन ने मानी भीतर से सूख गया बर्तन जीवन खारा पानी पानी! मटमैली सूरत मैं होंगे मेरे जैसे कई और यहां, मटमैली पलकों के तल में ढोते होंगे पानी पानी! हम चले चले ,हम चले चले हम चले चले ,हम चले चले हम चले चले ,कल से कल तक हम चले चले ,जल से थल तक धनुष बाण सी मुड़ जाए यह देह बेचारी भूतल तक! आंख में आज बिखर जाए गांव की सब चूनर धानी पंछी पीते मृत आंखों से चुन-चुन कर खारा पानी!! #nojoto #हम चले-चले...