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Shaikh Shabbir
खुशी क्या होती है इस पेड़ से पूछो जब तक इसके पास हरियाली थी तब तक ये भी हरा भरा था आज देखो सुख कर जमीन का बोझ बना पड़ा है इस पेड़ से हमे एक बात मालूम पड़ती है जिंदगी में हर इंसान से मोहब्बत करो सबसे मिलते जुलते रहो आप अगर किसी को रोज कोसेंगे क्या पता वो भी अंदर से टूट जाए और आपको पता तक ना चले जब तक वो पेड़ हरा था अपने आस पास को हरियालियो से भरा पड़ा था वैसे ही जिस इंसान से आप मोहब्बत करते हो उसे मत कोसो क्या पता कभी वो भी आपको छोड़ जाए इसलिए हर इंसा की कद्र करनी चाहिए ©Shaikh Shabbir शब्बीर शेख
Zeeshan Ansari
ग़ज़ल हमारी ज़िन्दगानी में जो इतनी शादमानी है। ये अपनों की इनायत है, ख़ुदा की मेहरबानी है। महेज़ क़तरा समझिए मत इसे दो बूंद पानी का, बयां जो कर नहीं सकते उसी की तरजुमानी है। उजड़ता जा रहा है धीरे-धीरे बागबां अपना, ये कैसी हुक्मरानी है, ये कैसी निगहबानी है। ये दुनियां चार दिन की है बहुत उम्मीद ना रखना, सुनाई जा रहीं हैं जो फकत झूठी कहानी है। मसर्रत बढ़ती जाती है कभी जब सोचते हैं हम, वरासत में मिली हमको बुज़ुर्गों की निशानी है। चलो सिक्का उछालो जो भी होगा देखा जायेगा, हमें फूटी हुई क़िस्मत मुक़र्रर आज़मानी है। ये कैस रहनुमां हैं जो हमें पहचान ना पाए, अरे पहचान तो ज़ीशान अपनी ख़ानदानी है। ज़ीशान अंसारी बरकाती
Akbar Shah
यूँ रुलाया ना कर जिंदगी हर बात पर जरूरी तो नहीं की हर किसी की किस्मत में चुप कराने वाला भी हो रेहान बरकाती रेहान रज़ा बरकाती
Zeeshan Ansari
जो भी वादे हैं किए सारे निभाऊंगा मैं आप जो चाहेंगे वो करके दिखाऊंगा मैं दर्दो आलाम की तारीफ़ अगर पूछोगे अपने दिल की तुम्हे आवाज़ सुनाऊंगा मैं मैं हूं इक आम बशर कोई मुफ़स्सिर तो नहीं जो तेरे ख़्वाबों की ताबीर बताऊंगा मैं करदे मजबूर ज़माने को जो बोसे के लिए ऐसा किरदार हसीं अपना बनाऊंगा मैं खा नहीं पाएंगे जब खाना ज़ईफी के सबब बूढ़े मां बाप को हाथों से खिलाऊंगा मैं ऐसे बेगानों की बस्ती में कोई कैसे जिए छोड़िए दुनियां अलग जाके बसाऊंगा मैं इश्क़ है, इश्क़ है ज़ीशान सुनो इश्क़ है ये इसके हर नाज़ मुहब्बत से उठाऊंगा मैं ज़ीशान बरकाती इलाहाबादी ज़ीशान बरकाती इलाहाबादी
Shaikh Shabbir
क्यू कि तू अपनी खुबिया ढूंढ खामियां निकाल ने केलिए लोग है ना अगर कदम रखना है तो आगे रख पीछे खींचने केलिए लोग हैं ना सपने देखना है तो ऊंचा देख नीचा दिखाने के लिए लोग है ना तू अपने अंदर की चिंगारी भड़का जलने केलिए लोग है ना प्यार करना है तो खुद से कर नफरत करने केलिए लोग है ना जिंदगी को आगे बढ़ाते चल कब्र में लेजाने केलिए लोग हैं ना शब्बीर शेख ©Shaikh Shabbir I am शब्बीर बाबा #Mic
Zeeshan Ansari
कता जो मैंने कल कहा था तुम्हे आई लव यू सुनते हैं ख़बर फ़ैल गई है वो चार सू कर्ता हूं सिद्क दिल से दुआयें मैं सुबह शाम जो भी है तेरे दिल में वो पूरी हो आरज़ू ज़ीशान बरकाती इलाहाबादी मुहब्बत के हवाले से चार मिश्रे ज़ीशान बरकाती