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Stories related to पृथ्वीराज चौहान की तलवार का वजन

Priya

#हमसे ज्ञान ले जाओ जब भी जाओ कोई दुकान तो ध्यान दो उसके वजन पर

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Google आप हमसे जुड़े हमारी बातों की ध्यान दें जब आप मिल पे गेहूं या चावल पिसवाने के लिए जाते हो तो ध्यान देना 1 किलो वाला वजन 800 ग्राम रहता है 2 किलो वाला वजन 1800 ग्राम रहता है यहां तक की हर एक इंसान बेईमानी करता है मैं गया था एक किराना स्टोर पर वह मैंने काजू खारडा 100 ग्राम फिर दूसरे टारजू से नापा तो वह 90 का नाम निकला और नहीं मैंने एक जगह 2 किलो प्याज खारडा और दूसरे तर्जुमा से नापा तो 1700 ग्राम निकल यहां तक की हर एक जगह बीमारी किया जाता है क्या गरीबों को लूटा जाता है हमारी बातों से सहमत है तो हमें फॉलो करें

©Priya #हमसे ज्ञान ले जाओ जब भी जाओ कोई दुकान तो ध्यान दो उसके वजन पर

Jeetal Shah

#poem दिसंबर की सर्दियों का जादू दिसंबर की सर्दियों का जादू, चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा।

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White दिसंबर की सर्दियों का जादू

दिसंबर की सर्दियों का जादू,
चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा।

साग-सब्जियों की बहार, और गरमा-गरम सूप का आनंद,
सर्दियों की रातों में भी, दिल को गरम रखने का मौसम।

क्रिसमस की धूम, और सांता क्लॉज़ की कहानी,
एक्समास ट्री की सजावट, और चर्च में प्रार्थना की धुन।

साल के अंत में, नए साल का स्वागत,
365 नए दिन, नए विचार, नए लक्ष्य, और नए सपने।

भूल जाने को पुराने दिन, और नए साल की शुरुआत,
नए संकल्पों के साथ, और नए जोश के साथ।

दिसंबर की सर्दियों का जादू,
हमें नए साल की ओर ले जाने का एक मौसम।

©Jeetal Shah #poem 
दिसंबर की सर्दियों का जादू


दिसंबर की सर्दियों का जादू,

चिलचिलाती ठंड, और हरियाली का नजारा।

Ghumnam Gautam

कभी ये नाव जैसी हैं, कभी पतवार जैसी हैं
किनारा हैं कभी ये और कभी मझधार जैसी हैं
इन्हें बस खेलने का तुम कोई सामान मत समझो
कलम-सी लड़कियाँ ये सब खुली तलवार जैसी हैं

©Ghumnam Gautam #लड़कियाँ 
#कलम 
#तलवार 
#ghumnamgautam

pramod malakar

हाथों में तलवार थाम लो ।

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@ हाथों में तलवार थाम लो @
चलो जागो उठो निकलो ,
हाथों में तलवार थाम लो ।
तुम्हारा सनातन ख़तरे में है ,
यही सच है तुम मान लो ।
कांग्रेस,सपा,राजद और ,
झामूमो का साथ छोड़ दो।
जो धर्म विरोधी है देश विरोधी,
उसका राह मोड़ दो।
दुनिया से हिन्दू खत्म,
पाकिस्तान में हिन्दू खत्म ,
बंगलादेश में खून बह रहा है।
चलो जागो उठो निकलो ,
हाथों में तलवार थाम लो ।
कल औरंगजेब बाबर ने मंदिर तोड़ा,
आज पाकिस्तान बंगलादेश में टूट रहा है।
नहीं जागे तो तुम्हारा खत्म होना तय है,
हो रहा भारत इस्लाम मय है ।
वक्त कम है खून गर्म करो ,
दिल कठोर करो नहीं नर्म करो‌।
चलो जागो उठो निकलो ,
हाथों में तलवार थाम लो ।।
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प्रमोद मालाकार ... 26.11.24

©pramod malakar #हाथों में तलवार थाम लो ।

seema patidar

आस की डोर....उम्मीद का बंधन निश्छल,निस्वार्थ .......

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White स्वच्छंद विचरण को छोड़ा था पंछी
उम्मीद थी शाम तलक घर लोट आने की
संग भेजी थी उसके दुआ,खुशियों का जहां पाने की 
जिद थी उसकी उड़ जाने की 
चाह उन्मुक्त गगन में खो जाने की
मोह होता तो जाल बिछा लेते, पिंजरे के घेरे डाल देते
पर प्रेम इजाजत नहीं देता, बंधन में अपने बांधने की
बस आस की डोरी से बांधा है ,और एकटक निहारे बैठे है
प्रतीक्षा में परिंदे के लोट आने की ........

©seema patidar आस की डोर....उम्मीद का बंधन
निश्छल,निस्वार्थ .......

DASHARATH RANKAWAT SHAKTI

Kumar Shaurya Praveen Jain "पल्लव" निर्भय चौहान बाबा ब्राऊनबियर्ड हिंदी कविता

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