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Shiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
"Hare Krishna "(कवि/गीतकार)
गिर गिर कर उठने कोशिश करते रहना है । चलना ही जीवन है प्यारे चलते रहना है ।। ©"Hare Krishna "(कवि/गीतकार) कविता
Rajni Vijay singla
माँ भारती पर आतंकवाद रिश्वतखोरी गद्दारी के दाग लगाने वालों , वतन की आबरू लूटने वालों, मत शर्मिंदा करो वतन के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमने वालों को , आजादी की चिंगारी जलाने वालों को, आजादी के लिए मर मिटने वालों को , वो भी किसी मां के लाल, किसी की राखी , किसी का इश्क ए तमन्ना थे , पर वे स्वार्थी नहीं थे , जुनून था वतन के लिए मर मिटने का .आप उनके जैसी कुर्बानी नहीं दे सकते तो कम से कम उनकी कुर्बानियों की लाज रखने का सलीका सीखिए , शहीदों की रूहों को मिले सुकून ऐसे तरीक़े सीखिए अपनी ही बनाई जंजीरों की गुलामी, गुमनामी , नशे से खुद को आजाद कीजिए और वतन को आबाद कीजिए, जय हिंद ©Rajni Vijay singla #shaheeddiwas आजादी का सलीका
Bharat Bhushan pathak
केवल आजादी नाम नहीं ,है आत्मा यह हर जन की। विकास को हो भोजन चाह ,इस भांति आहार तन की।। मन को जो देती शीतलता,समीर वह ठंडी आजादी। अभिमान हो जिस पर सदा ही,वही सम्मान आजादी।। ©Bharat Bhushan pathak #आजादी#स्वतंत्रता#आजादीमेरीनज़रमें #Freedom#freedommeans #मनोभाव
bhim ka लाडला official
Shahid0007
Autumn गुलों के रास्ते में, कांटे तो आयेंगे ही, चुभेंगे पावों में,और दिल को दहलाएंगे भी, हो सकता है डर भी लगे,और मन कहे घर लौटने को मगर, ये कांटे ही गुलों तक पहुंचाएंगे भी 🙂 ©Shahid0007 #कविता