Find the Latest Status about संस्थाओं की from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, संस्थाओं की.
Sunita Bishnolia
मैंने मेहनत करना सीखा, लड़ना सीख न पाई जो मुझको मिलता मेहनत से पाकर खुशी मनाई जीवन के संघर्षों में ठोकर पग-पग पर मिलती है सुख-सुविधाएँ होतीं क्या हैं मैं अब तक जान न पाई। #दर्शन--धरती धोरां री हर वर्ष की भाँति इस बार भी 'शिक्षक दिवस' से पूर्व शैक्षणिक भ्रमण हेतु छात्रों को ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन श्रृंखला में
Ek villain
मलयालम फिल्म की एक निर्देशक हैं उर्दू गोपाल कृष्ण मलालायम की में नई तरह की फिल्म बनाने को लेकर उनके क्या आती रही है कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं पदम श्री और पद्म विभूषण से सम्मानित देश-विदेश की फिल्म से जुड़ी संस्थाओं से किसी ना किसी रूप से जुड़े रहे इंटरनेट मीडिया पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार आपातकाल 1975 के दौर में पुणे में कैदी फिल्म टेलीविजन संस्थान के निदेशक रह चुके हैं फिल्म से जुड़ी संस्थाओं में भी रहे हैं यह सब बताने का आशय यह है कि अदूर गोपालकृष्णन की फिल्म से जुड़ी संस्थाओं का लंबा अनुभव है ऐसे में कई बार होता है कि अनुभव की था 30 को लेकर चल रही थी समय के साथ आने वाले बदलाव की आहट नहीं पाता अदूर गोपालकृष्णन के साथ भी यही होता प्रतीत हो रहा है इन दिनों में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अलग-अलग विभागों के पुनर्गठन के फैसले की आलोचना कर रहे हैं उन्हें लगता है कि केंद्र सरकार का यह फैसला अनुचित है उनका मानना है कि इन संस्थाओं को वर्तमान स्वरूप में ही काम करने दिया जाए जब वह इस तरह की बात करते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि बदलते हुए समय को पहचाना नहीं पा रहे हैं मनोरंजन की दुनिया यह उसके प्रशासन से जुड़े तौर-तरीके अब नहीं रहे उदाहरण पहले हुआ करते थे उदाहरण महामारी के बाद मनोरंजन की दुनिया बदल चुकी है सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत फिल्म से संबंधित कई भाग हैं जिनका गठन उदारीकरण के दौर में हुआ था फिल्म विभाग बाल चरित्र चिल्ड्रन फिल्म सोसायटी और राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के गठन के समय की मांग के अनुसार इन विभागों के दायित्व किए गए थे ©Ek villain #संस्थाओं में सुधार समय की मांग #Love
Ek villain
कॉलेज ड्रेस कोड से संबंधित एक मुद्दे ने कर्नाटक के बाकी हिस्सों में भी विवाद को जन्म दे दिया है तमाम अराजक तत्व धार्मिक परिंदे और विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा इस सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई और हिंसा में आग आदि की घटनाओं को अंजाम दिया गया संबंधित घटनाओं की बढ़ती गंभीरता और से जुड़े हिंसा को देखते हैं कर्नाटक सरकार द्वारा 3 दिन की आवश्यकता की घोषणा कर दी गई हम इस पर पूरी बहस के सामने आने वाली भटगांव से बचाते तीन महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान देना चाहिए पहला यह कि मामले तो धरने के बीच का नहीं है बल्कि धर्मनिरपेक्ष राज्य की अवधारणा और धार्मिक मान्यताओं के बीच का है जिसे वर्तमान परिस्थिति में संविधान की दृष्टि से देखा ना होगा दूसरा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का है तीसरा मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर प्रभाव धार्मिक व्यवस्था पर राजनीतिक तंत्र व्यवस्था स्थापित किया गया था आगे चलकर पॉप या खलीफा के नेता वाली में 2 योगिनी धार्मिक सप्ताह के तहत चलने वाली राज्य व्यवस्था की जगह पर आंशिक क्रांति के सिद्धांतों पर आधारित लोकतंत्र ने लिया तो इस बात पर बल दिया गया है कि किसी भी धर्म या संप्रदाय से जुड़े लोगों को दबाया नहीं जाना चाहिए अगर यूरोपीय इतिहास को ही देखे तो धर्म और राज्य को लेकर वह अलग अलग प्रयोग भी किए गए हैं जहां कई राज्यों में विवाद पहुंचे और धर्म को महत्व दिया गया है ©Ek villain #शिक्षा संस्थाओं में ड्रेस कोड का मामला #promiseday
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
Anuj Ray
खुशबू चरित्र की" खुशबू चरित्र की, हीरे सी चमकती है, फूलों सी महकती है। खुशबू चरित्र की, जीवन के आईने में, सूरज सी दमकती है। खुशबू चरित्र की, आदर्श भी गढ़ती है, इतिहास भी रचती है। ©Anuj Ray # खुशबू की चरित्र की"