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Vijay Kumar
Autumn छू लिया किसी रोज उसने कलाई मेरी तो चूड़ियां देर तलक खनखनाती रही, न जानें क्यों हर खनकती आवाज के साथ उसकी याद मुझे सताती रही। ©Vijay Kumar #चूड़ियां #hunarbaaz #Nojoto2liner #nojotoquetes #hindiwriters #hindilovers #hindicommunity
AARPANN JAIIN
आसमानों में उड़ता है एक सपना, विश्व को छूने का, यहाँ एक सफर है। हवा में लहराते हैं पंखों के साथ, जैसे एक कविता, लिखी है ऊँचाईयों के साथ। सफर का हर कदम, एक कहानी है, आसमानी ऊँचाईयों से बढ़कर, सपनों की मीटिंग है। आसमान की ऊँचाई, हवा में सवारी, आँधीओं से गुज़र, कहानी बनती जाए। पर्वतों को छूकर, बादलों में मिल, ये सफर है अनदेखा, कहानी बनती जाए। सफर का मौसम शांत हो रहा है, आसमान में उड़ान भर रहा है शाम की चादर में लिपटा हुआ, दूर तक फैला है सुंदर नजारा खुला। पन्नों पर बसी कहानी यात्रा की, हर छलाँग में छुपी है मिठास जीवन की। ©Arpan Jain #safar #Safar_E_Zindagi #safarnama #Life #Life_experience #Happiness #Travel #Travelstories आसमानों में उड़ता है एक सपना, विश्व को छूने का,
AJAY NAYAK
मैं आज भी उन चूड़ियों को सजाकर रखी हूं अपने शोकेश में, जिन्हें वे जाने से कुछ दिन पहले ही लाए थे मेरे लिए। कमबख्त कुछ ऐसा, दिन बिता वह मेरा, कि उसके बाद उनकी यादों में ऐसे खोए की पहनना ही भूल गए। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #RajaRaani #चूड़ियां मैं आज भी उन चूड़ियों को सजाकर रखी हूं अपने शोकेश में, जिन्हें वे जाने से कुछ दिन पहले ही लाए थे मेरे लिए। कमबख्त कुछ
Mittu (Sweetie )
KP EDUCATION HD
KP NEWS for the same 55555554 th ©कंवरपाल प्रजापति टेलर जिसमें हरे कपड़े, हरी चूड़ियां और मेहंदी सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है. सुहागिन महिलाएं इस दिन 16 श्रृंगार कर तैयार होती हैं और माता पार्वती का
Nisheeth pandey
राम जी का जीवन भी क्या जीवन रहा होगा राजा होकर भी रंक का जीवन जिया होगा राजशाही ठाठ हो कर भी ठाठ न लगी होगी कभी कभी शिक्षा के लिये वन कभी वनवास के लिये वन कभी राज गद्दी पर होकर भी सिया बिन मन रहा वनवास में ... राज धर्म के हेतु त्यागना पड़ा सिया को सारे साम्राज्य की भीड़ में राम मन सिया बिन कितना व्याकुल रहा होगा राम भी तो अकेले में सिया स्वप्न में भटक जाते होंगे ... कल्पना में जब सिया से मिलते होगें सिया से कहते होंगें ...... पीताम्बरी सी तुम , तुमपर कितना चम चम करती है ये - पीली साड़ी ....देह पर तुम्हारी ..... तुम्हारी यौवन देख ! दूर कहीं पीली सरसों खेतों में सारे लहलहा जाएगी ……. जब राम ने सिया को पहनाए होंगे हरी चूड़ियां कलाइयों में..... सजा देख कलाइयां सिया की! राम ने कहा होगा तुम्हारी कलाइयों में हरी चूड़ियाँ देख - सावन दौड़ा आएगा और ...... शर्माकर पेड़ सारे ...... ओढ़ लेंगे हरी चादर ! जब राम ने सिया के माथे की दमकती हुई लाल बिंदिया चूमा होगा ! झूमता हुआ बसंत चला आया होगा और .....चारों ओर फूल रंग-बिरंगे खिल उठे होंगे ..... ! मगर ........ वास्तव में ऐसा कुछ नहीं वंचित रहें प्रेम की मधुरता से राम सिया से सिया राम से सिया और राम के बिछरण से हृदय में गहरा रंज रहा होगा सरसों को ....... फूलों को...... बसंत और सावन को और पेड़ों को भी! और ...... मैं भी उन्हीं की तरह नियति के सिलौटी पर पीस गया हूँ मैं तो तुच्छ मानव हूँ शायद इन सब से कहीं गहरा रंज है मुझे... #निशीथ ©Nisheeth pandey #ramsita राम जी का जीवन भी क्या जीवन रहा होगा राजा होकर भी रंक का जीवन जिया होगा राजशाही ठाठ हो कर भी ठाठ न लगी होगी कभी कभी शिक्षा के
Nina
ये चूड़ियां उस स्त्री की हैं जिसके जीवन में हरियाली के समान प्रेम का रंग और उमंग तो आ चुके परंतु कुछ कसर है। सावन के प्रगति द्योतक वातावरण में ये चूड़ियां अपनी अपूर्ण इच्छाओं को प्रकट करते हुए अपने पूर्णता प्राप्त भावनाओं को भी प्रकट करती हैं। ©Nina चूड़ियां #
Shishpal Chauhan
"आसमानी बिजली" बिजली कड़के, अंधेरी रात में दिल जोर जोर से धड़के। अकेलापन सहा न जाए, पीया जी की याद बहुत आए, बेकरारी मन में बढ़ती जाए। जब जब काली घटाएं छाए, जवानी मेरी छटपटाए। आसमानी बिजली कलेजा चीर जाती है, आंखों ही आंखों में दिन की तरह रात बीत जाती है। चेहरे की रौनक गायब हो जाती है, मायूसी दिल में छा जाती है। ये गरजते बादल दिल को बेचैन कर जाते हैं, तडफ़ को और बढ़ाते हैं। तन्हाइयों में बहुत सताते हैं, जब गहरे नीले बादल छाते हैं। एस. पी. ©Shishpal Chauhan # आसमानी बिजली