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Santosh Kumar

#सिन्धु घाटी सभ्यता #समाज

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SHISHIR BHARTI

🤝🤝 कतरे की हस्ती बुजदिली छोड़ जब देती है सिन्धु में मिल जाती है सागर में लहराती है। ✌✌ शिशिर भारती

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 🤝🤝
कतरे की हस्ती बुजदिली छोड़ जब देती है 
सिन्धु में मिल जाती है सागर में लहराती है। ✌✌ 
                             शिशिर भारती

T. V. story 329

सुनहरे गोबर की कहानी बहुत समय पहले की बात है. एक पर्वतीय प्रदेश में महाकाय वृक्ष था, जिस पर सिन्धुक नामक पक्षी निवास करता था. उस पक्षी की #पौराणिककथा

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Er. Shailendra Kumar

सुखा करता जय मोरया, दुख हरता जय मोरया। कृपा सिन्धु जय मोरया, बुद्धि विधाता मोरया। गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ती मोरया। 'गणेश चतुर्थी की शुभ #GaneshChaturthi #विचार

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सुखा करता जय मोरया, दुख हरता जय मोरया।
कृपा सिन्धु जय मोरया, बुद्धि विधाता मोरया।
गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ती मोरया।
'गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं'

©ER.SHAILENDRA KUMAR सुखा करता जय मोरया, दुख हरता जय मोरया।
कृपा सिन्धु जय मोरया, बुद्धि विधाता मोरया।
गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ती मोरया।
'गणेश चतुर्थी की शुभ

Ankitmotivation06

सुखा करता जय मोरया,
दुख हरता जय मोरया।
कृपा सिन्धु जय मोरया,
बुद्धि विधाता मोरया।
गणपति बप्पा मोरया,
मंगल मूर्ती मोरया। #सुखा #करता #जय #मोरया
#दुख #हरता #जय #मोरया
#कृपा #सिन्धु #जय #मोरया
#बुद्धि #विधाता #मोरया
#गणपति #बप्पामोरया
#मंगल #मूर्ती #मोरया #Nojoto

Prince Raज

तुम जिस शय्या पर शयन करो वह क्षीर सिन्धु सी पावन हो, जिस आँगन की हो मौलश्री वह आँगन क्या वृन्दावन हो, जिन अधरों का चुम्बन पाओ वे अधर नहीं गं

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तुम जिस शय्या पर शयन करो
वह क्षीर सिन्धु सी पावन हो,
जिस आँगन की हो मौलश्री
वह आँगन क्या वृन्दावन हो,
जिन अधरों का चुम्बन पाओ
वे अधर नहीं गंगातट हों,
जिसकी छाया बन साथ रहो
वह व्यक्ति नहीं वंशीवट हो  😊
@:-प्रिंस राज*** #NojotoQuote तुम जिस शय्या पर शयन करो
वह क्षीर सिन्धु सी पावन हो,
जिस आँगन की हो मौलश्री
वह आँगन क्या वृन्दावन हो,
जिन अधरों का चुम्बन पाओ
वे अधर नहीं गं

Divyanshu Pathak

आहड़ युग का राजस्थानी पशु पालने, भाण्ड बनाने,खिलौने और मकानों के साथ व्यापार और वाणिज्य को भी जानता था।लगभग 6 हजार साल पहले तक राजस्थान की अत #yqdidi #yqhindi #सुप्रभातम #पाठकपुराण #राजस्थान_के_इतिहास_की_झलकियाँ_1

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        सदियों पहले राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र में समुद्र था।ऋग्वेद के अनुसार सरस्वती और दृष्द्वति नदियाँ उसी में आकर मिलती थीं।ऐसी भी मान्यता है कि ऋग्वेद के कुछ मण्डलों की रचना यहीं की गई थी।ऋग्वेद में मरु और सरस्वती दोनों का ही उल्लेख मिलता है।"आहड़" उदयपुर के निकट एक गाँव के टीलों की खुदाई की गई तो पता चला कि सिंधु सभ्यता (हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो) के समकक्ष और समकालीन ही आहड़ में एक सुसमृद्ध सभ्यता और संस्कृति विकसित हो चुकी थी। आहड़ युग का राजस्थानी पशु पालने, भाण्ड बनाने,खिलौने और मकानों के साथ व्यापार और वाणिज्य को भी जानता था।लगभग 6 हजार साल पहले तक राजस्थान की अत

lalitha sai

जीवन के हर राह पर.. अपने आपको को ही सखा बनलों.. अपने आपको को ही साथी... तब जरुरत पढ़े तब अपने आपको को ही.. अपना माँ बनलों.. अपने आपको को ही ब #myworld #Myinspiration #lalithasai #goodwalimorning #sindhutai_sapkal

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जीवन की दृढ़ संकल्प सिंधुताई....

Read caption... 👇 जीवन के हर राह पर..
अपने आपको को ही सखा बनलों..
अपने आपको को ही साथी...
तब जरुरत पढ़े तब अपने आपको को ही..
अपना माँ बनलों..
अपने आपको को ही ब

अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'

https://www.facebook.com/reel/653296176834844?mibextid=9drbnH&s=yWDuG2&fs=e वक्त गवाँ कर आने वाले कब भूले कहलाते हैं? मजबूरी के प्रायश्चित म #शायरी

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Bazirao Ashish

असित - गिरि - समं स्यात् कज्जलं सिन्धु - पात्रे । सुर - तरुवर - शाखा लेखनी पत्रमुर्वी ॥ लिखति यदि गृहीत्वा #पौराणिककथा

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असित - गिरि - समं   स्यात्   कज्जलं  सिन्धु - पात्रे ।
सुर - तरुवर - शाखा          लेखनी           पत्रमुर्वी ॥
लिखति      यदि      गृहीत्वा      शारदा    सर्वकालं ।
तदपि    तव      गुणानामीश     पारं     न      याति ॥

अर्थ: हे प्रभु (शिव जी)! यदि नीले या काले रङ्ग के समान पर्वतों को सागर रूपी दवात में घोलकर काली स्याही और देवलोक के कल्पवृक्ष की शाखाओं की लेखनी/कलम बनायी जाय/जा सके।
यदि माँ शारदा/सरस्वती स्वयं अनन्तकाल तक आपके गुणों की व्याख्यान लिखती रहें तब भी आपके सम्पूर्ण गुणों का को नहीं लिखा जा सकता। अर्थात् आप आदि व अनन्त हैं।
🙏

©Bazirao Ashish असित - गिरि - समं   स्यात्   कज्जलं  सिन्धु - पात्रे ।
सुर - तरुवर - शाखा          लेखनी           पत्रमुर्वी ॥
लिखति      यदि      गृहीत्वा
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