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कवी - के. गणेश
लावू इवल्याला जीव जशी मायेची माऊली.. मग येईन अंगणी गोड सुखाची सावली.! @kganesh इवले रोप
सुधा भारद्वाज"निराकृति"
Environment रोप दूं ******** रोप दूं अब कुछ नहीं एहसास बड़ी आशाओं के। देंगे जो सुखद लम्हें विस्मित सी इन बाधाओं से। दुरुस्त होंगे दिलो-दिमाग फिर इक नई बयार से। चोट देंगे सोच को जो है कुटिल मनोभाव में। चल रही है नफरतों की अंधाधुंध आंधियां। खर पतवारें भर रही है क्या घाटीयां क्या वादियां। बोनी है अब नन्ही कलमें मोहब्बतों के गुलाब की। देंगी जो बढ़कर सबों को शांत सी परछाइयां। ©सुधा भारद्वाज #रोप दूं #EnvironmentDay2021
मनीष चौहान
रोप तो आंखों में होना चाहिए हथियार तो चौकीदार के पास होता है
Vinod Mishra
Madhav_Write #स्वामिनी
सुनो.... आपका स्नेह जैसे कोई सूरजमुखी का पौधा है जिसे आपने रोप दिया है आपने मेरे अंतस में ..... जैसे सूर्य किरण चमके सूर्यमुखी के शीर्ष पर वैसे ही में दमकू स्वर्ण लता बनकर आपके प्रेम शीर्ष पर.... ♥️💞 ©Madhav_Write #स्वामिनी सुनो.... आपका स्नेह जैसे कोई सूरजमुखी का पौधा है जिसे आपने रोप दिया है आपने मेरे अंतस में ..... जैसे सूर्य किरण चमके सूर्यमुखी के श
neerajthepoet
ख्वाहिशें रोप दी जाती है खेतों में धान की तरह. मानो ये एक दिन ज़मी को आसमाँ कर देंगी जिसमे उग आएंगे चाँद-तारे. यूं तो सपने भी बोए जाते है आँखों मे जिसको सींचा जाता है ... हर रात सुब्ह होने तक. ~नीरज @neerajthepoet ख्वाहिशें रोप दी जाती है खेतों में धान की तरह मानो ये एक दिन ज़मी को आसमाँ कर देंगी जिसमे उग आएंगे चाँद-तारे. यूं तो सपने भी बोए जाते है आँख
Abhay Bhadouriya
मैं उग आती हूँ दीवारों के कोनों पर जहाँ वे जुड़ती हैं वहाँ जहाँ वे मिलती हैं वहाँ जहाँ वे धनुषाकार होती हैं
#maxicandragon
bharat quotes सवारकर राष्ट्र हिंदुत्व को,भगवा पहनाया वो सवारकर थे दो जन्म कारावास जो झेले, ऐसे वीर दामोदर थे काले पानी को गंगा कर गए, वो ऐसे प्यूरीफायर थे बीज अखंड का रोप गए जो,डरते इनसे कई डायर थे मित्रमंडली देखी मैने, वीर मराठा ऐसे थे मदनलाल गोपाल दिगम्बर और खडे खुद शंकर थे करकरे मध्य नाथूराम नरायण और बगल सवारकर थे भेद न पाया कवच तुम्हारा, ऐसे वीर धनुर्धर थे इक्षामृत्यु प्रतिज्ञा भीष्म सी, वो वरदानी सवारकर थे #सावरकर #Sadharanmanushya #Akhand ©#maxicandragon सवारकर राष्ट्र हिंदुत्व को,भगवा पहनाया वो सवारकर थे दो जन्म कारावास जो झेले, ऐसे वीर दामोदर थे काले पानी को गंगा कर गए, वो ऐसे प्यूरीफायर
AK__Alfaaz..
इक दिन मैंने, पत्थर पर इक पौधा उगा देखा, उसके सुर्ख रक्तिम फूल, चमक रहे थें, ओस की बूँदों में, पेड़ की ओट से झाँकती, सुनहरी सिंदूरी किरणों के सहारे, कौतूहलवश मैंने भी, घर के आँगन की मिट्टी खोदी, व..उसमे लाकर रोप दिए, कुछ गोल पत्थर, कुछ तिकोने, और.. कुछ अनगढ़ से पत्थर, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #पत्थर.. इक दिन मैंने, पत्थर पर इक पौधा उगा देखा, उसके सुर्ख रक्तिम फूल, चमक रहे थें,