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Sanket Chaudhary
इथे जागा कमी भासल्या मूळे माझी कविता caption मध्ये लिहिली आहे , तरी या कवितेचा आस्वाद घ्यावा.... नक्की आवडेल तुम्हाला अशी आशा.... धन्यवाद, मत भेद सोडून सारे, ओळख बनवा नवी.... प्रेमाचे बीज ते पेरा, फुलवा माणुसकीचे वृक्ष मनी... जिव्हाळ्याचे कोंब त्याला, अन् मदतीच्या वाढेल मुळी.
मत भेद सोडून सारे, ओळख बनवा नवी.... प्रेमाचे बीज ते पेरा, फुलवा माणुसकीचे वृक्ष मनी... जिव्हाळ्याचे कोंब त्याला, अन् मदतीच्या वाढेल मुळी. #Collab #YourQuoteAndMine #yqquotes #yqtaai #माणुसकीचेवृक्ष
read moreVishalkumar "Vishal"
(दृश्य- तालाब किनारे कुर्सी पर फूलचंद बैठा है। पास में एक थैली है। स्कूटी से फुलवा का आना और स्कूटी खड़ी करते हुए) she- और फूलचंद जी कैसे हो ? (फूलचंद के कंधे पर थपकी देकर) कल तो बड़ी चॉकलेट वॉकलेट पेश थी आज क्या पेशे नज़र है हमारे? (थैली से टेडी बियर निकाल कर) he- ये लिजिए जहांपनाह (मुस्कुराते हुए) she- इसे रखिए साईड में और बताएं असल के गुल खिलाकर बगिया सजाने का है फूल्ले बताओ कब आए रिश्ता पक्का करने घर तुम्हारे ? (फूलचंद मंद मंद मुस्कुराते हुए फूलवा को देखता है) ------------------------------------------- रहेगा फुलवा के सवाल पर फूलचंद के ज़वाब का इंतज़ार,,,,, तो बने रहे फुलवा फूलचंद के साथ । ©Vishalkumar "Vishal" (दृश्य- तालाब किनारे कुर्सी पर फूलचंद बैठा है। पास में एक थैली है। स्कूटी से फुलवा का आना और स्कूटी खड़ी करते हुए) she- और फूलचंद जी कैसे हो
(दृश्य- तालाब किनारे कुर्सी पर फूलचंद बैठा है। पास में एक थैली है। स्कूटी से फुलवा का आना और स्कूटी खड़ी करते हुए) she- और फूलचंद जी कैसे हो #teddyday #NojotoFilms #प्रेरक
read moreRohini Pande
*कांतीचा शिंगार...(लावणी)* ************************** शय्या सजली सजला महाल आस लागली जीवा कधी याल रात सरता जीवाचे होई हाल माझ्या यौवनाचा बहार हा फुलवा राया येऊन कांतीचा शिंगार खूलवा।।धृ।। जीव झालाया किती अधीर या ना लवकर नको उशीर तुम्हासाठी नजर भिरभीरं तुमच्या बाहुत साजणा झुलवा।।१।। माझ्या यौवनाचा बहर हा फुलवा राया येऊन कांतीचा शिंगार खूलवा।।धृ।। नटले सजले मी दिलवरासाठी बोलवी तुम्हास माझी ही मिठी शिंगार उधानला या रातीसाठी कोडं प्रेमाचं तुमीच हो सोडवा।।२।। माझ्या यौवणाचा बहर हा फुलवा राया येऊन कांतीचा शिंगार खूलवा।।धृ।। हात धरता चमके देहात ईज हरवलीया राया रातीची नीज करा हो तुम्ही भेटीची तजवीज रात सरतीया ही चला श्रींगार घडवा।।३।। माझ्या यौवणाचा बहर हा फुलवा राया येऊन कांतीचा शिंगार खूलवा।।धृ।। उभार अंगाचे मोहरून आले तनामनावर शिंगार ल्याले भाव व्याकुळ भरात हे आले येऊन चाखवा इष्काचा गोडवा।।४।। माझ्या यौवणाचा बहर हा फुलवा राया येऊन कांतीचा शिंगार खूलवा।।धृ। *रोहिणी पांडे,नांदेड* *दि.२०.९.२०१९* *कांतीचा शिंगार...(लावणी)* शय्या सजली सजला महाल आस लागली जीवा कधी याल रात सरता जीवाचे होई हाल माझ्या यौवनाचा बहार हा फुलवा राया येऊन कांतीच
*कांतीचा शिंगार...(लावणी)* शय्या सजली सजला महाल आस लागली जीवा कधी याल रात सरता जीवाचे होई हाल माझ्या यौवनाचा बहार हा फुलवा राया येऊन कांतीच #poem
read moreVishalkumar "Vishal"
(फुलवा के सवाल पर फूलचंद का ज़वाब) he- फुल्लो ! ये दुनिया है और इसमें हर तरह के लोग होते हैं,,,,, अच्छे ,,,बूरे सभी तरह के लोग (फुलवा फूलचंद को ध्यान से सुनते हुए) he- लेकिन इस दुनिया में यकीन बडा होता है। ये नहीं,,,की,,,आंख मूंद कर यकीं किया जाए,, बल्कि फुल्लो ,,,, ख़ुद से सवाल करके करो। (फुलवा फूलचंद कि बातें समझने कि कोशिश करती है) he- फुल्लो! न जाने कब प्यार हुआ और कब इज़हार,, ,,,, (तालाब कि ओर मुख करके) लेकिन,,, तुमने मेरे इज़हार पर ख़ुद से सवाल किए होंगे ,,, और she- और क्या फूल्ले (फूलचंद को थपकी देकर) he- और मेरी हर बातों में तुमने अपने सवालों के ज़वाब तलाशे होंगे,,,,, फुल्लो ,,,,! यूं ,,ही तो,,,,, यकीन होता है किसी के कहने भर से ,,,,,, she- हां! (बात को स्वीकारते हुए),,,,, (और फुलवा अपनी नज़रें झुकाए खड़ी है) (अपने मोबाइल से फूलचंद एक रिंग करता है और ) he- फूल्लो ! ,,,,,, वो देख कौन आ रहा है? (तालाब कि ओर दोनो कि फैमिली आते हुए ) she- (फुलवा आश्चर्य से ,,,,,,,, ये,,, ये,,, कैसे फूलचंद,, चंद,,जी (धीरे धीरे दोनो फैमिली नजदीक आ रही है और) he- फूल्लो !,,,,, she- हां ! बोलो फूल्ले he- तुमसे इज़हार करने से पहले मैने (फैमिली कि ओर इशारा करके) मैंने इन सबसे साथ निभाने का वादा किया था ------------------- ©Vishalkumar "Vishal" (फुलवा के सवाल पर फूलचंद का ज़वाब) he- फुल्लो ! ये दुनिया है और इसमें हर तरह के लोग होते हैं,,,,, अच्छे ,,,बूरे सभी तरह के लोग (फुलवा फूलचंद
(फुलवा के सवाल पर फूलचंद का ज़वाब) he- फुल्लो ! ये दुनिया है और इसमें हर तरह के लोग होते हैं,,,,, अच्छे ,,,बूरे सभी तरह के लोग (फुलवा फूलचंद #promiseday #NojotoFilms #प्रेरक
read moreAnuj Ray
प्रकृति के यौवन के, खिलते हैं जैसे उपवन में फूल । ठीक वैसे ही लगते, अधर तुम्हारे, चढ़ते यौवन के शूल। ©Anuj Ray # प्रकृति के यौवन के..
# प्रकृति के यौवन के.. #कविता
read moreAnuj Ray
ज़िन्दगी के सफ़र के, बिल्कुल आख़री ,कगार के नजदीक पहुंचकर एकदम, छुड़ा के हाथ, अगर तुमसे कोई कहे कि, अब ये रिश्ता हो गया यहीं पे खतम। क्या हुआ, थक गए क्या चलते-चलते, कोशिश करो चलने के और भी दो चार कदम। वैसे तो लाजमी है, बिछड़ ही जाएंगे, लेकिन तुम तो, मेरे गर्दिशों के साथी हो हमदम। बस क्या , ज़िन्दगी भर के कसमें वादे, और प्यार वफा का, तुम्हारा यही इन्तकाम है। शायद मोहब्बत में ,किसी को नहीं मिला होगा, ये पहला मेरी क़िस्मत का इनाम है। ©Anuj Ray # ज़िन्दगी के सफ़र के,
# ज़िन्दगी के सफ़र के, #ज़िन्दगी
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