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SAKSHI JAIN
बंद है हम ख़ोहे रहते एक दूसरे की ख्यालो में जकड़े है एक दूसरे को बाहों में न डर रहता है एक दूसरे को खोने का न रोक सकता है एक दूसरे का होने का सुकून सा मिलता है तभी ये दिल सम्भलता है इन चहार दीवारों में। साक्षी जैन(ख्वाहिश) #चहार दीवार
#काव्यार्पण
AK__Alfaaz..
एक अरसे से वीरानियाँ हैं घर में मेरे.., खुशियों ने बरसों पहले साँसें ली थीं मकाँ में मेरे.., #दिल_में_तड़पती_एक_आह.., " मकाँ "... सिर्फ चहारदीवारीयों से बनी एक इमारत जहाँ जब खुशियाँ आती हैं तब ही वो एक " घर " बनता है.., #yqdidi #yq
... मोलिका
होकर जुदा शजर से खो बैठे वजूद अपना वो जो पत्ते पतझड़ में मुरझाए थे.., चहार-सू है रंग-ए-बहार-ए-'आलम वो आए हैं दामन में कैफ़ियत-ए-बहार लेकर..!! शजर: पेड़ चहार-सू : चारों तरफ रंग-ए-बहार-ए-'आलम : colour of spring कैफ़ियत-ए-बहार : state of spring Hello Resties! ❤️ Collab on this #rz
abhishek manoguru
चाहता है मनोगुरु भी , बहिन को पढ़ाना चहारदीवारी से बाहर , बहिन को घुमाना अपनी ही तरह , उसे दुनिया दिखाना सानिया , सिंधू , किरण बेदी और गीता ,बबिता बनाना कल्पना चावला की तरह , चाँद पर पहुंचाना हाँ सपना है मेरा , उसे जाने जमाना पर.. कल वो बोली कि - "भैया मैं बड़ी हो रही हूँ" मासूम हूँ मायूस और सहमी खड़ी रो रही हूँ डर है उसे भी बेहद , अब तुमसे... क्यूँकि चाहता है भैया , जिस बहिन को पढ़ाना गर हो सके तो उसको यूँ , नोंच मत खाना... चाहता ये भाई उस बहिन को हंसाना पर डर है कि कहीं , बन जाये ना निशाना मनोगुरु चाहता है मनोगुरु भी , बहिन को पढ़ाना चहारदीवारी से बाहर , बहिन को घुमाना अपनी ही तरह , उसे दुनिया दिखाना सानिया , सिंधू , किरण बेदी और गीता ,
Dipti Joshi
मैं अपराधी हूँ क्योंकि लिखती हूँ व्यंग्यात्मक कथाएं कहती हूँ कड़वा सत्य नहीं मानती सदियों से चले आ रहे ढ़कोसले मैं अपराधी हूँ क्योंकि, रहती हूँ गुम अपनी दुनिया की चहारदीवारी में नहीं बिखैर सकती झूठी मुस्कान किसी दिखावे के त्यौहार में मै अपराधी हूँ क्योंकि, चंचल मन हूँ तो गुनगुना लेती हूँ पपीहों संग उगा लेती हूँ उम्मीदों का नया उपवन पर नहीं लेती सहारा किसी स्वार्थी पुरूष का मैं अपराधी हूँ क्योंकि, स्वयं की खोज में मुझे त्यागना पड़ा घर समेटकर एक गठरी में सारी इच्छाएं मैने चुन लिया करना एक और अपराध। ©दिप्ती जोशी मैं अपराधी हूँ क्योंकि लिखती हूँ व्यंग्यात्मक कथाएं कहती हूँ कड़वा सत्य नहीं मानती सदियों से चले आ रहे ढ़कोसले मैं अपराधी हूँ क्योंकि,
Manya Parmar
abhishek manoguru
#IndiaFightsCorona चहारदीवारी को बिना लांघे , किताबों से दूरी बनाकर , खुद को एक दायरे में समेटकर , गुण और विचारों से मेल खाते चंद लोगों से मिलकर , कुछ नया सीखने-जानने के अनुभव की लालसा खत्म कर , एक निश्चित दिनचर्या में स्वयं को पिरोकर , पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर रूढ़ियों में बांधकर भी यदि आप खुद को सूक्ष्म मुद्दों पर बहस के योग्य समझते हैं , देश दुनिया वेद पुराण धर्म धार्मिक-ग्रन्थों पर शास्त्रार्थ , तर्क-कुतर्क भी कर लेते हैं और आपको सर्वज्ञता का अनुभव हो रहा है तो , निश्चित ही कलयुग में ईश्वर ने अवतार ले लिया है और वो आप ही हैं क्योंकि ये आत्मज्ञान नहीं तो क्या जो आपको बिना मेहनत मिल गया है , एक कमरे के अंदर ही पीपल के पेड़ की छाँव में बिना बैठे 😂 © मनोगुरु ©abhishek manoguru चहारदीवारी को बिना लांघे , किताबों से दूरी बनाकर , खुद को एक दायरे में समेटकर , गुण और विचारों से मेल खाते चंद लोगों से मिलकर , कुछ नया सीखन
FIROZ KHAN ALFAAZ
एक बार तो मरने से पहले, दिखला दे कितना ज़िन्दा है ! -1 शीशा गल के जुड़ सकता है, दिल टूटा तो फ़िर जुड़ा नहीं ! -2 पल भर को सोचिये तो लगता है, जैसे ज़िन्दगी पल भर में गुज़री ! -3 चहार-दीवारी में घुट रहा बचपन, बच्चों को मैदान की ज़रुरत है ! -4 अड़चनें कोई भी न नज़र आएँगी, गर हमेशा रहे मंज़िलों पर नज़र ! -5 इश्क़ जल जाता है चूल्हा-चक्की में, कामिल वही है जो नाकाम हो जाए ! -6 इसी ना-समझी में वो और याद आता है, कि उसे भूल जाना है, ये याद रखिये ! -7 सब ख़ताएँ तो 'अल्फ़ाज़' की ही नहीं, जैसी सोहबत थी वैसी अक़ल हो गई ! -8 तूने तोड़ी क़सम, फ़िर भी जिंदा हैं हम, आस बस इक ज़रा सी क़तल हो गई ! -9 ग़ज़ल कोई लिक्खा करो तुम सुकूँ की, बहुत लिख चुके तुम मलालों की बातें ! -10 ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर, प्रोपर औरंगाबाद,बिहार स0स0-9231/2017 एक बार तो मरने से पहले, दिखला दे कितना ज़िन्दा है ! -1 शीशा गल के जुड़ सकता है, दिल टूटा तो फ़िर जुड़ा नहीं ! -2 पल भर को सोचिये तो लगता है, ज
Prerit Modi सफ़र
अज़ल जावेदाँ क़तरा हूँ मैं इस मुक़द्दस कायनात का चहार-जानिब हूँ मैं, मुसलसल 'सफ़र' है कायनात का जावेदाँ- eternal, जिसका नाश न हो सके चहार-जानिब- चारों तरफ मुसलसल- लगातार _Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry