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bharti kashyap
तजुर्बा कहता है कि शब्दों का भी तापमान होता है.. ये शुकून भी देते हैं, और जला भी देते हैं... #शब्दों का संयोग...
Mukesh Kohli
शायद तू भूल गया उन मुश्किल दिनों को जब तू बिखर न जाय इसलिए तेरा हाथ थाम कर हर पल मैं तेरे साथ खड़ा था 😐 और कमबख्त तेरी अकड़ देख जब तू उबर गया उस मुश्किल से तो तुझे अब हम याद ही नहीं 😣 ©Mukesh Kohli लोगों का दोहरा चरित्र । #aprilfools
mukeshmeena
#5LinePoetry गली से गुजरते हुए सब्जी वाले ने मकान की घंटी का बटन दबाया। दरवाजा खोलकर बाहर आई महिला ने देखा। "बीबी जी ! सब्जी ले लो । बताओ क्या- क्या तोलना है। कई दिनों से आपने सब्जी नहीं खरीदी ,कया कोई और देकर जा रहा है?" सब्जी वाले ने कहा कहा। "रुको भैया! मैं आती हूँ।" उसके बाद महिला घर से नीचे उतर कर आई और सब्जी वाले के पास आकर बोली - "भैया ! तुम हमारी घंटी मत बजाया करो। हमें सब्जी की जरूरत नहीं है।" "कैसी बात कर रही हैं बीबी जी ! सब्जी खाना तो सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। किसी और से लेती हो क्या सब्जी ?" सब्जीवाले ने कहा। "नहीं भैया! उनके पास अब कोई काम नहीं है। और किसी तरह से हम लोग अपने आप को जिंदा रखे हुए हैं। जब सब ठीक होने लग जाएगा, घर में कुछ पैसे आएंगे, तो तुमसे ही सब्जी लिया करूंगी। मैं किसी और से सब्जी नहीं खरीदती हूँ। तुम घंटी बजाते हो तो उन्हें बहुत बुरा लगता है, उन्हें अपनी मजबूरी पर गुस्सा आने लगता है। इसलिए भैया अब तुम हमारी घंटी मत बजाया करो।" महिला कहकर अपने घर में वापिस जाने लगी। "ओ बहन जी ! तनिक रुक जाओ। हम इतने बरस से तुमको सब्जी दे रहे हैं । जब तुम्हारे अच्छे दिन थे, तब तुमने हमसे खूब सब्जी और फल लिए थे। अब अगर थोड़ी-सी परेशानी आ गई है, तो क्या हम तुमको ऐसे ही छोड़ देंगे ! दो मिनिट रूकिये; और सब्जी वाले ने एक थैली के अंदर टमाटर , आलू, प्याज, घीया, कद्दू और करेले डालने के बाद धनिया और मिर्च भी उसमें डाल दिया । महिला हैरान थी। उसने तुरंत कहा – "भैया ! तुम मुझे उधार सब्जी दे रहे हो, कम से कम तोल तो लेते, और मुझे पैसे भी बता दो। मैं तुम्हारा हिसाब लिख लूंगी। जब सब ठीक हो जाएगा तो तुम्हें तुम्हारे पैसे वापस कर दूंगी।" महिला ने कहा। "वाह..... ये क्या बात हुई भला ? तोला तो इसलिए नहीं है कि कोई मामा अपने भांजी -भाँजे से पैसे नहीं लेता है। और बहिन ! मैं कोई अहसान भी नहीं कर रहा हूँ । ये सब तो यहीं से कमाया है, इसमें तुम्हारा हिस्सा भी है। गुड़िया के लिए ये आम रख रहा हूँ, और भाँजे के लिए मौसमी । बच्चों का खूब ख्याल रखना। ये बीमारी बहुत बुरी है। और आखिरी बात सुन लो .... घंटी तो मैं जब भी आऊँगा, जरूर बजाऊँगा।" और सब्जी वाले ने मुस्कुराते हुए दोनों थैलियाँ महिला के हाथ में थमा दीं। अब महिला की आँखें मजबूरी की जगह स्नेह के आंसुओं से भरी हुईं थीं। कुछ लोग अपने नहीं होते हुये भी अपनो से ज्यादा प्यारे व सहयोगी होते हैं, . . ©mukeshmeena संयोग का हाथ उठाऐ #lockdown2021
Ek villain
इन दिनों अभिनेत्री और अनिल कपूर की बेटी सोनम कपूर का एक फोटो वायरल हो रहा है वह लंबी बेबी बंप दिखाई दे रही है या नहीं जल्दी मां बनने वाली है इस खबर को मीडिया में मैं तो दिया थी तब मैंने उसका फरान खान करीना कपूर आदि भी ऐसा कर चुकी है इस समय रहा जब महिलाओं को अपने मां बनाने के चिन्ह को छुपाना पड़ता था इससे लज्जा से जुड़ा जाता था हिंदी में ऐसा नहीं है मां बनाना किसी भी स्त्री का ऐसा कौन है जो किसी पुरुष के पास नहीं है इससे सृष्टि चलती है सृष्टि ना हो अगली पीढ़ी ना हो तो दुनिया नहीं चलेगी लेकिन इससे मां बनने की नींद सोते समय शरीर कमजोर के रूप में व्यक्त किया है परंतु इस दुनिया को दिखाना चाहती है और उनके चाहिए ©Ek villain #नारी वादियों का दोहरा जीवन #patience
Ek villain
इस सृष्टि के उद्भव के विषय में विचार करते हुए कहा गया है कि इसके आदि में केवल एक अकेला भ्रम ही था जो आरोपी तथा करता था तब किसी समय उसके मन में यह इच्छा जागृत हुई कि वह एक से बहुत हो जाए उसकी यह इच्छा ही एक अनुपम योगिता का रूप धारण कर उसके सामने आकर खड़ी हो गई जो बाद में पुरुष रूप धारण किए उस भ्रम की पत्नी बन कर उसे सेरेमनी हुई इसी सृष्टि वीर पुरुष और स्त्री का पहला सहयोग था ©Ek villain #amirkhan संयोग वियोग स्त्री पुरुष का
Dilipkashyap
संयोग संयोग धन से भी बड़ा है, जो कभी - कभी पढ़ाई में पीछे रहने वाले व्यक्ति को नौकरी के समय आगे खड़ा कर देता है। #संयोग
Bharat Singh Bhati
योग ही हमें योग्य बनाता है राम के लिये भी और माया के लिए भी,यही हमें ऊर्जा देता है योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं बधाई 🌹🌹🙏🌹🌹 जय श्री राम ©Bharat Singh Bhati योग का प्रयोग करके सहयोग,संयोग हो
Nitin Sharma
क्योंकि मुझे मेरी जीत से कम तेरी मुस्कान ज्यादा प्यारी है ©Nitin Sharma #संयोग
Prashant Tiwari
तुम उर्दू सी हो मैं संस्कृत का श्लोक क्या मिलना होगा ऐसा बना कोई संयोग। तुम मस्जिद में रहती मैं मंदिर में रहता हूं इन दो दिवालो के नक्काशी में कुछ उल्टा सीधा मोड़। तुम अजान हो इश्क का मै मंत्रों का जाप तुम बिछिए पे पली बढ़ी यहां सिंदूर का ख्वाब। क्या ये खेल है या होने वाला है क्या हमारा मेल है या होने वाला है। तुम बंदिशों में खिली हुई मैं भोर से उड़ा रहा। तुम चांद को देखा करती मैं सुरज की लाली को। अब जो होगा देखा जायेगा ना टुटेगा यह जोड़ कुछ उल्टा सीधा मोड़ कुछ उल्टा सा संयोग। संयोग