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रसिक उमेश

#Thinking भावना में भाव का महत्व है

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White चित्र नही चरित्र सुंदर होना चाहिए,
दुर्योधन घर मेवा त्यागो
साग विदुर घर खायो🌷

©रसिक उमेश #Thinking भावना में भाव का महत्व है

Diya

#love_shayari #यह कविता #प्रेम की #भावना को #व्यक्त करती है और यह #दर्शाती है कि कैसे प्रेमी के साथ #रहना और उनके #प्यार में खिलना जीवन को

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White 

तुम्हारी आँखों में समाया है प्यार,
तुम्हारे दिल में बसाया है प्यार।
तुम्हारी मुस्कान में खिला है प्यार,
तुम्हारी आवाज़ में गूंथा है प्यार।

तुम्हारे साथ में रहना है प्यार,
तुम्हारे बिना जीना है अधूरा।
तुम्हारी याद में जलना है प्यार,
तुम्हारे प्यार में खिलना है जीवन।

तुम्हारे प्यार की खुशबू से महकता है मेरा दिल,
तुम्हारे प्यार की गर्मी से जलता है मेरा जीवन।
तुम्हारे प्यार की मिठास से मीठा होता है मेरा दिन,
तुम्हारे प्यार की गहराई से गहरा होता है मेरा प्यार।

©Diya #love_shayari 
#यह कविता #प्रेम की #भावना को #व्यक्त करती है और यह #दर्शाती है कि कैसे प्रेमी के साथ #रहना और उनके #प्यार में खिलना जीवन को

Shashi Bhushan Mishra

#भावना मत करो आहत#

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भीड़ भगदड़ और सियासत,
कर  रहे  हो  क्यों शिकायत,

ज़िन्दगी   महफूज़   सबकी,
ख़ुदा  तुम  रखना   इनायत,

आस्था   अपनी    जगह  है,
भीड़   से   बचना   हिदायत,

ज़ल्दबाज़ी   मत  करो  तुम,
पास  आ   जाती   क़यामत,

गिद्ध   दृष्टि   ताकतीं   जब,
मन में  लेकर  इक अदावत,

समझ  पाते  नहीं   ज़ाहिल,
मूर्ख   भी   करते   बगावत,

सीख लो तुम  प्यार  'गुंजन',
भावना  मत   करो   आहत,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #भावना मत करो आहत#

Vikas Sahni

#बारह_बजे_की_बेचैनी हो चुके हैं बारह बजकर बाईस मिनट फिर भी नहीं आयी नींद की आहट कि आखिर कब उसे न्याय मिलेगा- यही सोच कर दिल में है अकुलाहट।

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White _____बारह_बजे_की_बेचैनी_____



हो  चुके  हैं  बारह बजकर बाईस मिनट
फिर  भी  नहीं  आयी  नींद  की  आहट
कि   आखिर  कब ‌ उसे   न्याय  मिलेगा-
यही  सोच  कर  दिल‌  में  है  अकुलाहट।
निराकार होकर भी आनंद जल रहा,
हल्का हौसला देती है जिसकी लपट
म्हारी महफ़िल लूटेरों से भर गयी है
तुम आओ, कष्ट मिटाओ मेरे नटखट!
कविता जो दिया है,मुझे मालूम है यह
तुम इक और उपहार दो, वह संसार दो,
जिसमें लालच न हो, न ही कोई कपट।
मेरे माधव मुझको तुम जल्दी जिता दो
तुड़वा-तुड़वाकर प्रत्येक घोटाले का घट।
यही सोचते-सोचते अब बज चुके हैं एक 
शुरू हुई बारह-बाईस पे कविता की टेक।।
                           ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #बारह_बजे_की_बेचैनी
हो चुके हैं बारह बजकर बाईस मिनट
फिर भी नहीं आयी नींद की आहट
कि आखिर कब उसे न्याय मिलेगा-
यही सोच कर दिल में है अकुलाहट।

Anjali Singhal

"दिन बदले रात बदली, एक-एक करके बारह महीने बदलकर, अब तो कलेंडर भी बदल गया। पर उनकी याद पर रत्तीभर भी ना असर हुआ, कल भी उसका आना जारी था, आज

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green-leaves "दिन बदले रात बदली,
एक-एक करके बारह महीने बदलकर,
अब तो कलेंडर भी बदल गया।
पर उनकी याद पर रत्तीभर भी ना असर हुआ, 
कल भी उसका आना जारी था,
आज भी उसका आना जारी रहा।।"

©Anjali Singhal "दिन बदले रात बदली,
एक-एक करके बारह महीने बदलकर,
अब तो कलेंडर भी बदल गया।
पर उनकी याद पर रत्तीभर भी ना असर हुआ, 
कल भी उसका आना जारी था,
आज

Chirag Dodiya

#snow Premanand ji maharaj ( सबको सुख पहुचानेकी भावना रखो ) #premanand #Shorts day;10

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Unsplash Premanand ji maharaj ( सबको सुख पहुचानेकी भावना रखो )

©Chirag Dodiya #snow Premanand ji maharaj ( सबको सुख पहुचानेकी भावना रखो ) #premanand #shorts day;10

Praveen Jain "पल्लव"

#Newyear2024-25 पतझर बारह महीने झरता है

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New Year 2024-25 पल्लव की डायरी
छलनी है चाँद सितारे
सूरज आभा हीन हुआ
नक्षत्र ग्रह सब उलट पलट गये
कूरता का बह्मांड में उदय हुआ
दिन पल घटी कटते नही कटती है
हर वर्ष नया लगता 
मगर उम्मीद का दामन छोड़ जाता है
दाँव लगाने वाले,दुनियाँ जीतने निकले
जल थल नभ पर उनका कब्जा है
साख मानवता की सूखी
पतझर बारह महीने झरता है
नव जीवन कैसे फले फूले
माली बगिया को मसले हुये है
ढ़ाचे जिंदा जरूर दिखते
लेकिन सोच समझ उत्साह
रोज उनके व्यवस्था के आगे मरते है
                                                 प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #NewYear2024-25 पतझर बारह महीने झरता है

theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_qoute टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान, जहां रहता था कभी सच्चा इंसान। मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर, कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान। रीति वो

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White टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान,
जहां रहता था कभी सच्चा इंसान।
मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर,
कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान।

रीति वो पुरानी कितनी प्यारी थी,
जहां हफ्तों रुकता था हर मेहमान।
भाईचारे की भावना एक हस्ती थी,
अब भाई को नहीं मिलता सम्मान।

अब किराए का शहर छोड़कर,
उसी गांव में फिर से बस रहा इंसान।
खो दिया है सबका अपमान कर,
अब गैरों में ढूंढता है सम्मान।

ये कैसा दौर चला है कलयुग का,
देखकर भी कुछ न सीखता है इंसान।
मुकर जाता है एक मदद के नाम से,
अभय से ना रखता है जान-पहचान।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_qoute 
टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान,
जहां रहता था कभी सच्चा इंसान।
मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर,
कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान।

रीति वो

Jaymala Bharkade

शब्दामागची भावना मराठी कविता संग्रह

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White  ...शब्दामागची भावना...


तुला मला उमगले सारे 
परि शब्दांनी रास केली भारी 

शब्द काय हो एक जाती दुसरी येती... 
भांडून हसून रडून कूचकुन बोलणारे शब्द निराळे 

जातो कुणी रागाने ही भले सांगून 
अन् कुणी द्वेष करतो गोड बोलूनी 

 त्याचे असे लय निरनिराळे 
परि निराळी शब्दामागची भावना 

कुणी बोलूनी निभावे तर कुणी न बोलता
स्वभावाने निराळे असे ज्याच्या त्याचं वाटा

तुला मला उमगले सारे 
अशी शब्दांनी रास केली भारी

©Jaymala Bharkade शब्दामागची भावना  मराठी कविता संग्रह

Jaymala Bharkade

language_of_heart❤️ शब्दामागची भावना मराठी कविता

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White  ...शब्दामागची भावना...


तुला मला उमगले सारे 
परि शब्दांनी रास केली भारी 

शब्द काय हो एक जाती दुसरी येती... 
भांडून हसून रडून कूचकुन बोलणारे शब्द निराळे 

जातो कुणी रागाने ही भले सांगून 
अन् कुणी द्वेष करतो गोड बोलूनी 

 त्याचे असे लय निरनिराळे 
परि निराळी शब्दामागची भावना 

कुणी बोलूनी निभावे तर कुणी न बोलता
स्वभावाने निराळे असे ज्याच्या त्याचं वाटा

तुला मला उमगले सारे 
अशी शब्दांनी रास केली भारी

©Jaymala Bharkade #language_of_heart❤️ शब्दामागची भावना  मराठी कविता
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