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vivek singh vicky
चल रही सुगंधित थी समीर मैं बैठा था खेतों में उस वृद्ध पिता की फटी पुरानी धोती लेके सहसा माँ की याद आ गई जो बैठी थी घर में रोटी लेके घर आया तो देखा माँ की आंखें इतनी नम थी ठिठुर रही थी ठंड से वो जो तन पर धोती कम थी देख दृश्य हुआ अकुंठित मन, मैंने फिर यह ठाना नही रहना इस दुनिया में इससे अच्छा जाना देख रही थी दूर खड़ी माँ मेरे भावों को पड़ डाला आकर गले लगी फिर रो कर सब कह डाला इतनी ख़ुशी नही मैंने इस जीवन मे पाई जितनी खुशियां उस क्रुन्दन में माँ थी दिखलाई ~vivek singh vicky like comment & share My mom...... by vivek Vicky (my first poem for mom)
Harsh
Morning and Wind Ye zamana kitna zalim aur bakvas hai, har zang mein meri maa mere sath hai this poem is for my mom
rajveer
you have trusted me, for being the best, you made uninvited promises, so i can rest, you have taken all my scars, also healed my crivices, with your love, where the spirits have failed, and destroyed their demanding prices. poem for mom
aarya saini
आप ही हो जिससे मुझको प्यार हैं।☺️ आप ही हो जो हमेशा तैयार है। मेरे साथ खेलने के लिए, मेरी हर गलतियों को झेलने के लिए।🤭 आप करती हो गुस्सा भी, आप करती हो नुस्खा भी। 😂 ओरो को तो दिखती है मगर तुझको ना दिखती मुझमे कोई खामी। 😢 ओ मेरी माँ तुम्हीं पहली यार हो। ओ मेरी माँ तुम ही पहला प्यार हो। दुनिया का पता नहीं पर तुम मेरी जिंदगी का सार हो। दुनिया की नजरों में मैं कुछ भी नहीं।😔 पर तेरे लिए मैं किसी से कम भी नहीं।🙂 आखों में आंसू जब भी हैं आते, तुझको देख वो भी मुस्काते।😊 ओ मेरी माँ तुम ही तो पहली यार हो। तुम ही तो पहला प्यार हो।😉 ©Knight Eagle I write this poem for my mom. #MothersDay2021