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Santosh Sawner (untold words writer)
जिंदगी को कुछ यूं मैं जी आता हूँ, शाम तेरी यादों के शहर हो आता हूँ! एक उम्र भी कम लगती है वहां पर, लम्हा लम्हा मैं उम्र सारी जी आता हूँ! कभी सुन लेता हूँ खामोशी तुम्हारी कभी अपने दिल की सुना आता हूँ! लिपटकर रो लेता हूँ तुमसे बेसबब, दामन तुम्हारा आंसूओं से धो आता हूँ! कभी मिले थे जहां हम मुकद्दर से , वक्त से उन पलों को मांग ले आता हूं! ©Santosh Sawner तेरी यादों के शहर ! #गजल , #Poetry #Yaad , #alone #tanha
नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
कई बार लिख के मिटाता रहा हूं, यादों के शमां जलाता रहा हूं। मिटती नहीं यादें जो है पुरानी, बना गीत उनको मैं गाता रहा हूं। कई बार लिख के मिटाता रहा हूं.............। जहां पे खड़ा हूं वो सूनी डगर है, चला जा रहा हूं न खुद की फिकर है। मिले चैन थोड़ा सा बस इसकी खातिर ,तन्हाई से मैं मिलता रहा हूं। कई बार लिख के मिटाता रहा हूं। ©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।) # गजल
Motivational story
शाम को जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर जाता हूँ मैं मुस्कुरा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं जानता हूँ रेत पर वो चिलचिलाती धूप है जाने किस उम्मीद में फिर भी उधर जाता हूँ मैं सारी दुनिया से अकेले जूझ लेता हूँ कभी और कभी अपने ही साये से भी डर जाता हूँ मैं ज़िन्दगी जब मुझसे मज़बूती की रखती है उमीद फ़ैसले की उस घड़ी में क्यूँ बिखर जाता हूँ मैं आपके रस्ते हैं आसाँ आपकी मंजिल क़रीब ये डगर कुछ और ही है जिस डगर जाता हूँ मैं ©Deep Chakraborty गजल