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Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ आज़ाद हिंद फौज ने देश की आजादी के संघर्ष को एक अलग मोड़ दिया था। राष्ट्रवाद के विचारों से ओत-प्रोत भारत माँ के वीर सपूत सब कुछ त्यागकर नेताजी की अगुआई में मातृभूमि की आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणीय भारत माँ के लाडले सपूत सुभाष चंद्र बोस जी की पुण्य तिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि एवं कोटि कोटि नमन....। 🙏🌺🙏🌺🙏🌺🙏🌺🙏 ✍️Vibhor vashishtha Vs Meri Diary #Vs❤❤ आज़ाद हिंद फौज ने देश की आजादी के संघर्ष को एक अलग मोड़ दिया था। राष्ट्रवाद के विचारों से ओत-प्रोत भारत माँ के वीर सपूत सब
रजनीश "स्वच्छंद"
जो दिखता है वो बिकता है।। जो दिखता है वो बिकता, सच कहाँ कब टिकता है। जीवन का एक एक पन्ना, बिखरा बिखरा मिलता है। ढोंग हुआ एक रोग बुरा, हर चेहरे पे जो जंचता है। सस्ता हुआ है लहु हमारा, हाथों में मेहंदी सा रचता है। कानून कहां और न्याय कहाँ, पलड़ा अब किसका भारी है। रहे सहायक सबल के सब ही, बस वही कहानी जारी है। भूखा रहा है भविष्य हमारा, ये अब भी मांटी फांक रहा। अहा, लाजवाब कुत्ता देखो, उस गाड़ी से है झांक रहा। लिए तराजू घुमा जग सारा, किस पलड़ा किसे बिठाऊँ में। बहुरूपिये इस समाज मे, किस किस का चेहरा दिखाऊँ मैं। बहन बेटी और मां भी रोती, कलियुग ने लिया अवतार है। गुंडों की बस्ती है ये दुनिया, यहां गुंडा ही बना सरदार है। किसे सुनाऊं क्या कह आऊं, है कौन सुने जो व्यथा हमारी। कहीं राम कृष्ण भी रोते होंगे, जग ने समझी न कथा हमारी। कृष्ण की बंसी बनी है सिटी, राम घर बैठा ऊंघ रहा है। खुली आंख सोया पौरुष है, कुत्ता मुंह को सूंघ रहा है। किस कचहरी पड़ेगी अर्ज़ी, करता सुनवाई कोई नहीं। सच की है पहचान सभी को, करता अगुआई कोई नहीं। कलम लिए लिखता जाउँ, पर दिखता नहीं है अंत कभी। स्वांग रचा कुटिया हैं बैठे, सुचिता के हैं जो संत सभी। मैं हारा नहीं, न मानूँ हार, मेरी कलम ये चलती जाएगी। एक आस लिए चलता मन मे, वो सुबह कभी तो आएगी। ©रजनीश "स्वछंद" जो दिखता है वो बिकता है।। जो दिखता है वो बिकता, सच कहाँ कब टिकता है। जीवन का एक एक पन्ना, बिखरा बिखरा मिलता है। ढोंग हुआ एक रोग बुरा,
Arsh
______________________________________ हलकान आवाम से भयभीत हुक्मरान : #पाकिस्तान #भाग_1 ______________________________________ यह भूखंड मुझे देश लगता हीं नहीं... कबीला लगता है कबीला। हर दृष्टिकोण से...बात चाहे सत्ता के हस्तानांतरण की हो., सामाजिक न्याय की या फिर आर्थ
Swatantra Yadav
जेल में डाल दो,चाहे तो बाल काटने पर गोलियां मार दो मरने पर भी मेरी रूह यही कहे,बस ये हिजाब उतार दो बेशर्मी कपड़ों से नहीं होती, होती तो तवायफें भी हैं हिजाब में में क्या हूं कौन हूं मेरी पहचान को हिजाब नहीं स्वतन्त्र आधार दो तुमने देखा ही नहीं, पेड़ से पत्तों का गिरना, सम्भल,ये पतझड़ तुझे भी काट कर गुजरेगा 13 सितंबर को हिजाब न पहनने की वजह से महसा अमीनी को मॉरल
स्वतन्त्र यादव
जेल में डाल दो,चाहे तो बाल काटने पर गोलियां मार दो मरने पर भी मेरी रूह यही कहे,बस ये हिजाब उतार दो बेशर्मी कपड़ों से नहीं होती, होती तो तवायफें भी हैं हिजाब में में क्या हूं कौन हूं मेरी पहचान को हिजाब नहीं स्वतन्त्र आधार दो तुमने देखा ही नहीं, पेड़ से पत्तों का गिरना, सम्भल,ये पतझड़ तुझे भी काट कर गुजरेगा 13 सितंबर को हिजाब न पहनने की वजह से महसा अमीनी को मॉरल
vasundhara pandey
नव संवत्सरं शुभं भवेत्। प्रवर्त्तमान श्री ब्रह्मा के द्वितीय परार्द्ध में श्री श्वेतवाराह कल्प, वैवस्वत मन्वन्तर के अठ्ठाईसवें कलियुग के प्रथम चरण में, जम्बूद्वीप