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writervinayazad
✍️✍️ सभा है कोई भी शामिल नहीं है उजाला है मगर झिलमिल नहीं है मेरे सीने में क्या तुम तोड़ लोगे मेरे सीने में कोई दिल नहीं है जो मेरे लफ्ज को पढ़कर भी पढ़ ले कोई इतना भी तो काबिल नहीं है दोनों पक्षों में एक मशवरा है दोनों पक्षों को कुछ हासिल नहीं है हर एक लहजे में एक तप्सरा है कौन है जो यहां बातिल नहीं है मेरी सीने में ही कातिल है विनय मेरी मंजिल तो है साहिल नहीं है ©writervinayazad ✍️✍️ सभा है कोई भी शामिल नहीं है उजाला है मगर झिलमिल नहीं है मेरे सीने में क्या तुम तोड़ लोगे मेरे सीने में कोई दिल नहीं है जो मेरे लफ्ज को
pooja yadav
आज का ज्ञान please read in caption.... ©pooja yadav #Life #Knowledge #lesson #possible #positive #thought #Hindi फैसला:- आपके फैसले के दो पक्ष मिलेंगें हमेशा एक वो जो आपके पक्ष में होगा जो
Sagar Raj Gupta
मैं हिन्दू हूँ वो मुसलमान है.. By:- Sagar Raj Gupta. मै गीता हूँ उनके लफ़्ज़ों की वो मेरे लफ़्ज़ों की कुरान है, प्यार हुआ है उस लड़की से मै हिन्दू हूँ वो मुसलमान है। वो मेरे लिए सावन की पावन मास और हम उनके लिए माह-ए-रमज़ान है, मै हूँ महाकाल भक्त भगवाधारी और वो भी बुरके की शान है, वो आरती है मेरे मंदिर की और हम उनके मस्जिद की अज़ान है, प्यार हुआ है उस लड़की से मै हिन्दू हूँ वो मुसलमान है। वो मेरी ग़म को अपने सीने में दफ़न करती और हम उनकी यादों की शमशान है, उनके बिना मेरी धड़कने भी रूठ जाती है इसकदर चढ़ा मुझपे इश्क़ का परवान है, मैं कुछ हूँ ही नहीं उनके बिना, जहाँ जाती वो वही जाती मेरी कारवां है, प्यार हुआ है उस लड़की से मै हिन्दू हूँ वो मुसलमान है। हूँ उड़ान उनके पंखो की, और वो मेरे पंखो की आसमान है, मै उनकी दिल को ठंढक देता और वो मेरी नजरों की जलपान है, हम तो नाममात्र के फूल है उनके जिंदगी की और वो मेरी साँसों की गुलिस्तां है, प्यार हुआ है उस लड़की से मै हिन्दू हूँ वो मुसलमान है। जान है हम गंगा सागर की और वो भी मदीने की आन है, मैं तो पूरी दुनिया हूँ उनकी और वो भी मेरी पूरी जहान है, ना हम अगल है ना वो अगल है, दोनों मिलकर हिंदुस्तान है, प्यार हुआ है उस लड़की से मै हिन्दू हूँ वो मुसलमान है। ©Sagar Raj Gupta यह कविता मैंने किसी धर्म विशेष के दिल कों आहत करने के लिए नहीं लिखी है। बस आप लोग इस कविता कों एक आशिक़ समझकर पढ़े तथा दिल से महसूस करें।एक मा
Ravi Shankar Kumar Akela
धारा 498A के प्रभाव धारा 498A के अन्तर्गत कानूनी कार्रवाई के परिणामस्वरूप दोषी पाए जाने पर पति और ससुरालवासी न्यायिक निकाय के आदेश के अनुसार सज़ा का सामना कर सकते हैं। इससे महिलाओं को समाज में सुरक्षित रखने का एक महत्वपूर्ण प्रयास किया गया है। धारा 498A भारतीय दंड संहिता में महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण क़दम है। धारा 498A के तहत ज़मानत का प्रावधान भी है, जिससे दोषी पाए जाने पर गिरफ्तारी के बाद भी व्यक्ति अदालत के आदेश अनुसार बाहर निकल सकता है। धारा 498A के तहत सज़ा और ज़मानत का प्रावधान भारतीय कानून के अनुसार तय किया जाता है, जिससे दोनों पक्षों को न्याय मिलता है । ©Ravi Shankar Kumar Akela #Mulaayam धारा 498A के प्रभाव धारा 498A के अन्तर्गत कानूनी कार्रवाई के परिणामस्वरूप दोषी पाए जाने पर पति और ससुरालवासी न्यायिक निकाय के आदे
Ravendra
Ravendra
अज्ञात
पेज-55 यहाँ भरमा भिंडी अब पूरियों की संगत में अपने लक्ष्य की ओर कट पिट कर जाती हुई...! पनीर पर प्रहार कम दिखाई दे रहा है.. अब मेहमानों की भाव भंगिमा देखते हैं- बहुतायत मेहमान सर गड़ाकर भोजन पर केंद्रित दिख रहे हैं.. अभी कितनी भी जरूरी बात क्यूँ ना करनी हो, पुराने सिद्धांत पर अमल चल रहा है.. पुराना सिद्धांत... माने "पहले पेट पूजा फिर काम दूजा" कुछेक जिन्होंने पहले स्वल्पाहार ले रख्खा है उनके अपने कटाक्ष चल रहे हैं-महीने भर का कोटा आज ही कवर कर लोगे क्या..? दृश्य दिखता है कुछ मेहमानों ने अपनी फेवरेट स्टॉल पर तब तक अपना कब्जा जमा रख्खा है जब तक तृप्ति के शिखर तक ना पहुंच जायें... बिजली रानी का अपना अलग ही प्रयास दिख रहा है.. पता नहीं क्यूँ मगर बार बार सुमित जी को पूछने आ रहीं हैं... कभी पूरी लाऊँ का.. कभी कहती हैं पानी लाऊँ का... अच्छे से खइयो सुमित... मेसे बतात जइयो कछु चहिए तो.. मैं ला ला खे देत जैहौं... शेष कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-55 .लोगों की निगाहें बिजली से खुद को बचाने की कोशिश में अपना ध्यान खाने पर एकाग्र नहीं कर पा रहीं.. जिस तरफ से वह निकल
Disha Shantanu Sharma
विवाह के लिए क्या जरूरी वर वधू या दहेज (Read in caption) विवाह के लिए क्या जरूरी है? यह बात मुझे आज तक समझ नहीं आई लेकिन मेरे अनुसार विवाह बंधन में बंधने के लिए वर वधू का होना और दोनों पक्षों परिव
Hrishabh Trivedi
अ-शुभ विवाह(भाग2) 😊अनुशीर्षक में पढ़े😊 तो जैसा आपको बताया था कि विवेक जी के विवेकहीन व्यवहार के कारण कल्लू बाबू की शादी, तिलक से दो दिन पहले टूट गई थी। विवेक जी गुस्से में घर चले
अज्ञात
पेज-31 यहाँ दोनों पक्षों में वार्तालाप के दौरान राकेश ने बताया मानक का घर परिवार में देखने सुनने जैसा कहीं कुछ रह नहीं गया था...क्यूंकि सब कुछ देख परख लिया गया था..! सुकन्या के पिता स्वयं ज्योतिष विद्या जानते थे... अस्तु वर वधू के सारे गुणधर्म मिलान हो चुका था.. गृहमैत्री अतिसुंदर मिलान.. वहीं वर पक्ष ने भी आश्वश्त किया केवल बहू के अतिरिक्त सोने का एक दाना भी नहीं चाहिये...! पर्दे के पीछे मानक की बहनों का सब्र टूटा जा रहा था लेकिन मेहमान नवाजी की मर्यादा उन्हें आगे आकर लड़की की तस्वीर देखने से रोक रही थी.. तब उन्होंने तान्या को अपना दूत बनाकर भेज दिया..तान्या ने सीधे जाकर राकेश से अपनी कोमल बोली में कहा-जी नमस्ते 🙏🙏, क्या हम सब कन्या की तस्वीर देख सकते हैं..! राकेश-ओह्हो पर बेटा अभी तो कन्या आप हो..! राकेश जोर से हंस पड़ा और कहा.. आपका शुभ नाम बताएंगे हमें.. तान्या-आप तो जानते हैं ना भैया.. आप ने ही तो लेकर आये हैं इस कालोनी में..! राकेश-ओह्ह. Sorry sorry.. पर बेटा लड़की तो आज सुबह पूरी कालोनी मे देख लिया है.. मंदिर में ही.. फिर भी आप.. ये लो उनकी तस्वीर..! तान्या तस्वीर लेकर.. एक पल में गायब और अपनी बड़ी बहनों के पास... ज्यों ही पिक पर नज़र पड़ी सबने एक स्वर मे कहा.. बधाइयां...बधाइयां.. बधाइयां... मन की मुराद पूरी हुई....! राकेश-(हाथ जोड़कर) जी, लड़कीवालों को मानक बेहद पसंद है उनकी स्वीकृति लेकर ही मैं मानक और मनीषा के विवाह बंधन के लिये अपनी सहमति देता हूं, अब आप यदि उचित समझें और मेरी बहन आपके परिवार की बधु बनने की योग्यता रखती हो तो शाम को गेस्ट हाउस में हम वधू पक्ष आपकी प्रतीक्षा करेंगे..! अगर आप अपनी रजामंदी दें तो शाम को ही सगाई का शुभ मुहूर्त है..और आज से सातवें दिन शुभ विवाह का उत्तम मुहूर्त है..! फिर जब मन मिले तो शुभस्य शीघ्रं.. वर पक्ष- हमें सब स्वीकार है.. ! आप तो सगाई की तैयारी करें श्रीमान.. राकेश-जी बड़ी खुशी की बात है... अब इजाज़त दीजिये..बहुत सी तैयारियां करनी हैं जय सियाराम.. 🙏🙏💐💐💐💐 आगे पेज-32 . ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-31 यहाँ दोनों पक्षों में वार्तालाप के दौरान राकेश ने बताया मानक का घर परिवार में देखने सुनने जैसा कहीं कुछ रह नहीं गया