Find the Latest Status about poem love hindi from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, poem love hindi.
राहुल Shiv
प्रश्न ये की अगर गौतम बुद्ध किसी के प्रेम में पड़े होते तो क्या निर्वाण को प्राप्त हो पाते..? महलों का वैभव तो त्याग दिया था.. क्या प्रेम से विरक्त हो पाते। क्या तज पाते प्रेयसी को पत्नी की तरह । बंध पाते वैराग्य में प्रेम से मुक्त होकर। कर पाते ध्यान किसी और आराध्य का । आँख बंद करते, वही मूरत दिखाई देती ध्यान तो छोड़िए, सो भी नही पाते और हर दिन कोरी आंखों सवेरा होता। जब सवार होती वेदना रूपी प्रताड़ना, तो ज्ञान का बोध चुनते या साथी का । प्रेम के निम्तम रूपों मोह, आकर्षण, वासना पर तो उन्होंने पार पा लिया था. दूसरों से मिले प्रेम को तो उन्होंने भावनाओं का ज्वार समझ कर नकार दिया लेकिन एक बार अपनी समस्त इन्द्रियों को साक्षी मानकर उन्होंने अपने चंचल ह्रदय में अगर किसी को बसाया होता..सुना होता किसी की सांसों का संगीत..बिताये होते एकांत के कुछ पल हाथों में हाथ लेकर..तो उनके मोक्ष के मायने बदल गए होते। अगर मन हुआ होता रक्तरंजित अपने प्रिय के इंकार से ..होता कभी जो प्रणय निवेदन अस्वीकार.. ह्रदय बिखरा होता छलनी होकर.. तो उन्हें मौन से ज्यादा मृत्यु, मुक्ति का मार्ग लगती। हर स्मृति, हर कल्पना, हर भावना बस एक ही विंदु पर आकर सिमट जाती ..और वो केंद्र विंदु होता प्रेम । ये शायद नियति ही थी कि गौतम बुद्ध के ह्रदय में प्रेम के बीज नही पड़े वर्ना विश्वास कीजिये वो सिदार्थ से गौतम तो हो जाते..पर शायद कभी बुद्ध नही हो पाते। ©राहुल Shiv #Path #Love #Hindi #poem
narendra bhakuni
narendra bhakuni
"सप्त रँगों की आज रंगोली इन रंगों मे घुल जाऊँ। अपने दिल को आज जगाकर इस मौसम मे खुल जाऊँ। " ©narendra bhakuni #nojotostreaks #Nojoto #nojotohindi #poem #Love #Hindi ChiragBarot sonika Shivam kushvaha muskan qais majaaz,,deep soul amit chavda nar
narendra bhakuni
narendra bhakuni
narendra bhakuni
Life Like रँग इतलाती - बलखाती नदियाँ, सागर से मिलने मैं जाऊँ। सागर कहता 'हूँ गंभीर मैं, रँगों मे खो जाऊँ। । रँग जो कहते हैं सूरज से ,अपनी रश्मि को मुझको दे दो। नये - नये से उपवन सारे, भरने मुझसे कह दो ।। सूरज कहता हैं आसमाँ से, चमक उठा ज्यौं तारा। ख़ुशी मुझे तो बहुत मिलेगी, अमन हुआ जग सारा।। अंबर कहता हैं व्योम से मेरा रँग जो नीला हैं। अलग - अलग से प्रकरण जैसा, मौसम नया रसीला हैं। मौसम कहता बदल चुका मैं, अब तो अवनि मुझको पुकारे। बात किया हैं मैंने मेघ से, कुछ समझो मेरे इशारे। । । मेघ ने गाया मल्हार राग, बरस चुका हूँ आज यहाँ पर धरती से नदियों मे जाकर, जाने कहाँ - कहाँ पर - नरेंद्र सिंह भाकुनी ©narendra bhakuni #nojotostreaks #Nojoto #nojotohindi #poem #Love #Hindi ChiragBarot sonika Shivam kushvaha muskan qais majaaz,,deep soul amit chavda nar
narendra bhakuni
narendra bhakuni
narendra bhakuni
narendra bhakuni