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Raja Saheb

कशमकश कशमकश

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ये कश्मकश है ज़िन्दगी की,
...कि कैसे बसर करें
ख्वाहिशें दफ़न करें या चादर बड़ी करें कशमकश
कशमकश

U N T O L D TALKS

कशमकश.. #Poetry

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Vickram

कशमकश,, #शायरी

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Nirmala Pant

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Hari Mohan

कशमकश

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कभी इसका दिल रखा और कभी उसका दिल रखा,
इसी कशमकश में भूल गए खुद का दिल कहाँ रखा। 🙏 कशमकश

Vickram

कशमकश,,,,,, #शायरी

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Nadeem Khan

अजीब कशमाकश में हु मै।।
कभी छाव कभी धूप में हु मै।।।

©Nadeem Khan #कशमकश

GULSHAN KUMAR

कशमकश..

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बहुत जज्बे से लड़ा
पर मुझे पता था मेरा हसर क्या होगा
इसलिए मैने हर किसी को नही बताया सब कुछ
क्योकि मुझे पता था मेरा असर खत्म कहाँ होगा
मेरे दस्तरस मे नही था कुछ भी 
अगर होता तो मै भी आज दुसरो की मशावात करता 
खुद्दार हूँ मै मैने दरियाओं से नही पूछना है उनसे कैसे पार पाना है
मै तो वो हुँ जो भीड़ मे खड़ा होकर भी खुद के सिवा दुसरो से बात नही करता
जद्दोजहद मे लगा रहता हूँ सारा दिन 
मेरी कशमकश को कोई समझता नही है
मेरे तश्मे हमेशा खुले रहते है
मेरी तख्ती पर जज्बातो के अलावा कुछ छपता नही है
मेरे मतलो की गहराइयों को समझा करो
समझने पर ही मेरे मक्तो का रुतबा बढ़ता है
तुम लोग ऐसे ही हो कह देते हो
गुलशन तु ये क्या लिखता है  
सूरज रोज सुबह उगता जरूर है पर दिन चढ़ता नही है...

©GULSHAN KUMAR कशमकश..

"Kumar शायर"

किस ग़लती की सज़ा दे रहे हो, 

क्या वज़ह है, 
जो इतना आज़्मा रहे हो, 

दुनिया की परवाह का दायरा जितना बढ़ाओ गे, बाद में दोष ख़ुद को दे या दुनिया को, 

इसी कश्मकश में एक दिन, 
ख़ुद को तुम भूल जाओगे...!

©Umesh kumar #कशमकश

anoop rawat

कशमकश  

ये शिशकता हुआ मंजर सा क्यूँ  है |
ये खामोशी का अंबर सा क्यूँ  है |
क्यूँ रुक गए सारे आसरों  मैं अपने ,
ये कब्रों भरा बाजार सा  क्यूँ  है |

ये खुदा के दरबार सब क्यूँ  बंद है |
ये प्यार भरा इजहार सब क्यूँ  बंद है |
क्यूँ  फासले हुए मुक्करर अपनों से , 
ये उनका दीदार सब क्यूँ  बंद है |

फ़लसबा सबको सबक मिला है |
मेरे मन मस्तिक मैं भी , जुगनू  जल उठा है |
काटते नहीं  कटते हैं ये पल ,
बाटने को  कुछ , बचा ही क्या है |

कल बचते थे रूबरू होने से उनके ,
आज उनसे एकरार को तरसते हैं |
दूरी कल जो गज भर नहीं थी |
फासले मिलों भर, यूं ही  नापा फिरते थे |
आज जब फासले करीब ले आए हैं  मन मैं ,
तो खुदा की चाबुक और जंजीर से डरते हैं |

ईश्वर क्यूँ  इंसान को इतना कमजोर बनाया |
दिमाग रहमत कर,  जाहिल बनाया,  खुदकर्ज बनाया |
हम से तो जंगली गूंगे   भले हैं ,
कम-स-कम अपनों मैं मोहब्बत तो रखते हैं |

                                                        अनूप रावत #कशमकश
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