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N S Yadav GoldMine
White श्रीगीताजी का माहात्म्य:-इदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन । न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां योऽभ्यसूयति ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} भावार्थ :-तुझे यह गीत रूप रहस्यमय उपदेश किसी भी काल में न तो तपरहित मनुष्य से कहना चाहिए, न भक्ति-(वेद, शास्त्र और परमेश्वर तथा महात्मा और गुरुजनों में श्रद्धा, प्रेम और पूज्य भाव का नाम भक्ति है।)-रहित से और न बिना सुनने की इच्छा वाले से ही कहना चाहिए तथा जो मुझमें दोषदृष्टि रखता है, उससे तो कभी भी नहीं कहना चाहिए ॥67॥ ©N S Yadav GoldMine #sad_quotes श्रीगीताजी का माहात्म्य:-इदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन । न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां योऽभ्यसूयति ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} भा
#sad_quotes श्रीगीताजी का माहात्म्य:-इदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन । न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां योऽभ्यसूयति ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} भा
read moreneelu
Unsplash जीना कैसे चाहते हैं अगर वह इच्छा आपकी है तो आप मरना कैसे चाहते हैं यह इच्छा भी आपकी ही होनी चाहिए बाकी सब धुआं धुआं है पर धुए धुए में भी फर्क है.. ©neelu #library जीना कैसे चाहते हैं अगर वह इच्छा आपकी है तो आप मरना कैसे चाहते हैं यह इच्छा भी आपकी ही होनी चाहिएबाकी है सब धुआं धुआं है पर पर धुए
#library जीना कैसे चाहते हैं अगर वह इच्छा आपकी है तो आप मरना कैसे चाहते हैं यह इच्छा भी आपकी ही होनी चाहिएबाकी है सब धुआं धुआं है पर पर धुए
read moreRakesh frnds4ever
White जाने क्यों कुछ कह नहीं पाता हूं या फिर कहते कहते रुक जाता हूं,सहम जाता हूं खामोश ही रह जाता हूं ,,,,,,, क्योंकि कुछ भी कहने सुनने को आवाज़ के अलावा दिल, तन ,मन,,चित, चाह,इच्छा,, लोभ,मोह,स्नेह,लगाव, समर्पण,अपनापन,भोलापन, सादगी,नादानी,प्यार, मनोदशा, मनोभाव, विचार, व्यवहार, चरित्र, नियत,जरूरत ,,,,,,,,,,,,, आदि सब किसी का होना भी जरूरी होता है।।। ©Rakesh frnds4ever #जाने_क्यों… कुछ कह नहीं पाता हूं या फिर कहते कहते रुक जाता हूं, #सहम जाता हूं #खामोश ही रह जाता हूं ,,,,,,, क्योंकि कुछ भी कहने सुनने
Rakesh frnds4ever
White कोई कैसे जीते जालिम जमाने से कि अपने ही लगे पड़ें हैं अपनों कि लाश गिराने में कोई कैसे जिए इन बेबस दुखी नासूर अत्याचारों से कि खूनी दरिंदे बने हुए हैं अपने ही परिवारों में """"किस्मत को मंज़ूर यही था जीती बाज़ी हार गए लड़ते रहे हम तूफानों से और वो दरया पार गए"""" ,,,,,,जब किसी की इच्छा या चाह ही नहीं है ,,, तो मैं जीतकर भी ,,,,क्या करू ,,,..!!!???!!! ©Rakesh frnds4ever #कोई #कैसे जीते #जालिम #जमाने से कि अपने ही लगे पड़ें हैं अपनों कि #लाश गिराने में कोई कैसे जिए इन बेबस दुखी #नासूर अत्याचारों से
Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White अब ना होती काम की इच्छा ना दौलत ना नाम की इच्छा..! जैसे-जैसे ढ़ले जवानी वैसे हो आराम की इच्छा..! ना कोई अभिमान की इच्छा ना झूठे सम्मान की इच्छा..! धीरे-धीरे समझ आ रही बे-मतलब इंसान की इच्छा..! ना जीवन अनमोल की इच्छा अंतर के पट खोल की इच्छा..! झूठ कपट छल छिद्र छोड़ के सबसे मीठे बोल की इच्छा..! ना छप्पन पकवान की इच्छा धर्म-कर्म जप दान की इच्छा..! अब केवल सदज्ञान सुहावे कैसे हो निर्वाण की इच्छा..! ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #इच्छा