Find the Latest Status about जीवन काल का पर्यायवाची शब्द from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, जीवन काल का पर्यायवाची शब्द.
Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
sûmìt upãdhyåy(løvë flūtê)
मजे लेने की उम्र में मजाक कर रही है जिंदगी😥😥 ©sûmìt upãdhyåy(flutist) जीवन काल #IFPWriting
Raj Raj
जीवन एक मोंगबती की तरह होता है जो समय के सात सात निरन्तर खत्म होता रहता है ©Raj Raj #DiyaSalaai जीवन काल
Monika jayesh Shah
जीवन काल 2021-2022 ©Monika Shah जीवन काल 2021-2022
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Kavita jayesh Panot
Lessons learned in life सबक कोरोना के इस काल ने, कितनो को निगल लिया, जो महकते थे इस जहाँ में गुलाब बन, उन्हें पल भर में नियति ने अपना कर लिया। एहसास हुआ कुछ ऐसा , जीवन और मृत्यु के बीच अनियमितता का, मौत और जीवन है दो पहलू इस सफर के। परिंदा बैठ काया के घरौंदे में, बस जपता रहता स्वांसों की माला। जीवन की इस अनियमितता ने अब, मुझको माया से बाहर निकाला। दुनियाँ के क्षण भंगुर रिवाजो से दूर, ले सबक जिन्दगी का सच्चा, मैने मुझको मुझमें ढूंढ़ निकाला। कविता जयेश पनोत ©Kavita jayesh Panot #जीवन मृत्यु#कोरोना काल#सबक
aashish shrivas
गुजरते वक्त की तासीर को देखा नहीं किसी ने ! रोज़ मरता रहा एक" दिन" शाम ढलते - ढलते !! दिन का जीवन काल ! #वक्त #तासीर #नहीं #रोज़ #मरता #शाम #दिन #सूर्य #जीवन #aashishshrivas
manoj kumar jha"Manu"
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।। सुधा दे रही है वसुधा हमें तो, भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।। "भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"* वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।। (स्वरचित) * माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (अथर्ववेद १२/१/१२) धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।