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Dil-juu Shehri
ग़ुबार-ए-रहगुज़र रहे अर्श होने तक लिखते रहै चाक-ए-दिल को दर्द होने तक एक दौर गुजरा था हमारे आने से पहले अब एक दौर गुजरेगा हमारे रहने तक ये जो खाली खाली से शक्स फिरते हैं मैं रहूँगा जिंदा, इनके लबालब भरने तक Dil-juu Shehri #P6 *ग़ुबार-ए-रहगुज़र - रास्ते की धूल *अर्श - आसमान *चाक-ए-दिल - टूटे दिल
Gautam_Anand
ना मिलते तुमसे अगर हम तो ये बेहतर होता ज़िन्दगी चैन से कट जाती यूँ ना चाक जिगर होता चाक जिगर
अली कल्याणपुरिया
खुद चाक गिरेबां वाले हमे आँखे दिखाते है लोग हम वो है जो इश्क़ से न डरे हथियारो से डराते है लोग चाक गिरेबां
Neelam bhola
चाक दिल के सीने को,दर्द का धागा मंगवा भेजा है, सांसे कुछ ही बची है शायद, खुद अपना जनाजा मंगवा भेजा है!!! -नीलम भोला चाक दिल के
JASRANA
कस्द-ए-कातिल का दिल-ए-जार को यकीं नहीं होता उसका खंजर जो उसका चाक-ए-आस्तीं नहीं होता कभी खू-ए-जफा-ए-यार का भी इल्म ना होता जो उसके जूर्म का सुबूत-ओ-गवाह ही नहीं होता बरसती आँख का आंसू जो ना मिलता समंदर में तो पानी ईं-जहां का आज यूँ नमकीं नहीं होता किसी अपने की आग ने जलाया ना अगर होता तो नूर-ए-चांद का भी नाम चाँदनी नहीं होता उस जफा-कार ने गर एक भी वफा ना की होती तो आज प्यार का नामो निशां कहीं नहीं होता कस्द-ए-कातिल - कातिल के इरादे दिल-ए-जार - दुखी दिल चाक-ए-आस्तीं - आस्तीन को काटने वाला खू-ए-जफा-ए-यार - यार की बे-वफाई की आदत
गौरव उपाध्याय 'एक तलाश'
कुम्हार का चाक अनुशासन और नियम की धुरी पर चलकर ही गीली मिट्टी को बर्तन और खिलौने को रूप देता है ये कच्चे बर्तन और खिलौने आग में ही तपकर मजबूत और आकर्षण हो जाते हैं। मानव जीवन भी चाक की ही तरह होता है सभ्यता और संस्कार की धुरी पर चलकर ही संयम और अनुशासन के आग में तपकर जीवन को सद्भाव, संवेदना, करुणा और दया से सुमार्ग पथ पर चलने के साथ ही जीवन के वास्तविक उद्देश्य की 'एक तलाश' में सफल होता है। ©गौरव उपाध्याय 'एक तलाश' #DesertWalk #kumbhar #चाक #नियम #अनुशासन